खुम्ब का उत्पादन एक पर्यावरण अनुकूलित एवं उत्तम व्यवसाय
Modern Kheti - Hindi|1st February 2023
हरियाणा - सहायक व्यवसाय
सतीश कुमार, निर्मल कुमार और संदीप भाकर
खुम्ब का उत्पादन एक पर्यावरण अनुकूलित एवं उत्तम व्यवसाय

भारत वर्ष में लगभग 1.2 लाख टन प्रति वर्ष खुम्ब का उत्पादन होता है। इसमें 80 प्रतिशत पैदावार केवल सफेद बटन खुम्ब की है। यह उत्पादन विश्व की कुल पैदावार का एक प्रतिशत भी नहीं है। हालांकि पिछले चार दशकों में देश में 20 गुणा खुम्ब उत्पादन बढ़ा है किन्तु लोगों में इसकी पौष्टिकता और औषधीय गुणों की जानकारी बढ़ने के साथ ही भविष्य में इसके उत्पादन बढ़ने की अपार संभावनाएं हैं। देश में केवल चार तरह की खुम्बों का उत्पादन किया जाता है जैसे सफेद बटन मशरूम, ढींगरी मशरूम, मिल्कि / दूधिया मशरूम और धान के पुवाल की मशरूम। पूरे विश्व का लगभग 90 प्रतिशत खुम्ब उत्पादन केवल छह खुम्बों से होता है और केवल चीन में 60 तरह की खुम्बों का उत्पादन किया जाता है और विश्व की कुल खुम्ब पैदावार का 80 प्रतिशत उत्पादन केवल चीन में होता है। भारत में खुम्ब को पैदा करने के लिए केवल 0.3 प्रतिशत कृषि अवशेषों का इस्तेमाल किया जा रहा है और ज्यादातर कृषि अवशेषों का प्रबंधन एक चिन्ता का विषय है। कृषि अवशेषों को जलाना एक गंभीर समस्या है जिससे वातावरण प्रदूषित होने के कारण जीवों में कई गंभीर बीमारियों को निमंत्रण देता है।

मशरूम का उत्पादन एक इकोफ्रैंडली गतिविधि है क्योंकि इसमें कृषि अवशेषों, मुर्गी की खाद, एग्रो प्रोसैस्सिंग अवशेषों इत्यादि को खुम्ब उत्पादन के प्रयोग में लाया जाता है जिससे न केवल पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है किन्तु खुम्ब उगा कर लाभ भी कमाया जाता है। खुम्ब उत्पादन कृषि विविधिकरण का एक प्रमुख अंग है। दूसरी फसलों के मुकाबले इसके उत्पादन में केवल 25 लीटर पानी प्रति किलो की जरूरत होती है जो कि अन्य परंपरागत फसलों से बहुत कम है। खुम्ब में कई पौष्टिक और औषधीय गुण होते हैं जो लोगों को विभिन्न रोगों से बचाते हैं। कुपोषण की समस्या से निजात पाने के लिए खुम्ब के उत्पादन और उसके सेवन पर लोगों का ध्यान आकर्षित करना समय की मांग है।

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