News Times Post Hindi - February 1 - 15- बजट 2020 उम्मीदेंAdd to Favorites

News Times Post Hindi - February 1 - 15- बजट 2020 उम्मीदेंAdd to Favorites

Keine Grenzen mehr mit Magzter GOLD

Lesen Sie News Times Post Hindi zusammen mit 9,000+ anderen Zeitschriften und Zeitungen mit nur einem Abonnement   Katalog ansehen

1 Monat $9.99

1 Jahr$99.99 $49.99

$4/monat

Speichern 50%
Hurry, Offer Ends in 10 Days
(OR)

Nur abonnieren News Times Post Hindi

Diese Ausgabe kaufen $0.99

Subscription plans are currently unavailable for this magazine. If you are a Magzter GOLD user, you can read all the back issues with your subscription. If you are not a Magzter GOLD user, you can purchase the back issues and read them.

Geschenk News Times Post Hindi

In dieser Angelegenheit

विज्ञान-प्रौद्योगिकी-मेडिकल की उन्नत शिक्षा और विश्वस्तरीय अनुसंधान समय की मांग है। इस नब्ज को पहचानकर अमेरिका, कनाडा, जर्मनी, ब्रिटेन, इटली, इजराइल और ब्रिटेन जैसे देश दुनियाभर में सिक्का जमाए हुए हैं। उनकी समृद्धि में इसका महत्वपूर्ण योगदान है। इनके आगे भारत कहीं टिकता नहीं दिख रहा, जबकि एक हजार विश्वविद्यालयों और आईआईटी, आईआईएम जैसे प्रीमियर संस्थानों के साथ शिक्षा के क्षेत्र में तीसरा बड़ा सुपर पॉवर है। इस प्रतिस्पर्धा में मजबूती से कदम रखने के लिए निर्मला सीतारमण ने पिछले बजट में "स्टडी इन इण्डिया" और राष्ट्रीय अनुसंधान फाउण्डेशन की स्थापना को ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में प्रस्तुत किया था। अब नया बजट सामने है, लेकिन ये दोनों ही लक्ष्य के अनुरूप आकार नहीं ले पाए हैं। हालांकि प्रयास किए जाएं तो यह भारत को फाइव ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने में "कैश क्रॉप" का काम कर सकते हैं। "कैश क्रॉप" इसलिए कि दुनिया में शिक्षा का बाजार साल-दर-साल विस्तार ले रहा है। इसे अपने हित में कैश कराने और विदेशी मुद्रा लाने में ये योजनाएं बड़ा साधन बन सकती हैं। इस विवेचना को आगे बढ़ाते हुए इस बार के अंक में बजट से अपेक्षाओं और मौजूदा स्थिति पर एक नजर-

बजट - विश्वास का लेखा-जोखा !

बजट का समय आता है और समस्त देशवासियों की उम्मीदें बढ़ जाती हैं । हर एक व्यक्ति बजट में अपने फायदे की चीज ढूंढता है और उसके मिलने ना मिलने के अनुसार बजट को अच्छा या बुरा बता देता है ।

बजट - विश्वास का लेखा-जोखा !

1 min

दावों की हकीकत और भावी योजनाएं

यूपी सरकार के आगामी बजट 2020-2021 को लेकर इन दिनों चर्चाएं जोरों पर हैं। हालांकि इस दौरान बेहतर कानून व्यवस्था और विकास का दंभ भरने वाली योगी आदित्यनाथ सरकार के तीसरे 4,79,101 करोड़ के बजट के बाद हुए कार्यों की समीक्षाओं का दौर भी जारी है।

दावों की हकीकत और भावी योजनाएं

1 min

अफवाहबाजों के खिलाफ बने शुचिता का तंत्र

सवाल यह है कि सांविधानिक पदों पर बैठे लोगों की बात पर यकीन करने की बजाय लोग सोशल मीडिया (जिसकी कोई जवाबदेही तय ही नहीं) और चंद नेताओं के बयान पर भरोसा क्यों कर बैठे हैं? वे क्यों नहीं समझते कि भ्रमित करने वाले राजनीतिक दल रोटियां सेंक रहे हैं? ऐसे में आवश्यक हो गया है कि आज की बदली परिस्थितियों में एक ऐसी संस्था स्थापित की जाए, जिसकी शुचिता-शुद्धता परखी हो और सुलभता आसान हो, ताकि अभी या आगे कभी ऐसी परिस्थितियां आएं तो उसके आधार पर सही सूचना प्रसारित कर जनता का विश्वास हासिल किया जा सके।

