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नन्हा जासूस
रम्मा क्रोध से बोली , “जा-जा, भाग यहां से। चंदा वंदा नहीं मिलेगा। न जाने सुबह सुबह कहां से चले आते हैं!
रंगीन हो गई होली
जैसे-जैसे होली का त्योहार नजदीक आ रहा था, चारों ओर उसी की चर्चा हो रही थी। कोई होली पर बनाए व खाए जाने वाले पकवानों की बात कर रहा था, तो कोई होली खेलते वक्त गाए जाने वाले गीतों को याद कर रहा था।
बडा हो गया आरव
आरव अब बड़ा हो गया है, बस दस साल की उम्र में उसने जिम्मेदारी सिख ली।
जाड़े की बारिश
टप-टप टिप-टिपपानी बरसा,इस बार मगरजाड़े में बरसा ।
ठंड में जानवर क्या करते हैं ?
कड़ाके की ठंड का प्रभाव हर जीव पर पड़ता है। यह अलग बात है कि हर किसी के शरीर का अलग ढांचा है। किसी के लिए बर्फीला मौसम खुशियों भरा होता है, तो किसी के लिए बर्फीली हवाओं को सहन करना मुश्किल होता है। बहुत सर्दी में कुछ जीव बीमार पड़ जाते हैं, बहुत से मर भी जाते हैं । वैसे कुदरती तौर पर जानवरों को हर मौसम में जीने के तरीके भी आते हैं।
फुटबॉल का खिलाड़ी
गुनगुनकी मम्मी जैसे ही रसोई से बाहर बरामदे में आईं, तभी धड़ाम से फुटबॉल उनके सिर में लगी। मम्मी कराह उठीं, “हाय! मर गई।” फिर वह गुस्से में भरकर बोली, “गुनगुन! देखकर नहीं खेल सकते क्या ?"
तेनालीराम- कैसा नाटक
तेनालीराम पानी में डूबा घर वालो का रो रो कर बुरा हाल
जरा बताओ तो...
1. भारत के वायु सेनाध्यक्ष का नाम बताओ?क. बी. एस. धनोआ, ख. हरिजीत सिंह अरोड़ा, ग.राकेश कुमार सिंह भदौरिया, घ. अजीत सिंह
हरी-भरी दुनिया की सैर
जैसे हम इनसानों की बस्ती में कई तरह के लोग रहते हैं । वैसे ही एक पेड़ कई तरह के जीव जंतुओं का घर होता है । इसीलिए इन पेड़ों में शाम ढले जीव जंतुओं का पूरा एक मोहल्ला मिलेगा तुम्हें । आओ चलें इस मोहल्ले की सैर पर ।
टेक्नो अंकल से पूछो
क्या डेस्कटॉप आइकन को छिपाया और एडिट भी किया जा सकता है ?
दोस्ती का रंग
मोहल्ले में फागुन का असर दिखाई देने लगा था। जगह-जगह रंगीन गुब्बारे, सुंदर टोपियां और अबीर-गुलाल बिकने लगे थे।
जादू थियेटर का
नाटक बच्चों के जीवन में बहुत जरूरी है। जीवन में सफल होने के कई गुण बच्चे खेल-खेल में नाटक में भाग लेते हुए सीख जाते हैं। नाटक बच्चों को संयम के साथ जीवन में आगे बढ़ने की राह दिखाता है। अब बच्चे बढ़-चढ़कर नाटकों में भाग लेने लगे हैं, जो नाटकों के फिर से लोकप्रिय होने की निशानी है। स्कूलों में भी नाटक करने के लिए ह बच्चों को प्रोत्माहित करना चाहिए।
चींचू बन गया दोस्त
सुबह-सवेरे पक्षियों के लिए छत पर दाना और पानी रखना गुड्डू की मम्मी का रोज का नियम था । तरह-तरह के पक्षी छत पर आते और दाना चुगते थे । उनकी आवाज से गुड्डू की नींद खुल जाती ।
सामने वाला घर
जब सामने वाले खाली घर में सामान से भरा ट्रक आकर रुक तो पूर्वा और पूशन को ऐसा लगा, जैसे उनके घर में चोर आ गए लगभग दो सालों से सामने वाला घर खाली था। घर के बाहर बहु बड़ा लॉन था और वहां तरह-तरह के पेड़ थे।
चूंचूं की शर्त
बात उस समय की है, जब चिड़िया केवल जंगल में ही पेड़ पर घोंसला बनाकर रहती थी। एक दिन हवा के तेज झोंके से पेड़ गिर गया। उस पेड़ पर बना सोन चिरैया का घोंसला भी उजड़ गया।
टेक्नो अंकल से पूछो
मैंने यूट्यूब के बारे में काफी सुना है। मैंने पढ़ा है कि कुछ लोग तो पूरी तरह से यूट्यूब में व्यस्त हैं। इनके फॉलोअर भी लाखों में हैं। मेरा सवाल यह है कि कैसे अपने यूट्यूब चैनल को लोकप्रिय बनाया जाए कि आगे चलकर मेरे चैनल के भी सब्सक्राइबर लाखों में हों।
