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गेंदा फूल की खेती
गेंदा फूल को पूजाअर्चना के अलावा शादीब्याह, जन्मदिन, सरकारी और निजी संस्थानों में आयोजित विभिन्न समारोहों के अवसर पर पंडाल, मंडपद्वार और गाड़ी, सेज आदि सजाने व अतिथियों के स्वागतार्थ माला, बुके, फूलदान सजाने में भी इस का इस्तेमाल किया जाता है.
कम पानी की खेती बूंदबूंद सिंचाई योजना
देशभर में अलगअलग जगहों पर मौसम का मिजाज भी अलगअलग देखा गया है.
जुताई और बोआई के लिए बैटरी से चलने वाला कल्टीवेटर और प्लांटर
खेती से पैदावार बढ़ाने और खेती को आसान बनने के लिए अनेक तरह के आधुनिक कृषि यंत्रों का प्रयोग बढ़ता जा रहा है, जिस से फसल की लागत में कमी आती है और फसल पैदावार में इजाफा होता है. इस दिशा में अनेक कृषि विशेषज्ञ और कृषि संस्थान भी काम करते रहे हैं.
गन्ना फसल में बैड प्लांटिंग विधि द्वारा अंतः फसलीकरण
हरियाणा प्रदेश में गन्ना फसल की बिजाई तकरीबन 1.40 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती है. शरदकालीन (सितंबर/अक्तूबर माह) में बोआई फसल गन्ना क्षेत्रफल के लगभग 10-12 फीसदी हिस्से में की जाती है.
अदरक की खेती
अदरक जिंजिबर औफिसिनेल रोस जाति के पौधे का जमीन के अंदर रहने वाला रूपांतरित तना यानी प्रकंद है.
बकरीपालन का कारोबार और फायदेमंद योजनाएं
किसी भी नए काम को शुरू करने से पहले उस काम को कैसे किया जाए, ये जानकारी होना भी जरूरी है. केंद्र और राज्य सरकार के केंद्रों द्वारा पशुपालकों को प्रशिक्षण भी दिया जाता है, ताकि बकरीपालन में उन्हें किसी तरह की समस्या न हो.
शुरू करें डेरी फार्मिंग किसानों के लिए 'दूध गंगा योजना'
पशुपालकों और किसानों के लिए राज्य सरकारों व केंद्र सरकार द्वारा समयसमय पर कई प्रकार की योजनाएं चलाई जाती हैं.
तेज बारिश में न बहने दें खेत की उपजाऊ मिटटी
बारिश न हो या कम हो, तो सभी किसान परेशान रहते हैं, लेकिन समझदार किसान लगातार तेज बारिश से भी घबराते हैं, क्योंकि इस से मिट्टी का कटाव होता है, जो खेत का आकार तो बिगाड़ता ही है, साथ ही जरूरी पोषक तत्त्वों को भी अपने साथ बहा ले जाता है
लंबी दूरी तक करे सिंचाई लपेटा पाइप
खेतों में सिंचाई करने के लिए कई बार पानी को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में खासा दूरी तय करनी पड़ती है, चाहे सिंचाई डीजल इंजन के जरीए हो या नलकूप के जरीए. इस में कई बार जगहजगह से पाइप टूट भी जाती है, तो पानी की बहुत ज्यादा बरबादी होती है.
बायोगैस प्लांट का कमाल किसान हुआ मालामाल
हमारे देश के नौजवान सिर्फ मल्टीनैशनल कंपनियों में नौकरी या फिर कोई बड़ा बिजनैस कर के ही लाखों की कमाई नहीं कर सकते, बल्कि डेरी फार्मिंग के जरीए भी हर महीने लाखों रुपए कमा सकते हैं.
तिल की खेती
आमतौर पर तिल 2 प्रकार के होते हैं यानी काले व सफेद.
अमरूद से बनाएं कई चीजें
अमरूद मीठा और स्वादिष्ठ फल होने के साथसाथ कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है. अमरूद विटामिन सी, पैक्टिन और कैल्शियम, फास्फोरस और आयरन जैसे तत्त्वों से लबरेज होता है.
अगस्त माह में खेती से जुड़े काम
किसानों के लिए वैसे तो हर महीना खास होता है, लेकिन अगस्त का महीना खेती के लिए इसलिए ज्यादा अहम होता है कि इस महीने में मानसून जोरों पर होता है और वर्षा वाले क्षेत्रों में झमाझम बारिश भी होती है.
अपनी अच्छी सेहत को दें लिफ्ट वर्टिकल गार्डनिंग के साथ
वर्टिकल गार्डनिंग
उड़द की खेती कैसे करें
उड़द खरीफ के मौसम में ली जाने वाली दलहनी फसलों में बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है. उड़द को मुख्य रूप से दाल और बड़ा के रूप में खाया जाता है, जो कि शाकाहारियों के लिए प्रोटीन का प्रमुख स्रोत है. उड़द में प्रोटीन 25-26 फीसदी तक पाया जाता है.
