सीएए, एनआरसी के कारण मूल निवासियों का अस्तित्व खतरे में
Loksangharsh Patrika|October 2020
फरवरी 2019 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक आदेश जारी किया जिसके अनुसार भारत के वन क्षेत्र में रह रहे 21 लाख आदिवासी जो यह साबित नहीं कर पाए कि वे 2005 से पहले से इन वनों में रह रहे हैं, उन्हें जंगलों से खदेड़ दिया जाएगा।
जितेंद्र चाहर
सीएए, एनआरसी के कारण मूल निवासियों का अस्तित्व खतरे में

आदिवासियों के इस संकट को मोदी सरकार द्वारा लाए गए एनआरसी और सीएए ने और अधिक गहरा कर दिया है। जो आदिवासी 2005 से पहले जंगलों में अपनी रिहाइश साबित नहीं कर पाए, अब उन्हें 1971 से पहले भारत में अपनी रिहाइश के कागजात जुटाने होंगे।

Diese Geschichte stammt aus der October 2020-Ausgabe von Loksangharsh Patrika.

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