हरित क्रांति से पहले किसान भाई फसलों में खाद्य तत्वों की पूर्ति के लिए सिर्फ गोबर खाद पर ही निर्भर करते थे। गोबर संभालने के लिए सरकार की ओर से हर घर में गांव से बाहर जगह दी गई थी जहां किसानों को देसी खाद तैयार करने के लिए गड्ढे बनाकर दिए गए ताकि बढ़िया देसी खाद तैयार हो सके। रूढ़ी को खूले स्थान पर रखना एक कानूनी अपराध था परन्तु हरित क्रांति से पहले फसलों का अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों से गुणवत्ता भरपूर उत्पादन लेने के लिए अधिक मात्रा में खाद्य तत्व प्रयोग करने की जरुरत थी। इसलिए किसानों को रासायनिक खादों का प्रयोग करने के लिए विवश होना पड़ा। समय के साथ रासायनिक खादों का प्रयोग बढ़ने लगा और जैविक खादों के प्रयोग एवं संभाल के प्रति दिलचस्पी कम होती गई। इस समय घनी खेती (फसली घनता = 196%) के कारण भूमि की उपजाऊ शक्ति पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। कृषि खोज बताती है कि फसलों से अधिक उत्पादन लेने के लिए एवं भूमि की उपजाऊ शक्ति को सदीवी बरकरार रखने के लिए रासायनिक खादों के साथ-साथ जैविक खादों का प्रयोग भी आवश्यक है। भूमि की उपजाऊ शक्ति को बनाये रखने के लिए देसी खादों का बहुत महत्व है। इसलिए निवेदन किया जाता है कि किसान भाई इसके रख-रखाव एवं प्रयोग की ओर विशेष ध्यान दें।
भूमि देश की दौलत है। भारत जैसे देश की आर्थिकता कृषि पर निर्भर करती है। ऐसे में भूमि की सेहत पर सीधा प्रभाव पड़ता है। हरित क्रांति से पहले रासायनिक खादों का प्रयोग भारत में नहीं किया जाता।
रासायनिक खादों का प्रयोग एवं प्रभाव:
Diese Geschichte stammt aus der 15th March 2024-Ausgabe von Modern Kheti - Hindi.
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।