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ऊंचे ओहदे वालों में अकड़ क्यों
कुछ लोगों में अपने रुतबे को ले कर अहंकार होता है. उन्हें लगता है कि उन का ओहदा, उन का पद बैस्ट है. वे सुपीरियर हैं. यह सोच अहंकार और ईगो लाती है जो इंसान के व्यवहार में अड़चन डालती है.
बंटोगे तो कटोगे वाला नारा प्रधान राष्ट्र
देश नारा प्रधान है. काम भले कुछ न हो रहा हो पर पार्टियां और सरकारों द्वारा उछाले नारों की खुमारी जनता पर खूब छाई रहती है.
बुलडोजर न्याय औरत विरोधी
बुलडोजर न्याय जैसे मनमाने फैसलों की मार अक्सर महिलाओं पर ही पड़ती है. इन सब के पीछे पुरुषवादी सोच काम करती है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है लेकिन बुलडोजर न्याय की मानसिकता खत्म नहीं हुई है.
श्याम बेनेगल - ढह गया नेहरूवियन का अंतिम किला
श्याम बेनेगल का भारतीय फिल्म में अतुलनीय योगदान रहा. उन का काम राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया. उन की फिल्मों ने न केवल मनोरंजन बल्कि सामाजिक परिवर्तन की दिशा में भी महत्त्वपूर्ण कदम उठाया.
पर्सनैलिटी का आईना है डैस
व्यक्तित्व को निखारने वाले कपड़े आप के आत्मविश्वास को बढ़ाते हैं और आप की पहचान को बेहतर तरीके से प्रस्तुत करते हैं. सही रंग, डिजाइन और फिटिंग न केवल आप की स्टाइल को सुधारते हैं, बल्कि आप के व्यक्तित्व का प्रभावशाली प्रदर्शन भी करते हैं. हर अवसर के लिए उपयुक्त पोशाक चुनना आप के व्यक्तित्व को और निखार सकता है.
बेकार न समझें कार से जुड़ी ये बातें
जीवन का एक और पहलू जिस में लोगों की बुरी आदतें होती हैं, चाहे उन्हें पता हो या न, वह है गाड़ी चलाते समय का. कोई भी व्यक्ति परफैक्ट ड्राइवर नहीं होता, लेकिन कुछ ऐसी ड्राइविंग आदतें होती हैं जो आने वाले समय में कार में गंभीर समस्याएं पैदा कर सकती हैं.
अतुल सुभाष सुसाइड मामला - महिलाएं विलेन क्यों बनीं
अतुल सुभाष की आत्महत्या का मामला ज्युडिशियल सिस्टम पर सवाल उठाता है. विडंबना यह है कि पूरी बहस महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े कानूनों को टारगेट करने पर केंद्रित हो गई है और इस घटना के चलते सभी महिलाओं को आरोपित किया जा रहा है.
इंटरस्टेट मैरिज सुख की गारंटी
भले ही इंटरस्टेट मैरिज का विरोध होता हो लेकिन आज के दौर में ज्यादातर ऐसी शादियां सफल होते दिख रही हैं. यह समाज में आ रहा एक छोटा सा ही सही सुखद बदलाव है जिस के सामने कट्टरवाद और सामाजिक व धार्मिक पूर्वाग्रह घुटने टेकते नजर आ रहे हैं.
दीवार से ऊंचे - कास्ट और क्लास के गड्ढे
आर्थिक वर्णव्यवस्था कभी मानव कल्पना से परे की बात थी लेकिन अब समाज और सोच का हिस्सा बन गई है. एक ही जाति के लोग आपस में आर्थिक हैसियत के मुताबिक फर्क करने लगे हैं. यह भी भारतीय सामाजिक संरचना से मेल खाती बात नहीं थी, लेकिन अब है.
हड्डियों को गलाती तंबाकू की लत
भारत ही नहीं दुनियाभर में तंबाकू का भारी मात्रा में सेवन चिंता का विषय बनता जा रहा है, वह भी तब जब इस से जुड़ी गंभीर स्वास्थ्य संबंधित बीमारियां सब के सामने हैं.