अफवाहबाजों के खिलाफ बने शुचिता का तंत्र

1 min

अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कराने के लिए संतों ने तेज किया प्रयास - ट्रस्ट के लिए केन्द्र ने मांगा ब्योरा

संत सम्मेलन में विहिप के केंद्रीय महामंत्री (संगठन) दिनेश चंद ने बताया था कि राम मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार को अब तक कुल चार आवेदन भेजे गए हैं। पहले रामालय ट्रस्ट ने, फिर इस्कान मंदिर ने और फिर महावीर मंदिर (पटना) के किशोर कुणाल ने आवेदन किया था। जब इसकी जानकारी हुई तो श्रीराम जन्मभूमि न्यास की ओर से भी केन्द्र सरकार को आवेदन भेजा गया। यही नहीं, श्रीराम जन्मभूमि न्यास ने आवेदन के साथ ही मंदिर आंदोलन और तराशे गए पत्थरों का ब्योरा तथा मंदिर का मॉडल भी भेजा था । इसके बाद केंद्र सरकार ने जन्मभूमि न्यास से कई अहम जानकारियां मांगी थीं, जिनमें मंदिर के स्वरूप, मंदिर निर्माण के लिए राम जन्मभूमि न्यास को मिली धनराशि, अब तक हुए खर्च, शेष बची धनराशि आदि का विवरण शामिल है।

अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कराने के लिए संतों ने तेज किया प्रयास - ट्रस्ट के लिए केन्द्र ने मांगा ब्योरा

1 min

बदलते परिवेश में भारतीय कृषि

कृषि को लाभकारी बनाने के लिए मूलभूत नीतिगत बदलाव आवश्यक है, जिस पर आज विचार-विमर्श तक नहीं हो रहा है। कृषि अनुसंधान और विकास में तत्काल कम से कम जीडीपी का एक प्रतिशत हिस्सा खर्च करना चाहिए, जिसे 10-15 वर्षों में 2 प्रतिशत के ऊपर ले जाना चाहिए। भारत जैसे देश में जहां जनसंख्या का घनत्व विश्व के औसत से पांच-छह गुना ज्यादा है, वहां निवेश की देरी देश के स्वास्थ्य पर कुप्रभाव डालने वाली है। कृषि में विकास के बावजूद असंतोष पहले से ज्यादा बढ़ रहा है। आज के परिवेश में यह जरूरी है कि वास्तविक सामाजिक व आर्थिक परिदृश्य को पहचाना जाए तथा समाज की विसंगतियों एवं विषमताओं का यथाशीघ्र निराकरण किया जाए, अन्यथा आने वाले वर्षों में बढ़ने वाली विषम परिस्थिति को संभालना अत्यंत दुष्कर होगा।

बदलते परिवेश में भारतीय कृषि

1 min

शिक्षकों की नजरें भी केंद्रीय बजट पर

निजी संस्थान के परिणामों और लोकप्रियता से मेल खाने के लिए सरकारी शिक्षण संस्थानों को प्राथमिक, माध्यमिक, कॉलेज, विश्वविद्यालय और तकनीकी शिक्षा के लिए अच्छे बजट आवंटन की आवश्यकता है। मई 2019 में जारी सरकार की नई शिक्षा नीति के मसौदे में वर्ष 2030 तक कुल सरकारी खर्च के 10 से 20 फीसदी तक शिक्षा पर खर्च बढ़ाने का सुझाव है, लेकिन दुर्भाग्य से शिक्षा को आवंटित केंद्रीय बजट का हिस्सा 2014-15 में 4.14 प्रतिशत से गिरकर 2019 में 3.4 प्रतिशत हो गया। वर्तमान में शिक्षा खर्च की बड़ी धनराशि (80 फीसदी तक) राज्यों से आती है, लेकिन कई राज्यों में शिक्षा पर खर्च किए गए अनुपात को, विशेष रूप से 2015 के 14वें वित्त आयोग की अवधि के बाद, कम किया गया है। हालांकि 2019-20 में आवंटित धनराशि बढ़ी है। कई राज्य पहले से ही शिक्षा पर 15 और 20 फीसदी के बीच खर्च करते हैं। गरीब राज्यों में महत्वपूर्ण परिणामों के लिए निवेश की अधिक आवश्यकता है।

