इस लेख में फर्टिगेशन तकनीक एवं उससे होने वाले लाभ के बारे में किसानों को बताने की कोशिश की है। फर्टिगेशन दो शब्दों फर्टिलाइजर अर्थात उर्वरक और इरिगेशन अर्थात सिंचाई से मिलकर बना है। पाइप द्वारा पौधें को बूंद-बूंद करके सिंचाई के साथ-साथ उर्वरकों को भी पौधों तक पहुंचना फर्टिगेशन कहलाता है। ड्रिप सिंचाई में जिस प्रकार ड्रिपरों के द्वारा बूंदबूंद करके जल दिया जाता है, उसी प्रकार उर्वरकों को सिंचाई जल में मिश्रित कर उर्वरक ड्रिपरों द्वारा सीधे पौधों तक पंहुचाया जा सकता है। सिंचाई पानी के साथ उर्वरकों को फसल एवं मृदा की आवश्यकताओं के अनुरूप उर्वरक व जल का समुचित स्तर बनाये रखने के लिए अच्छी तकनीक है। फर्टिगेशन द्वारा उर्वरकों को कम मात्रा में जल्दी-जल्दी और कम अन्तराल पर पूर्व नियोजित सिंचाई के साथ दे सकते हैं, इससे पौधों को आवश्यकतानुसार पोषक तत्व मिल जाते हैं और मूल्यवान उर्वरकों का निच्छालन द्वारा अपव्यय भी नहीं होता है। सामान्यतः फर्टिगेशन में तरल उर्वरकों का ही प्रयोग करते हैं परन्तु दानेदार और शुष्क उर्वरकों को भी फर्टिगेशन के द्वारा दिया जा सकता है। फर्टिगेशन के द्वारा शुष्क उर्वरकों को देने से पूर्व उनका जल में घोल बनाया जाता है। उर्वरकों के जल में घोलने की दर उनकी विलेयता और जल के तापमान पर निर्भर करती है। उर्वरकों के घोल को फर्टिगेशन से पहले छान लेना चाहिए।
फर्टिगेशन से उर्वरक देने की विधि में कार्य दक्षता निम्न प्रकार: पोषक तत्वों
फर्टिगेशन में किस प्रकार के उर्वरक का प्रयोग होता है:
Diese Geschichte stammt aus der 1st February 2024-Ausgabe von Modern Kheti - Hindi.
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सब्जियों की जैविक खेती
सब्जियों की जैविक खेती हमारे देश में हरित क्रांति के अंतर्गत सिंचाई के संसाधनों के विकास, उन्नतशील किस्मों और रासायनिक उर्वरकों एवं कृषि रक्षा रसायनों के उपयोग से फसलों के उत्पादन में काफी बढ़ोतरी हुई। लेकिन समय बीतने के साथ फसलों की उत्पादकता में स्थिरता या गिरावट आने लगी है। इसका प्रमुख कारण भूमि की उर्वराशक्ति में ह्रास होना है।
किसानों के लिए पैसे बचाने का महत्व एवं बचत के आसान सुझाव
किसानों के लिए बचत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें आर्थिक सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करती है। खेती एक जोखिम पूर्ण व्यवसाय है जिसमें मौसम, फसल की बीमारी और बाजार के उतार-चढ़ाव जैसी कई अनिश्चितताएं शामिल होती हैं।
उर्द व मूंग में एकीकृत रोग प्रबंधन
दलहनी फसलों में उर्द व मूंग का प्रमुख स्थान है। जायद में समय से बुवाई व सघन पद्धतियों को अपनाकर खेती करने से इन फसलों की अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है। जायद में पीला मौजेक रोग का प्रकोप भी कम होता है।
ढींगरी खुम्ब उत्पादन : एक लाभकारी व्यवसाय
खुम्बी एक पौष्टिक आहार है जिसमें प्रोटीन, खनिज लवण तथा विटामिन जैसे पोषक पदार्थ पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। खुम्बी में वसा की मात्रा कम होने के कारण यह हृदय रोगियों तथा कार्बोहाईड्रेट की कम मात्रा होने के कारण मधुमेह के रोगियों के लिए अच्छा आहार है। खुम्बी एक प्रकार की फफूंद होती है। इसमें क्लोरोफिल नहीं होता और इसको सीधी धूप की भी जरूरत नहीं होती बल्कि इसे बारिश और धूप से बचाकर किसी मकान या झोंपड़ी की छत के नीचे उगाया जाता है जिसमें हवा का उचित आगमन हो।
वित्तीय साक्षरता को उत्साहित करने में सोशल मीडिया की भूमिका
आधुनिक डिजिटल प्रौद्योगिकी का पूरी तरह से प्रयोग करना एवं भविष्य में वित्तीय सुरक्षा को यकीनन बनाने के लिए, प्रत्येक के लिए वित्तीय साक्षरता आवश्यक है। यह यकीनन बनाने के लिए कि आपका वित्त आपके विरुद्ध काम करने की बजाये आपके लिए काम करती है, ज्ञान एवं कुशलता की एक टूलकिट्ट की जरूरत होती है।
मेथी की उन्नत खेती एवं उत्पादन तकनीक
मेथी (Fenugreek) की खेती पूरे भारत में की जाती है। इसका सब्जी में केवल पत्तियों का प्रयोग किया जा सकता है। इसके साथ ही बीजों का प्रयोग मसाले के रूप में किया जाता है।
जैविक खादों का प्रयोग बढ़ायें
भूमि से अधिक पैदावार लेने के लिए उपजाऊ शक्ति को बनाये रखना बहुत जरूरी है। वर्ष 2025 में 30 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन के लिए लगभग 45 मिलियन टन उर्वरकों की जरूरत होगी, लेकिन एक अन्दाज के अनुसार वर्ष 2025 में 35 मिलियन टन उर्वरकों का प्रयोग किया जायेगा।
गेंदे की वैज्ञानिक खेती से लाभ
गेंदा बहुत ही उपयोगी एवं आसानी से उगाया जाने वाला फूलों का पौधा है। यह मुख्य रूप से सजावटी फसल है। यह खुले फूल, माला एवं भू-दृश्य के लिए उगाया जाता है।
विनाशकारी खरपतवार गाजरघास की रोकथाम
अवांछित पौधे जो बिना बोये ही उग जाते हैं और लाभ की तुलना में ज्यादा हानिकारक होते हैं वो खरपतवार होते हैं। खरपतवार प्राचीन काल से ही मनुष्य के लिये समस्या बने हुये हैं, खेतों में उगने पर यह फसल की पैदावार व गुणवत्ता पर विपरीत असर डालते हैं।
खेती में बुलंदियों की ओर बढ़ने वाला युवक किसान - नितिन सिंह
उत्तर प्रदेश का एग्रीकल्चर सैक्टर काफी तेजी से ग्रो कर रहा है। इस सैक्टर को लेकर सबसे खास बात यह है कि देश के युवा भी इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं। इसी क्रम में हम आपको यूपी के सीतापुर के रहने वाले एक ऐसे युवक की कहानी बताने जा रहे हैं, जो लाखों युवा किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं।