कृषि विज्ञान, राजनीति, अभियांत्रिकी, खेल, कला एचिकित्सा, फौज आदि तमाम क्षेत्रों में महिलाएं पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं। महिलाएं किसी भी विकसित समाज की रीढ़ की हड्डी होती हैं। किसी भी समाज में महिलाओं की केंद्रीय भूमिका एक राष्ट्र की स्थिरता प्रगति और दीर्घकालिक विकास सुनिश्चित करती है।
कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका होते हुए भी उन्हें बहुत सी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। महिलाओं की अनभिज्ञता, अशिक्षा, अंधविश्वास और उदासीनता उनकी सशक्तिकरण की राह और मुश्किल बढ़ाते हैं। कई महिलाओं ने इन बाधाओं से जूझकर समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाई है, जो अन्य लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत तथा अनुकरणीय है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि महिलाओं ने ही सर्वप्रथम फसली पौधों का प्रयोग प्रारंभ किया और खेती की कला व विज्ञान का विकास हुआ। उस समय पुरुष भोजन की तलाश में शिकार करने चले जाते थे और महिलाएँ देसी पेड़-पौधों से बीज व फल एकत्रित करती थीं। इस प्रकार भोजन, खाद्य, चारा, फाइबर और ईंधन के लिये खेती का विकास हुआ। सुप्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक डॉ. स्वामीनाथन के अनुसार विश्व में खेती का सूत्रपात और वैज्ञानिक विकास का प्रारम्भ महिलाओं ने ही किया। चक्रवर्ती के अनुसार, घर और खेत पर महिलाओं का देश के आर्थिक विकास में लगभग 50 प्रतिशत योगदान रहता है। महिलाओं के प्रत्यक्ष योगदान एवं सक्रिय भागीदारी के परिणामस्वरूप भारत अनेक प्रकार के अनाज, फल और सब्जी के मामले में महत्वपूर्ण उत्पादक बन गया है। पशुपालन, अचार, मुरब्बे, मछली पालन, चटनी की खाद्य परिरक्षण, हथकरघा दस्तकारी जैसे कामों में ग्रामीण महिलाएँ पीछे नहीं हैं। अधिकांश महिला किसान खेतों में कार्य करने के अलावा कृषि सम्बन्धी मामलों में महत्वपूर्ण निर्णय भी लेती हैं। कृषि में उत्पादन बढ़ाने के लिये नई टैक्नोलॉजी और नवीनीकरण का महिलाओं द्वारा स्वीकार किया जाना महत्वपूर्ण बात समझी जा रही है।
कृषि में महिला सशक्तिकरण
Diese Geschichte stammt aus der September 15, 2023-Ausgabe von Modern Kheti - Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der September 15, 2023-Ausgabe von Modern Kheti - Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
बागवानी पौधशाला की स्थापना एवं प्रबंधन
बागवानी पौधशाला किसान बन्धुओं (नर्सरी) शब्द अंग्रेजी के नर्स या नर्सिंग से लिया गया है, जिसका अर्थ है- पौधों की देखभाल, पालन-पोषण और संरक्षण प्रदान करना।
सूचना संचार एवं कृषि विकास
यदि भारत को खुशहाल बनाना है, तो गांवों को भी विकसित करना होगा। आज सरकार ग्रामीण विकास, कृषि एवं भूमिहीन किसानों के कल्याण पर ज्यादा जोर दे रही है। इसलिये यह क्षेत्र बेहतरी की दिशा में परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। प्रौद्योगिकी और पारदर्शिता वर्तमान सरकार की पहचान बन गए हैं। सरकार ने अगले पांच वर्षों में किसानों की आमदनी दोगुनी करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये परम्परागत तरीकों से हटकर 'आउट-ऑफ-बॉक्स' पहल की गई है।
जैविक उत्पादों और स्थायी सामग्रियों में मशरुम माइसीलियम का योगदान
मशरूम की दुनिया में 'माइसीलियम' एक ऐसा तत्व है जो कई खाद्य, पोषण और औद्योगिक क्रांतियों का आधार बन रहा है। यह मशरूम के जीवन चक्र का वह हिस्सा है जो अदृश्य होते हुए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
उत्तम बीज की पहचान तथा विशेषताएं
भारत एक कृषि प्रधान देश है। जहां लगभग 70 प्रतिशत लोग खेती करते हैं। जो लोग खेती करते हैं, उन्हें हम अन्नदाता कहते हैं और हर एक किसान की यह इच्छा होती है कि उसकी फसल बहुत अच्छी हो और उसे लाभ की प्राप्ति हो जिससे वह अपनी पूरी लागत निकाल सकें।
बीज कानून अथॉर्टी लैटर
“Study of Seed Laws is not a problem but an opportunity to understand how legally we are soung”
लोगों के स्वास्थ्य पर दूध में मौजूद एंटीबायोटिक अवशेषों का प्रभाव
दूध की बढ़ती मांग ने उत्पादकों को व्यापक पशुपालन प्रथाओं को अपनाने के लिए मजबूर किया है। डेयरी पशुओं में विभिन्न रोग स्थितियों के उपचार के लिए पशु चिकित्सा दवाओं का उपयोग इस तरह के व्यापक पशुपालन प्रथाओं का अभिन्न अंग बन गया है।
फल-सब्जियों के स्टोर के लिए एलईडी आधारित तकनीक
आईआईटी इंदौर के शोधकर्ताओं ने मिलकर किसानों के लिए अपनी उपज अधिक समय तक स्टोर करने के लिए एक तकनीक का विकास किया है। यह एलईडी लाईट-आधारित भंडारण तकनीक है। दावा किया जा रहा है कि यह तकनीक फल और सब्जियों को सड़ने से लंबे समय तक बचाए रखती है, जिससे किसान अपनी उपज की शेल्फ लाइफ बढ़ा सकते हैं।
गेहूं की उत्तम पैदावार के लिए मैंगनीज का प्रबंधन कैसे करें?
गेहूं की उत्तम पैदावार के लिए मैंगनीज का प्रबंधन, हमारे देश में गेहूं, धान के बाद दूसरी सबसे महत्वपूर्ण खाद्यान्न फसल है। भारत में आज कुल 8.59 करोड़ टन से अधिक गेहूं का उत्पादन हो रहा है। गेहूं की औसत उत्पादन 28.0 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है, जो कि अनुसंधान संस्थानों के फार्मों पर प्राप्त तथा नई किस्मों की उत्पादन क्षमता 50 से 60 क्विंटल प्रति हैक्टेयर से अत्याधिक कम है।
टिड्डी दल के हमले का हो सकेगा पूर्व अनुमान
रेगिस्तानी टिड्डा (शिस्टोसेरका ग्रेगेरिया) खेती के लिए सबसे खतरनाक प्रवासी कीटों में से एक है, जिससे कई क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा के लिए इसका नियंत्रण जरुरी हो गया है।
आय दोगुनी करने में कृषि तकनीकी सूचना तंत्र का योगदान
आज किसानों को समय-समय पर नई कृषि तकनीकों की जानकारियां देश में इंटरनेट, दूरदर्शन या मोबाइल फोन का कृषि उत्पादन को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान है।