शिक्षकों की नजरें भी केंद्रीय बजट पर

1 min

डगमग आगे बढ़ रही उद्धव सरकार

विधानसभा चुनाव के एक माह बाद बमुश्किल महाराष्ट्र में सरकार गठित हुई, फिर सरकार बनने के एक महीने बाद मंत्रियों को उनके विभागों का बंटवारा किया जा सका। इसके पहले तो केवल 6 मंत्रियों के भरोसे विधानसभा का शीतसत्र चला। इसके बावजूद इस सरकार के घटक दलों के नेताओं के परस्पर विरोधाभासी बयान इस सरकार के कार्यकाल पर सवालिया निशान खड़ा कर रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने स्वयं ही कहा कि गठबंधन सरकार के कार्यकाल के बारे में गारटी से कुछ नहीं कहा जा सकता। कुल मिलाकर महाराष्ट्र की उद्धव नीत महाविकास गठबंधन की सरकार डोलती-डगमगाती ही आगे बढ़ रही है। इसे लड़खड़ाती चलनेवाली तिपहिया सरकार कहा जा रहा है।

डगमग आगे बढ़ रही उद्धव सरकार

1 min

संस्कृति व सर्जनात्मकता की जरुरत

पिछले दिनों देश में कई स्थानों पर आगजनी, तोड़फोड़ और सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाते हुए देश और संविधान से प्रेम की भावना को प्रमाणित करने के नारे दिए जा रहे थे। ये हिंसा की ही विभिन्न अभिव्यक्तियां थीं। अपने पक्ष को सही साबित करने के लिए हिंसा की युक्ति का लक्ष्य सरकारी पक्ष को त्रस्त और भयभीत करना है। इस सोच में सरकार को सरकारी सम्पत्ति के बराबर मान लिया जाता है और उसे नष्ट करना अपना कर्तव्य । यह सब निश्चय ही सियासत के एक आत्मघाती मोड़ का ही संकेत है, जिसके दूरगामी परिणाम होंगे।

संस्कृति व सर्जनात्मकता की जरुरत

1 min

शरणार्थियों की उम्मीदों का इम्तिहान

नागरिकता कानून में संशोधन के बाद देश नागरिकता की अहमियत समझने में लगा है। आजादी के बाद मजहब के नाम पर पहले दो धड़ों में, फिर अलग-अलग मुल्कों में बंटे भारत में 'आजादी' के अपने-अपने मायने हैं। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में अपने धर्म के मुताबिक जीने-रहने और पहनने-खाने की आजादी न मिलने और अमानवीय उत्पीड़न के चलते लाखों नागरिक बारी-बारी से जमीन-जायदाद, सगे-संबंधियों को छोड़कर भारत आए और यहीं रह गए। यहां जैसे-तैसे अपनी बस्तियां बसाईं, लेकिन अधिकृत तौर पर इन्हें बिना नागरिक बने कछ भी हासिल नहीं हो सकता। दिल्ली के मजनं का टीला में साल 2012 से आकर बसते गए तकरीबन 250 परिवार का जायजा लेते हुए हमने पाया कि केन्द्र के नागरिकता संशोधन कानून ने इन्हें संजीवनी दी है। अधिसूचना के बाद 10 जनवरी, 2020 से नागरिकता संशोधन कानून लागू हो गया है। 31 दिसंबर, 2014 से पहले आए गैरमस्लिम शरणार्थियों को इस कानन के लाग करने की प्रक्रिया को हरी झंडी मिलने के बाद कानूनी प्रक्रिया से नागरिकता मिल जाएगी। पाकिस्तानी शरणार्थी कैंपों में से एक दिल्ली के मजनूं का टीला में शरणार्थियों की जिंदगी को करीब से देखने वाले हमारे स्थानीय संपादक की रिपोर्ट।

शरणार्थियों की उम्मीदों का इम्तिहान

1 min

निर्भया के गुनहगारों को अंजाम तक पहुंचाने में जेल मैनुअल बड़ी बाधा - सजा के अमल पर सवालिया निशान

