बैंगन लगायें मुनाफा कमाएं
Modern Kheti - Hindi|15th August 2024
बैंगन (सोलेनम मैंलोजेना) सोलेनेसी जाति की फसल है जो कि आलू के बाद दूसरी सबसे अधिक खपत वाली सब्जी की फसल है। बैंगन की खेती प्राचीन काल से भारत में होती आ रही है बैंगन की खेती साल भर की जाती है।
डॉ. गुरनाम सिंह, डॉ. राजेश लाठर, डॉ. श्रीदेवी एवं डॉ. वंदना
बैंगन लगायें मुनाफा कमाएं

स्थानीय मांग के अनुसार विभिन्न क्षेत्रों व प्रांतों में बैंगन की अलगअलग किस्में लगाई जाती है। भारतीय जन समुदाय में बैंगन की मांग 12 महीने बनी रहती है। भारत वर्ष में बैंगन की सब्जी बहुत प्रसिद्ध है। इसे भिन्न-भिन्न तरीकों से बनाया जाता है जैसे कि बैंगन का भर्ता, भरवा बैंगन, आलू-बैंगन की सब्जी, कलौंजी, फ्राई बैंगन तथा छोटे बैंगनों का प्रयोग सांभर बनाने में किया जाता है। उत्तर भारत के क्षेत्र में बैंगन का चोखा बहुत प्रचलित है। बैंगन को विटामिन ए तथा बी के अलावा कैल्शियम फास्फोरस और लोहे जैसे खनिजों का अच्छा स्रोत माना जाता है। कम लागत में अधिक उपज व आमदनी के लिए उन्नतशील किस्म एवं वैज्ञानिक तरीकों से खेती करना आवश्यक है। बैंगन की फसल अन्य फसलों से ज्यादा सख्त होती है। इसके सख्त होने के कारण इसे शुष्क और कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है। बैंगन की फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए इसे गर्म मौसम में लगाया जाता है। ठंड के मौसम में कम तापमान होने के कारण फलों की विकृति का कारण बनता है। बैंगन की नर्सरी लगाते समय 25 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए जिससे बीजों का अंकुरण अच्छा होता है तथा अच्छे उत्पादन के लिए 15 से 25 डिग्री तापमान होना चाहिए। यदि तापमान 15 डिग्री से कम या 25 डिग्री से ज्यादा है तो पौधों पर फूल बनना बंद हो जाता है और इस अवस्था में यदि फूल आते भी हैं तो वह भी गिर जाते हैं जब तापमान 18 डिग्री सेल्सियस से कम हो तो ऐसे समय में पौधों की रोपाई नहीं करनी चाहिए। लंबे फल वाली किस्मों की अपेक्षा गोल फल वाली किस्में पाले के लिए सहनशील होती हैं तथा अधिक पाले के कारण पौधे भी मर जाते हैं या झाड़ीनुमा हो जाते हैं।

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