मझधार में मजदूर
Rajasthan Diary|May - June 2020
भूख, तड़प और जिल्लत के एहसास के साथ अपने-अपने गांव लौट रहे मजदूर कह रहे हैं कि वे अब शहर आने से पहले सौ बार सोचेंगे। भले ही गांव, घर के आसपास के इलाकों में पर्याप्त संसाधन, स्रोत और औद्योगिक प्रतिष्ठान नहीं हैं, लेकिन वहां भूखमरी नहीं है। यदि ऐसा हुआ तो शहरों की क्या दुर्दशा होगी? यदि सभी मजदूर गांव में ही ठहर गए तो वहां बेकारी का क्या हाल होगा?
महीपाल सिंह
मझधार में मजदूर

Diese Geschichte stammt aus der May - June 2020-Ausgabe von Rajasthan Diary.

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कालगणना का केंद्र है संक्सर
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विक्रमादित्य के शासन से पहले युधिष्ठिर संवत, श्रीराम संवत, नक्षत्र संवत और ब्रह्म संवत प्रचलन में थे। कालांतर में विक्रमादित्य के लोकोत्तर प्रभाव से उनके नाम से विक्रम संवत्सर शुरू हुआ।

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April 2021
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होली की हुड़दंग के बीच गाजे-बाजे से निकलती है पुष्करणा समाज के हर्ष जाति के दूल्हे की बारात

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April 2021
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जब देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हों, स्कूल-कॉलेजों में वार्षिक परीक्षाओं की तैयारियां चल रही हों, यातायात के तमाम साधन बहाल हो चुके हों और सड़कों-बाजारों पर शादियों के सीजन वाली रौनक लौट चुकी हो तो किसी के लिए भी यह मानना मुश्किल नहीं होगा कि देश में सबकुछ सामान्य चल रहा है।

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किसकी कितनी बिसात
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सरकार के कार्यकाल के बीच में यदि कोई उप चुनाव हो तो इसे सियासी पंडित इसे सत्ता का सेमीफाइनल कहते हैं। राजस्थान में तीन सीटों पर होने वाले उप चुनाव को भी राजनीति की जानकार यही नाम दे रहे हैं।

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• सज-धजकर विराजे थे बाबा श्याम • भक्तों ने किया अपने आराध्य का दीदार • रवाटूश्यामजी का लक्वी मेला सम्पन्न

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लंबे अरसे से यह माना जाता है कि गांवों में कांग्रेस और शहरों में भाजपा की पकड़ मजबूत है लेकिन इस बार के पंचायत व निकाय चुनाव ने इस मिथक को तोड़ दिया है। हाल ही में हुए पंचायत चुनाव में भाजपा ने बाजी मारी है जबकि निकाय चुनाव में कांग्रेस भारी पड़ी है।

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सिंधु बोर्डर पर किसान
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देश की राजधानी दिल्ली की धड़कनें इन दिनों थम सी गई हैं, न जाने क्या होने वाला है। रजाई में दुबके लोग हों, पान की दुकान हो या गली के नुक्कड़ों पर अलाव तापते लोग हों सबचर्चा का विषय है किसान आंदोलन जो कि 26 नवंबर से सिंधु बोर्डर पर घेरा डाले बैठे हुए हैं, इसमें पंजाब हरियाणा उत्तर प्रदेश के किसान हैं जो केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं और हमारी पूरी पुलिस फोर्स कभी अश्रु गैस के गोले छोड़कर डरा रही है तो कभी तेज पानी कि बौछार से खदेड़ रही है।

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फिर 'ट्रैक पर गुज्जर
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राजस्थान सरकार की तरफ से कई बार फैसले किए जा चुके हैं। गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति द्वारा घोषित आंदोलन की तारीख 1 नवम्बर से ठीक पहले 31 अक्टूबर को गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति और अशोक गहलोत सरकार के बीच 14 बिंदुओं पर सहमति बनी। संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला इस वार्ता में शामिल नहीं हुए, वार्ता में गुर्जर नेता हिम्मत सिंह के गुट के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। इस बैठक में गुर्जरों के लिए राज्य सरकार ने बड़े निर्णय किए। इसके बावजूद गुर्जर ट्रैक पर उतर गए।

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