देवभूमि में पुष्कर और यूपी में हिट हुए बुलडीनर बाबा
DASTAKTIMES|March-2022
योगी आदित्यनाथ ने निर्णय किया कि वह राज्य की कानून व्यवस्था में सुधार करेंगे। उन्होंने इस कार्य को काफी प्रशंसनीय तरीके से अंजाम दिया। इसके लिए उन्होंने मोदी का अनुसरण करते हुए शक्तियों को अपने कार्यालय में केंद्रित किया। उन्होंने शक्तियों के केंद्रीय करण की जिम्मेदारी खुद उठायी और इसका उत्तरदायित्व भी अपने ऊपर लिया। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि इस वजह से चुनाव में भाजपा के वोट शेयर में वास्तव में काफी इजाफा हुआ है, भले ही उसकी कुल सीटों की संख्या क्यों न कम होगयी है। देखा जाए तो वर्ष 2017 के चुनावों में मोदी मैजिकथा,राम मंदिर का मुद्दा था और योगी आदित्यनाथ का कोई चेहरा नहीं था, लेकिन 2022 के चुनाव में न तो राम मंदिर का मुद्दा था और नही 2017 जैसी मोदी लहर।कुछ नयाथा तो योगी का चेहरा और उनकी कार्य संस्कृति। दरअसल योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री के लिए लोगों नेचुना तो जाहिरसीबात है प्रदेश कीजनता नेयोगी के सत्तासंचालन के तौरतरीकों को सराहा है। राष्ट्रवाद को किसी भी सूरत में प्राथमिकता देने वाली भाजपा को लोगों ने बहुमत से जिताकर यह भी संदेश दिया है कि देश में रहकर देशहित की बातें करने वालों को आगे आने कामौ का मिलेगा।
नवीन जोशी
देवभूमि में पुष्कर और यूपी में हिट हुए बुलडीनर बाबा

Diese Geschichte stammt aus der March-2022-Ausgabe von DASTAKTIMES.

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2023 की जनगणना के मुताबिक पाकिस्तान के पख्तूनख्वा प्रांत के कुर्रम जिले में आबादी 7.85 लाख है। इसमें 99 फीसदी पश्तून हैं। पश्तून आबादी में तुरी, बंगरा, जैमुश्त, मंगल, मुकबल, मसुजाई और परचमकानी जनजातियां हैं। तुरी और कुछ बंगश शिया हैं बाकी सब सुन्नी हैं। कुर्रम जिले में 45 प्रतिशत आबादी शिया समुदाय की है जबकि पूरे पाकिस्तान में इस समुदाय की आबादी करीब 15 फीसद है।

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कैसे अमेरिकी जासूसों की चीफ बनी - प्रिंसेज ऑफ द आरएसएस
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बहुत जल्द अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया एजेंसियों की कमान नवनियुक्त निदेशक तुलसी गबाई के हाथ में होगी। अमेरिका की पहली हिंदू सांसद तुलसी का आरएसएस और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पुराना रिश्ता रहा है। संघ परिवार से जुड़े भारतीय मूल के अमेरिकी हिंदू नागरिक उनके लिए हर चुनाव में लाखों डालर का चंदा जुटाते हैं। आरएसएस के इसी दुलार के कारण अमेरिका में तुलसी 'प्रिंसेज ऑफ द आरएसएस' के नाम से चर्चित हैं। पहले तुलसी का डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़ना फिर अचानक डोनाल्ड ट्रम्प को समर्थन देना और फिर रिपब्लिकन पार्टी का दामन थामकर इस मुकाम तक पहुंचना हॉलीबुड के किसी हाई प्रोफाइल पॉलिटिकल ड्रामे से कम नहीं। भारतीय मामलों में अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की बेवजह 'अति सक्रिय' होने के बाद अचानक खुफिया एजेंसियों की कमान तुलसी गबार्ड को दिए जाने को भारत के कूटनीतिक दांव के रूप में देखा जा रहा है।

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प्रदूषण से सांसत में जान
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दिल्ली राजधानी क्षेत्र में आजकल हवा में पीएम 10 का स्तर 318 और पीएम 2.5 का स्तर 177 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ज्यादा है जिसके फिलहाल कम होने की उम्मीद बेमानी है। जबकि स्वास्थ्य की दृष्टि से पीएम 10 का स्तर 100 से कम और पीएम 2.5 का स्तर 60 से कम ही उचित माना जाता है। खतरनाक स्थिति यह है कि दिल्ली के आसमान पर अब धुंध की परत साफ दिखाई दे रही है।

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पीके के नाम से मशहूर प्रशांत किशोर ने जनसुराज पार्टी बनाने के करीब 40 दिन बाद अपने प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाया। प्रत्याशियों का चयन बहुत सोच-समझ किया गया। पीके की ओर से जीत के दावे भी थे, लेकिन वह परिणाम के रूप में सामने नहीं आ सके। हालांकि, पीके इस बात से थोड़े खुश जरूर होंगे कि तीन सीटों पर जनसुराज के प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे।

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