पहाड़ की फायदेमंद मूली
पहाड़ में पैदा होने वाली मूली भी मैदानी मूली की ही तरह खाद्य जड़ों वाली सब्जी है, जो कि क्रूसीफैरी परिवार की सदस्य है. मूली इतनी आसानी से पैदा होने और फैलने वाली फसल है कि यह न तो अधिक देखभाल मांगती है और न ही बहुत अधिक खाद आदि. पहाड़ी मूली तकरीबन 2 किलो से 3 किलो वजन की होती है.
लाल भिंडी वैज्ञानिक तकनीक से कमाई
भारतीय किसान पारंपरिक फसलों की खेती से परे अब नईनई फसलें और तकनीकों से खेती कर रहे हैं. किसान नई फसलों को अपने खेतों में स्थान दे कर अच्छी कमाई कर रहे हैं.
खेती का जरूरी यंत्र पावर टिलर
पावर टिलर एक ऐसा बहुद्देशीय छोटा ट्रैक्टर है, जिसे किसान अपने हाथों से आराम से चला सकते हैं.
दूब घास से कैसे छुटकारा पाएं?
खेत में दूब घास अपनी जड़ें जमा चुकी है, तो यह जरूरी है कि गरमी में 2-3 सालों तक लगातार जुताइयां की जाएं.
फसल को नुकसान पहुंचाती दूब घास
फसल के साथ उगने वाले को तो निराईगुड़ाई, खरपतवारों किसान जुताई या फिर दवाओं से काबू में कर लेते हैं, पर उन का बस ऐसे जिद्दी खरपतवारों पर नहीं चलता, जो सालभर दिखते नहीं या फिर खेत में कहींकहीं दिखते हैं, लेकिन फसल के साथ ऐसे उगते हैं मानो बोया इन्हें ही गया हो.
हरमन 99 सेब - गरम इलाकों में भी फलता है
अब तक तो हम लोगों ने यही सुना था कि सेब सिर्फ ठंडे प्रदेशों में ही हो सकते हैं, पर इसी सोच के उलट पिछले 20 सालों से भारत के अलगअलग प्रदेशों में हरमन 99 प्रजाति का सेब आसानी से गरम इलाकों में भी फलफूल रहा है, इसलिए यह कहा जा सकता है कि सेब अब कश्मीर, हिमाचल या ठंडे इलाकों की फसल नहीं रह गया है. इतना ही नहीं, बिहार में भी सेब की भरपूर खेती हो रही है.
केले की व्यावसायिक खेती की ओर बढ़ रहे कदम किसानों को काबिल बनाने में जुटे हैं डा. आरएस सेंगर
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथसाथ राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके डा. आरएस सेंगर ने किसानों को प्रशिक्षित कर उन को और्गैनिक केला उत्पादन की तरफ मोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया है.
खरीफ (वर्षां) ऋतु में प्याज उगा कर कमाएं ज्यादा मुनाफा
आमतौर पर प्याज की खेती रबी मौसम में की जाती है, पर खरीफ में भी प्याज का अच्छा उत्पादन किया जा सकता है, बशर्ते उचित प्रबंधन और खरीफ मौसम में उगाने वाली प्रजातियों का चयन सही तरीके से किया जाए.
न्यूमैटिक प्लांटर - बोआई की आधुनिक मशीन
इस मशीन की खूबी यह है कि एक ही बार में एक से ज्यादा फसलों के बीज की बोआई कर सकती है.
रबी सीजन में सोयाबीन की फसल
धरती की कोख से फसलों का सोना निकालने वाला किसान मन में अगर कुछ ठान ले तो वह कुछ भी करगुजर सकता है. मध्य प्रदेश में कई किसानों ने खेती में नए तौरतरीकों से अपनी आमदनी को बढ़ाने के साथ ही एक मुकाम हासिल किया है.
जुलाई का महीना किसानों के लिए है खास
देश के किसान हर महीने अलगअलग फसलों की खेती कर अपनी आजीविका चला रहे हैं. इस के चलते किसानों के लिए जून और आने वाला महीना जुलाई सब से अहम होता है.
कद्दूवर्गीय सब्जियों में फल मक्खी से करें बचाव
इस समय कदूवर्गीय सब्जियों में फल मक्खियों की समस्या काफी बढ़ जाती है.
सोयाबीन की खास किस्में
भारत में सबसे ज्यादा सोयाबीन की खेती मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र व राजस्थान में होती है. मध्य प्रदेश का सोयाबीन उत्पादन में 45 फीसदी हिस्सा है, जबकि सोयाबीन उत्पादन में महाराष्ट्र का 40 फीसदी है.
पपीता की फसल को बीमारियों से बचाएं
पपीते की खेती की जानकारी
अरबी (घुइयां) की वैज्ञानिक तरीके से खेती
अरबी एक कंद वाली फसल है. भारत में इस की खेती लगभग सभी जगहों में की जाती है.