स्क्रीन से हिंसक होते बच्चे दोषी पेरैंट्स
बच्चों के कोमल दिमाग विभिन्न चैनल्स पर परोसी जा रही हिंसा से बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं. अपने मनपसंद कार्टून कैरेक्टर्स की हरकतों को कौपी करने से बच्चों के व्यवहार में मानवीय संवेदनाओं और अच्छे गुणों की जगह उग्रता को ज्यादा स्थान मिल रहा है.
शेख हसीना के लिए क्यों व्याकुल है ढाका
शेख हसीना पर आरोप हैं कि भ्रष्टाचार के अलावा उन्होंने छात्रों के विरोध प्रदर्शन को कुचलने के लिए ‘मानवता के विरुद्ध अपराध किए.’ ढाका ने हसीना को वापस भेजने के लिए दिल्ली पर दबाव बना रखा है, लेकिन भारत की मोदी सरकार ढाका की ख्वाहिश पूरी करने के मूड में कतई नहीं है.
निशानेबाजी की 'द्रोणाचार्य' सुमा शिरूर
सुमा शिरूर भारतीय निशानेबाज हैं. वर्तमान में सुमा भारतीय जूनियर राइफल शूटिंग टीम की कोच हैं. सुमा शूटिंग में अब तक कई मैडल जीत चुकी हैं, वहीं उन्हें द्रोणाचार्य पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.
राज कपूर की 100वीं जयंती ऐसे ही कोई नहीं बन जाता शोमैन
राज कपूर नेहरूवादी सामाजिक सोच को ले कर चल रहे थे लेकिन उन की लगभग हर फिल्म के लेखक ख्वाजा अहमद अब्बास साम्यवादी विचारधारा से प्रेरित थे. यही एक वजह भी है कि राज कपूर की फिल्मों में समाजवादी मिश्रण नजर आया और उन्होंने वर्ग संघर्षों से जनित आम लोगों के सामाजिक बदलावों को परदे पर उतारा.
संतान को ही क्यों दें संपत्ति
राजनीति हो या बिजनैस सही उत्तराधिकारी का चयन ही विरासत को आगे बढ़ाता है. यदि उत्तराधिकारी ढूंढ़ने में लगता है तो समय लगता परिणाम भविष्य में घातक भी साबित होते हैं.
दुर्घटना हो जाए तो
दुर्घटना के बाद सही कदम उठाना आप के और दूसरों के लिए मददगार हो सकता है लेकिन आमतौर पर लोगों को की जानकारी कम होती है कि ऐसी परिस्थिति में वे क्या करें. जानिए यदि रास्ते में दुर्घटना हो जाए तो क्या करें.
मरने के बाद धार्मिक आडंबर के नाम पर लूट
मौत के बाद, बजाय शरीर के खाक होने के, व्यक्ति के साथ क्या होता है इस का कोई प्रमाण नहीं. बावजूद हिंदुओं में मृत्यपरांत धार्मिक कर्मकांड भरे पड़े हैं. इस के केंद्र में पंडे हैं जो दानदक्षिणा का धंधा चलाए रखना चाहते हैं.
अधूरा प्यार
अपने अधूरे को पाने की लालसा एक बार फिर मन में बलवती हो उठी थी. लेकिन रोज ने मुझे ऐसा आईना दिखाया कि उस में अपना चेहरा देख मुझे शर्म आ रही थी.
संकट कटे मिटे सब पीड़ा
गाय रोटी खाएगी तो ग्रह दोष मिटेगा, कुत्ते को खिलाओ तो दुश्मन भागेगा. मेहनत से दूर भागने वालों ने तांत्रिकों को भिखारी से करोड़पति बना दिया है, अरे वाह, यह कैसा खेल है, आप भी पढ़िए.
बीमार न कर दें पसंदीदा फूड
बच्चे तो बच्चे, अब बड़े भी जीभ के गुलाम बन गए हैं जो चटपटे खाने की तरफ दौड़ पड़ते हैं. लेकिन ये फूड्स आप को बीमार भी कर सकते हैं.
वोट ट ने बदली महिलाओं की तसवीर
रामचरितमानस में जिन औरतों को 'ताड़न की अधिकारी' बता कर वर्ण व्यवस्था का शिकार बनाया गया, वोट व्यवस्था में वही औरतें चुनावी जीत का आधार बन कर वर्ण व्यवस्था पर करारी चोट कर रही हैं.
