Rishi Prasad Hindi - May 2023Add to Favorites

Rishi Prasad Hindi - May 2023Add to Favorites

Keine Grenzen mehr mit Magzter GOLD

Lesen Sie Rishi Prasad Hindi zusammen mit 9,000+ anderen Zeitschriften und Zeitungen mit nur einem Abonnement   Katalog ansehen

1 Monat $9.99

1 Jahr$99.99 $49.99

$4/monat

Speichern 50%
Hurry, Offer Ends in 6 Days
(OR)

Nur abonnieren Rishi Prasad Hindi

1 Jahr $0.99

Diese Ausgabe kaufen $0.99

Geschenk Rishi Prasad Hindi

7-Day No Questions Asked Refund7-Day No Questions
Asked Refund Policy

 ⓘ

Digital Subscription.Instant Access.

Digitales Abonnement
Sofortiger Zugriff

Verified Secure Payment

Verifiziert sicher
Zahlung

In dieser Angelegenheit

* Three aphorisms on Fulfillment of Life
* He attained the truth without words
* Why is Brahma Jnana important?
* Treat the internal body as well as the external body
* My Gurudev removes defects with his grace and kindly encourages us!
* Teasing a brother disciple caused an obstructive destiny
* I never forgot the words of my mother
* Why have you come into this world?
* True Kalyana of an individual is not possible without a SatGuru
* Which beauty brings about spiritual good?
* You can also become such a gem among men
* Benedictory experiential words of Saints
* A miracle of Guru’s grace and divine therapy – Rinku DalÍl
* A vrata that removes great sins, and purifies
* Immunity booster, healthy watermelon peel
* Special memory boosting recipes
* Prevention and cure of heat stroke
* When I failed, Rishi Prasad performed a miracle!
* For prosperity and happiness in the home
* A Mantra for Learning and outstanding Erudition
* A panacea easily accessible to all

आया, बैठा और पा के मुक्त हो गया

एक दिन महात्मा बुद्ध अपनी झोंपड़ी के बाहर बैठे थे, उनका शिष्य आनंद अंदर था। एक व्यक्ति आया, बोला : ‘\"भंते ! मैं आपके पास वह बात सुनने को आया हूँ जो कही नहीं जाती है, वह बात समझने को आया हूँ जो समझायी नहीं जाती, मैं उसको जानने को आया हूँ जिसको जाननेवाला स्वयं रहता नहीं।\"

आया, बैठा और पा के मुक्त हो गया

3 mins

ब्रह्मज्ञान क्यों जरूरी है?

ब्रह्मविद्या के आगे जगत की सब विद्याएँ छोटी हो जाती हैं।

ब्रह्मज्ञान क्यों जरूरी है?

2 mins

बाहरी शरीर के साथ आंतरिक शरीर की चिकित्सा करो

जिसने अपने मन को ध्यान में लगाया वह अपने-आपका मित्र है।

बाहरी शरीर के साथ आंतरिक शरीर की चिकित्सा करो

2 mins

वास्तविक संजीवनी

ईरान के बादशाह नशीखान ने संजीवनी बूटी के बारे में सुना। उसने अपने प्रिय हकीम बरजुए से पूछा : \"क्या तुमने भी कभी संजीवनी बूटी का नाम सुना है ?\"

वास्तविक संजीवनी

2 mins

गुरुभाई को सताना बना प्रतिबंधक प्रारब्ध

अष्टावक्र मुनि ने राजा जनक को उपदेश दिया और उनको आत्मसाक्षात्कार हुआ यह तो सुना-पढ़ा होगा लेकिन राजा जनक और अष्टावक्र मुनि के पूर्वजन्म का वृत्तांत भी बड़ा रोचक और बोधप्रद है।

गुरुभाई को सताना बना प्रतिबंधक प्रारब्ध

2 mins

तुम संसार में किसलिए आये हो ?

एक होता है कर्म का बल । जैसे मैं किसी वस्तु को ऊपर फेंकूँ तो मेरे फेंकने का जोर जितना होगा उतना ऊपर वह जायेगी फिर जोर का प्रभाव खत्म होते ही नीचे गिरेगी । गेंद को, पत्थर को ऊपर फेंकने में आपमें जितना कर्म का बल है उतना वे ऊपर जायेंगे फिर बल पूरा हुआ तो गिरेंगे । ऐसे ही कर्म के बल से जो चीज मिलती है वह कर्म का बल निर्बल होने पर छूट जाती है।

तुम संसार में किसलिए आये हो ?

2 mins

आप भी ऐसे नर - रत्न बन सकते हो

बाल गंगाधर तिलक ५वीं कक्षा में पढ़ते थे तब की बात है। एक बार कक्षा में किसी बच्चे ने मूँगफली खायी और छिलके वहीं फेंक दिये। अंग्रेज शासन था, हिन्दुस्तानियों को डाँट-फटकार के, दबा के रखते थे। मास्टर आया और रुआब मारते हुए बोला : \"किसने मूँगफली खायी?\"

आप भी ऐसे नर - रत्न बन सकते हो

4 mins

बड़े-बड़े अपराधों से निवृत्त कर पावन करनेवाला व्रत

एकादशी का व्रत भगवान के नजदीक ले जानेवाला है। युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा : \"प्रभु ! आषाढ़ (अमावस्यांत मास अनुसार ज्येष्ठ) मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम क्या है? उसके विषय में जानना चाहता हूँ\"

बड़े-बड़े अपराधों से निवृत्त कर पावन करनेवाला व्रत

2 mins

रोगप्रतिकारक शक्ति का खजाना : स्वास्थ्यप्रद तरबूज के छिलके

यश, सुख, सफलता, लोक-परलोक की उपलब्धियाँ - ये सब आत्मबल से होती हैं ।

रोगप्रतिकारक शक्ति का खजाना : स्वास्थ्यप्रद तरबूज के छिलके

2 mins

विशेष लाभदायी स्मृतिशक्तिवर्धक प्रयोग

गर्मी के दिनों में पके पेठे की सब्जी खाने से स्मरणशक्ति में कमी नहीं आती है।

विशेष लाभदायी स्मृतिशक्तिवर्धक प्रयोग

1 min

Lesen Sie alle Geschichten von Rishi Prasad Hindi

Rishi Prasad Hindi Magazine Description:

VerlagSant Shri Asharamji Ashram

KategorieReligious & Spiritual

SpracheHindi

HäufigkeitMonthly

Started in 1990, Rishi Prasad has now become the largest circulated spiritual monthly publication in the world with more than 10 million readers. The magazine is a digest of all thought provoking latest discourses of His Holiness Asharam Bapu on various subjects directing simple solutions for a peaceful life. The magazine also features news on happenings at various ashrams in past month, inspirational texts from scriptures/legends , practical tips for healthy day-to-day living balancing materialism by idealism, Bapuji's answers to questions raised by seekers, disciples's experiences etc.

  • cancel anytimeJederzeit kündigen [ Keine Verpflichtungen ]
  • digital onlyNur digital