पशुपालकों के लिए सिरदर्द पशु का पीछा मारना
Modern Kheti - Hindi|15th March 2024
दुधारू पशुपालन का व्यवसाय आज बहुत सारे किसान भाइयों के लिए मुक्य व्यवसाय बन चुका है। इसमें होने वाले आर्थिक लाभ से किसानों की उन्नति हो सकती है। आज के समय में बहुत से डेयरी कार्य पर महंगे से महंगे अच्छी नस्ल के पशु रखे जाते हैं।
मनोज कुमार शर्मा, हरीश कुमार शर्मा एवं राजेश कसरीजा
पशुपालकों के लिए सिरदर्द पशु का पीछा मारना

तकनीकी जानकारी न होने/कम होने की स्थिति में पशुपालक घाटे का शिकार भी हो सकते हैं। डेयरी में अधिक से अधिक लाभ के लिए पशु की प्रजनन सेहत का ठीक होना बहुत जरूरी है। इस लेख में पशुओं की ऐसी बीमारी-पशु का पीछा मारना या जननांगों का बाहर आना, का जिक्र किया जा रहा है जो कि डेयरी पशुओं में अकसर पाई जाती है। इसके इलाज में पशुपालक का काफी खर्चा आता है और यह पशुपालक के लिए एक सिरदर्द साबित होता है। इस समस्या से निपटने के लिए इसके कारणों के बारे में जानकारी होना अति आवश्यक है। पशु के पीछा मारने के मुख्य कारण:

1. पशु आहार संबंधी कारण: हरे चारे जैसे कि बरसीम, लूसर्न इत्यादि में इस्ट्रोजन नामक हार्मोन (रसायन) अधिक मात्रा में होता है। हरे चारे में फफूंद (इर्गोट) लगने से भी, इस रसायन की मात्रा बढ़ जाती है। बरसात के दिनों में दाने में फफूंद लगने से भी इस रसायन की मात्रा बढ़ जाती है। यह रसायन पशु के जननांगों की मासपेशियों को ढीली कर देता है जिसमें पशु की बच्चेदानी एवं योनि बाहर आ जाती है।

Diese Geschichte stammt aus der 15th March 2024-Ausgabe von Modern Kheti - Hindi.

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