सहजन की प्रमुख किस्में:
रोहित-1: पौधारोपन के 4 से 6 महीने के बाद ये उत्पादन शुरू कर देता है और 10 साल तक व्यावसायिक उत्पादन होता रहता है। (एक साल में दो फसल)। सहजन की छड़ी गहरे हरे रंग की 45 से 60 इंच की होती है और इसका गुदा मुलायम, स्वादिष्ट होता है और इसकी गुणवत्ता भी बहुत है अच्छी है। एक पौधे से 40 से 135 साईजन मिल सकता है जो करीब तीन से दस किलो तक होता है। पौधे की पैदावार और गुणवत्ता मौसम, मिट्टी के प्रकार, सिंचाई सुविधा और पौधों के बीच अंतराल पर निर्भर करता है। इसके बाद इसकी कीमत सहजन की गुणवत्ता और मांग पर निर्भर करती है।
कोयम्बटूर-2: इसकी छड़ी की लंबाई 25 से 35 सैंमी होती है। छड़ी का रंग गहरा हरा और स्वादिष्ट होता है। प्रत्येक पौधा करीब 250 से 375 छड़ी पैदा करता है। इसकी प्रत्येक छड़ी भारी और गुद्देदार होती है। प्रत्येक पौधा तीन से चार साल तक उपज देता है। अगर पौधे से उपज पहले नहीं लिया गया तो इसका बाजार मूल्य खत्म हो जाता है।
पी.के.एम 1: पौधारोपन के बाद इसमें फूल आने लगते हैं और 8 से 9 महीने के बाद इसकी उपज शुरू हो जाती है। साल में दो बार इसकी फसल होती है। इसके पौधे से करीब 200 से 350 छड़ी पैदा होती है जो लगातार 4 से 5 साल तक उपज देती है। इसकी प्रत्येक छड़ी लंबाई में बड़ी होती है और स्थानीय बाजार के मुकाबले इसकी मांग खासकर बड़े शहरों में होती है।
पी.के.एम 2: इस किस्म की कच्ची छड़ी का रंग हरा होता है और स्वादिष्ट होता है। प्रत्येक छड़ी की लंबाई 45 से 75 सैंमी होती है। प्रत्येक पौधा करीब 300 से 400 छड़ी पैदा करता है। यह किस्म अच्छी किस्म की फसल पैदा करता है लेकिन इसमें ज्यादा पानी की जरूरत होती है।
Diese Geschichte stammt aus der 15th February 2024-Ausgabe von Modern Kheti - Hindi.
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।