घर खरीदने से पहले
अपना घर अपना ही होता है, भले छोटा ही हो. कई बार हम घर खरीदते समय ऐसी लापरवाहियां कर बैठते हैं जो बाद में दिक्कत देती हैं. आज के समय में घर खरीदते समय सावधानियां बरतना बहुत जरूरी है.
संविधान के 75 वर्ष हाकिम के हाथ बांधने के
भारत का संविधान 75 वर्षों से लोकतंत्र की नींव और स्वतंत्रता का सब से बड़ा रक्षक रहा है. यह मात्र एक कानूनी दस्तावेज नहीं, बल्कि देश के हर नागरिक के अधिकारों, सम्मान और समानता का प्रतीक है. लेकिन संविधान पर बहस अकसर राजनीति और आरोपप्रत्यारोप के धुंधले परदों में गुम हो जाती है. संसद में हुई ताजा चर्चा भी इस से अलग नहीं थी. सवाल यह है कि क्या यह दस्तावेज अब भी आम लोगों के आत्मविश्वास का आधार बना हुआ है?
छात्रों में बढ़ती आत्महत्या शिक्षा माफिया दोषी
यदि देश में सभी बच्चों के लिए समान शिक्षा व्यवस्था कायम हो, सब को समान अवसर उपलब्ध हों, सब को समान शैक्षिक संसाधन प्राप्त हों तो उन का मानसिक दबाव बहुत हद तक कम हो जाएगा. गांव के स्कूल से पढ़ कर आने वाले बच्चे की क्षमता वही होगी जो शहर के स्कूल में पढ़ कर निकले बच्चे की होगी. लेकिन ऐसी व्यवस्था बनाने की मंशा किसी सरकार की नहीं रही.
बौलीवुड और कौर्पोरेट का गठजोड़ बरबादी की ओर
क्या बिना सिनेमाई समझ से सिनेमा से मुनाफा कमाया जा सकता है? कौर्पोरेट जगत की फिल्म इंडस्ट्री में बढ़ती हिस्सेदारी ने इस सवाल को हवा दी है. सिनेमा पर बढ़ते कौर्पोरेटाइजेशन ने सिनेमा पर कैसा असर छोड़ा है, जानें.
यूट्यूबिया पकवान मांगे डाटा
कुछ नया बनाने के चक्कर में मिसेज यूट्यूब छान मारती हैं और इधर हम 'आजा वे माही तेरा रास्ता उड़ीक दियां...' गाना गाते रसोई की ओर टकटकी लगाए इंतजार में बैठे हैं कि शायद अब कुछ खाने को मिल जाए.
पेरैंटल बर्नआउट इमोशनल कंडीशन
परफैक्ट पेरैंटिंग का दबाव बढ़ता जा रहा है. बच्चों को औलराउंडर बनाने के चक्कर में मातापिता आज पेरैंटल बर्न आउट का शिकार हो रहे हैं.
एक्सरसाइज करते समय घबराहट
ऐक्सरसाइज करते समय घबराहट महसूस होना शारीरिक और मानसिक कारणों से हो सकता है. यह अकसर अत्यधिक दिल की धड़कन, सांस की कमी या शरीर की प्रतिक्रिया में असंतुलन के कारण होता है. मानसिक रूप से चिंता या ओवरथिंकिंग इसे और बढ़ा सकती है.
जब फ्रैंड अंधविश्वासी हो
अंधविश्वास और दोस्ती, क्या ये दो अलग अलग रास्ते हैं? जब दोस्त तर्क से ज्यादा टोटकों में विश्वास करने लगे तो किसी के लिए भी वह दोस्ती चुनौती बन जाती है.
संतान को जन्म सोचसमझ कर दें
क्या बच्चा पैदा कर उसे पढ़ालिखा देना ही अपनी जिम्मेदारियों से इतिश्री करना है? बच्चा पैदा करने और अपनी जिम्मेदारियां निभाते उसे सही भविष्य देने में मदद करने में जमीन आसमान का अंतर है.