पवन, मुकेश, अक्षय और विनय शर्मा को फांसी पर लटकाने के लिए दूसरी बार डेथ वारंट जारी कर फांसी की तारीख 1 फरवरी मुकर्रर की गई है, लेकिन अभी दोषी पवन के पास क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका का विकल्प है। यही विकल्प अक्षय सिंह के पास भी है। विनय शर्मा के पास भी दया । याचिका का विकल्प है। अलबत्ता, मुकेश के पास अब कोई कानूनी विकल्प नहीं बचा है। यानी तीन दोषी पवन, अक्षय, विनय के पास अभी कुल पांच कानूनी विकल्प बचे हैं, जिनका वे तिहाड़ जेल की ओर से दिए गए नोटिस पीरियड के दौरान इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर तीनों दोषी एक-एक कर अपने शेष न्यायिक विकल्पों का इस्तेमाल करेंगे, तो निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटकाने में काफी देर हो सकती है। इसके मद्देनजर केन्द्र सरकार ने 22 जनवरी 2020 को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर फांसी देने में बाधक नियमों को बदलने की मांग की है। कहा, मौजूदा नियमों से दोषियों को कानून से खेलने' का मौका मिल जाता है।

निर्भया के गुनहगारों को अंजाम तक पहुंचाने में जेल मैनुअल बड़ी बाधा - सजा के अमल पर सवालिया निशान

1 min

भारत की आर्थिक सेहत पर खास फर्क नहीं

विश्व में आहिस्ता-आहिस्ता दस्तक दे रही मंदी को हवा देने वाले अमेरिका-चीन ट्रेडवार से पीछा छुड़ाने के लिए दोनों देशों में सहमति की जमीन तैयार हो रही है। इस दिशा में पहले चरण का समझौता भी हो चुका है। फिर भी इसे निर्णायक बिंदु तक पहुंचने में अभी काफी वक्त लगेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले चरण के करार का चीन की ओर से पालन करने की समीक्षा का अधिकार अपने पास सुरक्षित रखा है। वह इसे राष्ट्रपति चुनाव तक खींचना चाहते हैं, ताकि इसे भुनाया जा सके। 15 जनवरी को सम्पन्न पहले चरण के करार के साथ ही सवाल उठाया जाने लगा है कि इसका भारत पर क्या असर होगा? इसकी वजह भी है क्योंकि अमेरिका और चीन दोनों भारत के बड़े व्यापारिक भागीदार हैं। वैसे इसमें दो राय नहीं कि अमेरिका-चीन की व्यापारिक सुलह दुनिया को प्रभावित करेगी। ऐसे में भारत अछूता कैसे रह सकता है?

भारत की आर्थिक सेहत पर खास फर्क नहीं

1 min

खरीदारी करते वक्त उपभोक्ताओं को पक्की रसीद जरूर लेनी चाहिए - हितों का संरक्षण सतर्कता से ही संभव

आज बाजार की जो स्थिति है, उसमें उपभोक्ताओं को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इनमें बाजार में चलने वाली व्यावसायिक प्रतियोगिताएं, भ्रमित करने वाले विज्ञापनों की भरमार, घटिया वस्तुओं की आपूर्ति, सेवा प्रदाता कंपनियों की ओर से छल-छद्म के साथ दी जाने वाली सेवाएं आदि शामिल हैं।

खरीदारी करते वक्त उपभोक्ताओं को पक्की रसीद जरूर लेनी चाहिए - हितों का संरक्षण सतर्कता से ही संभव

1 min

Lesen Sie alle Geschichten von News Times Post Hindi

News Times Post Hindi Magazine Description:

VerlagNewstimes Post International Pvt Ltd.

KategorieNews

SpracheHindi

HäufigkeitFortnightly

News Times-Post Hindi is Socio-Political National Magazine publishing from the City of Nawabs Lucknow. This is a Family Magazine, especially for Young Generation. We are providing content for Subject Specific Issues. Our list of contributors caters vast demographics varying from young and professionals to Trainers and Experienced Veteran Journalist. We are covering every issue with top-notch Interviews, In-depth Analysis with creative illustrations and different aspects of the topics. This Magazine caters social aspects, Trending topics, Opinions, Social dimensions, Environment, Political developments etc

  • cancel anytimeJederzeit kündigen [ Keine Verpflichtungen ]
  • digital onlyNur digital