धर्म की नहीं कर्म की चली
Sarita|March First 2020
दिल्ली के मतदाताओं ने विधानसभा चुनाव में धर्म के बजाय कर्म यानी विकास को चुन कर कट्टरवाद को नकार दिया है. इस अहम चुनाव ने यह भी जता दिया है कि सिर्फ सवर्णों के दम पर भाजपा सत्ता के शिखर पर नहीं पहुंच सकती. आम लोग यह भी समझने लगे हैं कि धर्म उन्हें रोटी देता नहीं, बल्कि छीनता है. यह बात अरविंद केजरीवाल ने बड़ी चतुराई से कैसे साबित कर दिखाई, पढ़ें इस खास रिपोर्ट में.
नसीम अंसारी कोचर
धर्म की नहीं कर्म की चली

Diese Geschichte stammt aus der March First 2020-Ausgabe von Sarita.

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