स्थानीय मांग के अनुसार विभिन्न क्षेत्रों व प्रांतों में बैंगन की अलगअलग किस्में लगाई जाती है। भारतीय जन समुदाय में बैंगन की मांग 12 महीने बनी रहती है। भारत वर्ष में बैंगन की सब्जी बहुत प्रसिद्ध है। इसे भिन्न-भिन्न तरीकों से बनाया जाता है जैसे कि बैंगन का भर्ता, भरवा बैंगन, आलू-बैंगन की सब्जी, कलौंजी, फ्राई बैंगन तथा छोटे बैंगनों का प्रयोग सांभर बनाने में किया जाता है। उत्तर भारत के क्षेत्र में बैंगन का चोखा बहुत प्रचलित है। बैंगन को विटामिन ए तथा बी के अलावा कैल्शियम फास्फोरस और लोहे जैसे खनिजों का अच्छा स्रोत माना जाता है। कम लागत में अधिक उपज व आमदनी के लिए उन्नतशील किस्म एवं वैज्ञानिक तरीकों से खेती करना आवश्यक है। बैंगन की फसल अन्य फसलों से ज्यादा सख्त होती है। इसके सख्त होने के कारण इसे शुष्क और कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है। बैंगन की फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए इसे गर्म मौसम में लगाया जाता है। ठंड के मौसम में कम तापमान होने के कारण फलों की विकृति का कारण बनता है। बैंगन की नर्सरी लगाते समय 25 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए जिससे बीजों का अंकुरण अच्छा होता है तथा अच्छे उत्पादन के लिए 15 से 25 डिग्री तापमान होना चाहिए। यदि तापमान 15 डिग्री से कम या 25 डिग्री से ज्यादा है तो पौधों पर फूल बनना बंद हो जाता है और इस अवस्था में यदि फूल आते भी हैं तो वह भी गिर जाते हैं जब तापमान 18 डिग्री सेल्सियस से कम हो तो ऐसे समय में पौधों की रोपाई नहीं करनी चाहिए। लंबे फल वाली किस्मों की अपेक्षा गोल फल वाली किस्में पाले के लिए सहनशील होती हैं तथा अधिक पाले के कारण पौधे भी मर जाते हैं या झाड़ीनुमा हो जाते हैं।
Diese Geschichte stammt aus der 15th August 2024-Ausgabe von Modern Kheti - Hindi.
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।