क्षारीय भूमि का सुधार एवं प्रबंधन
Modern Kheti - Hindi|15th May 2024
देश की बढ़ती हुई जनसंख्या की पोषण समस्या भारतीय कृषि के लिए एक बुहत बड़ी चुनौती बनती जा रही है। इस बढ़ती हुई जनसंख्या के भरण पोषण के लिए यह अति आवश्यक है कि जो भूमि खेती के उपयोग में नहीं है, उसको ठीक करके खेती योग्य बनाया जाए। इसी के अंतरगत क्षारीय भूमि को ठीक कर कृषि योग्य बनाना अति आवश्यक है क्योंकि भूमि की उत्पादन क्षमता सीमित है और इस प्रकार की भूमि को सुधार कर फसलों के उपयुक्त बनाना ही एकमात्र विकल्प है।
डॉ. एम. के. सिंह, डॉ. कविता, डॉ. बलबान सिंह मंडल एवं डॉ. ललिता रानी
क्षारीय भूमि का सुधार एवं प्रबंधन

क्षारीय भूमि की मृदाओं का पी. एच. मान 8.5 से अधिक व संतृप्त निष्कर्ष की विद्युत चालकता 4 डेसी साइमन प्रति मीटर से कम होती है तथा विनिमयशील सोडियम 15 प्रतिशत से अधिक होता है। घुलनशील लवणों में सोडियम की प्रधानता के कारण मृदा कणों का प्रकीर्णन हो जाता है जिससे इन मृदाओं की भौतिक दशा खराब हो जाती है। क्षारीयता पौधों की जड़ों तक पानी की आपूर्ति को सीमित करता है जिस कारण पौधों की जड़ों के विकास में बाधा आती है । इसके परिणामस्वरूप फास्फोरस और जिंक की पौधों में कमी हो जाती है। इसके अलावा लोहे की कमी तथा बोरान विषाक्तता भी पाई जाती है। क्षारीयता से क्षतिग्रस्त होने पर पौधों में मिट्टी से आवश्यक पोषक तत्व निकालने की क्षमता कम हो जाती है जिस कारण पौधा सही से बढ़वार नहीं ले पाता। 

क्षारीय भूमि का सुधार एवं प्रबंधन : 

1. खेतों की मेढ़बंदी व समतलीकरण करना

मेढ़बंदी का मुख्य उद्देश्य है कि जब खेतों का सुधार कर रहे हो तो दूसरे खेत जिसमें सुधार प्रक्रिया नहीं कर रहे, उसका पानी खेत में न आ सके। दूसरा सुधारक डालने के बाद पानी खेत से बहार न जा सके। इसलिए खेत के चारों तरफ लगभग 45-60 सैंटीमीटर ऊंची मेढ़ को बनायें।

भूमि का समतलीकरण करना भी अति आवश्यक है ताकि लवण निक्षालन की प्रक्रिया खेत की जमीन पर एक सामान हो सके। यदि खेत का समतलीकरण ठीक से नहीं हुआ तो लवण निक्षालन की प्रक्रिया एक समान नहीं होगी जिससे पौधों का बढ़वार एक समान नहीं होगा। खेतों का समतलीकरण लेजर लेबलर की सहायता से करें व ध्यान रखें कि खेत का ढलान 0.1 प्रतिशत हो तो उत्तम है। भूमि सुधार की यह प्रक्रिया जनवरी से मार्च तक पूरा करें।

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