छोटा मन
मीता बहुत छोटी थी। वह सातवीं कक्षा में पढ़ती थी परन्तु वह दूसरी कक्षा में पढ़ने वाली बच्ची जैसी ही लगती थी। इसी वजह से उसके कोई दोस्त नहीं बनते थे। पर मीता का मानना था की 'शिक्षा ही मेरा बल है '
चिड़ियों का मोहल्ला
शेखू और अन्नू के एग्जाम हो चुके थे । स्कूल में कुछ दिन की छुट्टियां हो गईं । छुट्टियों के बाद परिणाम निकलना था । उनकी मम्मी ने दोनों को बुलाया और कहा, “ कल से रोज सुबह और शाम हम तीनों घूमने जाया करेंगे ।
साधु ने कहा
'चंद्रनगर के विक्रमसिंह पराक्रमी एवं उदार दिल वाले राजा थे। उनका राज्य चंद्रनगर धरती पर स्वर्ग जैसा था। प्रजा बहुत सुखी थी। किसी को कोई भी अभाव न था।
घर बन गया
उस दिन सर्दी बहुत ज्यादा थी। घर के कोने में पड़ी अपनी कुल्हाड़ी उठाते समय दावा शेरपा ने सोचा, “यदि आज कोई सीधा पेड़ काटने को मिल जाए, तो काफी पैसे मिल जाएंगे ।"
जुगाडू चूहा
जब कोई शहरी चूहा जंगल में रहने जाता है, तो पता है उसे क्या कहते हैं ? कम से कम जंगल में रहने वाले नई पीढ़ी के चूहे तो उसे शूहा कहकर बुलाते हैं। तो ऐसा ही एक शूहा है प्यारेलाल । नाम एकदम गांव वाला, पर ठाठ साहबों वाले।
चूहों की दावत
एक बांस के जंगल में वर्ष में एक बार ही वनफूल खिलता था, जिसे एक दिन चाऊ और माऊ चूहे दंपती ने देखा | उसे तोड़कर वे गणेशजी के मंदिर में जाकर श्रद्धा से चढ़ा आए। और फिर !
चक्रम बना जंबू
सूंदर वन में चक्रम नामक हाथी कपड़े का बहुत बड़ा व्यापारी था । उसे सब चक्रम सेठ के नाम से जानते थे । उसकी कपड़ों की बहुत बड़ी दुकान थी, जहां हर प्रकार के कपड़े मिलते थे । चंपक वन ही नहीं, पड़ोसी वनों के जानवर भी वहीं कपड़े खरीदने आते थे ।
सर्दी में रंग बदलती प्रकृति
वसंत ऋतु के आते ही धरती पर जैसे रंग-बिरंगे फूलों की चादर सी बिछने लगती है। महकते फूल हर किसी को अपनी ओर खींच लेते हैं। आओ जानें कि फूलों की इस मनमोहक दुनिया का क्या है जादू।
खुल गया भेद
क्रिसमस की रात , हैरी को हर बार सैंटा प्यारा सा तोहफा दे जाते थे । वह अपना उपहार अपनी दीदी और मम्मी पापा को दिखाता । उसकी खुशी देखकर उसके मम्मी पापा और दीदी को बहुत अच्छा लगता था ।
जानवर भी कर सकते हैं रंगों से कलाकारी
पेंटिंग करने का शौक सिर्फ इनसानों तक ही सीमित नहीं है। अगर जानवरों को ट्रेनिंग दी जाए, तो वे भी कर सकते हैं रंगों से कलाकारी हैरान हो गए न! चलो, आज मिलवाते हैं कुछ ऐसे ही जानवरों से, जो सचमुच में करते हैं कलाकारी।
गिन्नी बनी हीरोइन
गिन्नी एक नन्ही सी खरगोश थी। अपनी मधुर बातों से वह सुंदरवन में सबका मन मोह लेती, और शायद इसी वजह से वो अब हीरोइन बन गई।
घर का खाना
पहले दादी, फिर मम्मी सब गुस्सा हो रही थीं, घर के नीचे खुले नए ढाबे वाले पर । दादी का कहना था, “ देख लेना, गंदगी फैलाकर रख देगा चार दिन में!"
फूल और पौधे भी करते हैं बातें
क्या तुम्हें पता है कि इनसानों की तरह पेड़-पौधे भी आपस में बातें करते हैं! वे हमारी बात समझ सकते हैं। पेड़-पौधों को संगीत सुनना भी पसंद है। पेड़ फूलों के माध्यम से बातचीत करते हैं। आओ, पेड़- पौधों के बीच होने वाली मजेदार बातों के बारे में जानें।
क्रिसमस का उपहार
बलरामपुर एक छोटा सा पहाड़ी कस्बा था । उस कस्बे के बीचो बीच एक खेल का मैदान था । अमीर हो या गरीब , वहां शाम को कस्बे के सब बच्चे इकट्ठे होते और क्रिकेट खेला करते।