Diese Geschichte stammt aus der January-march2020-Ausgabe von Swasthya Vatika.
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कोरोना के बाद ध्यान रखने योग्य बातें
आज 10 माह हो चुके हैं, जब इस नोवल कोरोना वायरस ने दुनिया में अपनी दस्तक थी। इसे नोवला नबीन) 6 माह बाद नहीं कहा जाना चाहिए क्योंकि उस वायरस के बारे में हम ज्यादातर जानकारियाँ हासिल कर लेते हैं, लेकिन इस कोरोना के बारे में, इसके इलाज व उपद्रवों के बारे में आज भी हम आश्वस्त नहीं हो पाए हैं।
कोविड-19 में आयुर्वेद की उपयोगिता
शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी बनाए रखने के लिए आयुर्वेदानुसार स्वस्थवृत्त, सद्वृत्त, दिनचर्या, ऋतुचर्या का पालन, योगाभ्यास, प्राणायाम, ध्यान और पंचकर्म व रसायन औषधियों का प्रयोग करना चाहिए। ये एक-दूसरे के विकल्प नहीं बल्कि पूरक है। योग से शरीर पूर्णतया स्वस्थ रहता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने के साथ ही श्वसन तंत्र भी मजबूत होता है। प्रतिदिन नियमित तौर पर योगासन करने से शरीर में श्वेत रक्त कोशिकाओं में वृद्धि होती है। इन्ही की वजह से रोग से प्रतिरोधात्मक क्षमता बढ़ती है। कोरोना नाम की बीमारी से बचने के लिए हम सभी को अपने घर पर ही प्राणायाम व यौगिक क्रियाओं का अभ्यास करना चाहिए।
तनाव
लाभदायक भी नुकसानदायक भी
किडनी रोग और कोरोना
गुर्दे की बीमारी ना फैलने वाला रोग (NCD) है और वर्तमान में दुनिया भर में लगभग 850 मिलियन लोगों को प्रभावित करती है। इनके 10 वयस्कों में से 1 को क्रोनिक किड़नी डिजीज (CKD) होता है। एक बड़ी चिंता यह है कि बीमारी वाले इन मरीजों में कोरोना वायरस संक्रमण पर किडनी ज्यादा खराब होने की संभावना बढ़ जाती है। इसका कारण यह है कि उनके पास खराब प्रतिरक्षा प्रणाली होती हैं। यह किडनी प्रत्यारोपण के रोगियों के साथ साथ उन लोगों पर भी लागू होता है जो इम्यूनोसप्रेशन पर है जिनमें नेफ्रोटिक सिंड्रोम और SLE(Systemic lupus Erythemetous) के रोगी शामिल हैं।
एंटी ऑक्सीडेंट्स- वृद्धावस्था में उपयोगी
एंटी-ऑक्सिडेंट्स खाद्य पदार्थ में मौजूद वे पोषक तत्व हैं, जो शरीर में ऑक्सीकरण संबंधी नुकसान की गति को कमजोर करने या उसे पूरी बेअसर करने में सक्षम होते है। ऑक्सीजन का इस्तेमाल करते समय शरीर की कोशिकाओं से ऐसे बाय-प्रोडक्ट उत्पन्न होते हैं, जो शरीर के लिए नुकसानदेह होने के साथ-साथ कई बीमारियों का जन्मस्थान बन सकते हैं। एंटी-ऑक्सिडेंट्स को हम सफाई करनेवाले समर्पित कर्मचारी कह सकते हैं।
इम्यूनिटीवर्धक रसायन चिकित्सा
व्यस्त जीवनशैली, आहार का गिरता स्तर, प्रदूषित जल व वायु के संपर्क में सतत रहना, व्यायाम का अभाव आदि के कारण व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य का स्तर व निरंतर चलने वाले चलचित्र, कुसंगति व दुर्व्यसनों के कारण व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य का स्तर दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा है। इस हालत में ऐसी प्रभावशाली व गुणकारी दिव्य औषधि की आवश्यकता है, जो व्यक्ति को शारीरिक व मानसिक रूप से पूर्ण स्वास्थ्य की उपलब्धि करा सके। आयुर्वेद में ऐसी प्रभावशाली दिव्य औषधि अर्थात् रसायन औषधि का वर्णन है। आज के कोरोना काल में यह औषधि इम्युनिटी वर्धन का काम करती है।
आयुर्वेद द्वारा इम्युनिटी वृद्धि
आज संपूर्ण विश्व में कोरोना वायरस से त्राहि-त्राहि मची हुई है। भारत में कोरोना वायरस के दस्तक देने के साथ ही ये बहस शुरू हो गई कि इस वायरस का उपचार आधुनिक चिकित्सा पद्धति में तो नहीं है सिर्फ लाक्षणिक चिकित्सा दे सकते हैं। विचार किया गया कि क्या इस वायरस से निपटने के लिए कोई वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति हो सकती है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुष मंत्रालय के तहत आयुर्वेद तज्ञों की मीटिंग बुलाकर चर्चा की कि जिनकी इम्युनिटी मजबूत है वे इस वायरस से मुकाबला कर सकते हैं । जबकि इम्युनिटी बढ़ाने के लिए आयुर्वेद में वनौषधियों व जीवन शैली का वर्णन है । अतः आयुर्वेद तज्ञों ने इम्युनिटी बढ़ाने में आयुर्वेद की भूमिका को लेकर चर्चा की। हमारे रसोई घर में उपलब्ध अनेक खाद्य वस्तुओं व मसालों से इम्युनिटी बढ़ सकती है ऐसा निष्कर्ष निकाला गया।
त्वचा रोग में प्राकृतिक चिकित्सा
व्यक्ति की त्वचा से उसके सौन्दर्य, व्यक्तित्व एवं सुन्दरता का ही दर्शन नहीं होता बल्कि उसकी आन्तरिक शक्तियों का भी आभास होता है । प्रकृति एवं परमात्मा द्वारा दी गई शक्तियों का दर्पण त्वचा का तेज होता है । व्यक्ति का रंग कैसा ही क्यों न हो, उसका आन्तरिक आकर्षण प्रत्येक नर नारी को अपनी ओर खींच लेता है । इसलिए त्वचा की देखभाल करना प्रत्येक स्त्री पुरुष का धर्म है । त्वचा प्रकृति की अमूल्य भेंट है, जिसको स्वच्छ रखे बिना व्यक्ति का जीवन अधूरा है । ईश्वर ने त्वचा को आन्तरिक विकारों के निष्कासन का ऐसा द्वार बनाया
ग्रीष्म ऋतु में होनेवाले त्वचाविकार एवं उपाय
जलद गति से पुनः निर्माण होते है एवं चिरकाल तक चलते है इसी कारण इनके उपायों की योजना करते वक्त सर्वांगीण विचार करना अत्यंत जरूरी है।
कोविङ-19 का मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
पिछले कुछ महिनों से पूरे विश्व में नोवेल कोरोना वायरस पर जोरों से चर्चा शुरू है। इसका प्रभाव सिर्फ भारत पर ही नहीं पूरे विश्व पर पड़ा है जल्द ही कुछ समय में इस वायरस ने दुनिया को अपनी आगोश में जकड़ लिया।