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खोई-पाई चीज़ों से बुनाई
घर में जब भी सफाई होती है तो मेरी माँ मुझे ज़रूर डाँटती हैं कि ये क्या कबाड़ इकट्ठा कर रखा है। अब भला उन्हें कैसे समझाऊँ कि वो कबाड़ नहीं, बल्कि काम की ही चीजें हैं।
कैमरे के लैंस से वाइल्डलाइफ अडवेन्चर
जंगलों में घूमना, बाघ, हाथी, नाग जैसे जानवरों को करीब से देखना, उनकी फोटो निकालना ये था बेदी ब्रदर्स का बचपन। बड़े होकर बेदी ब्रदर्स भारत के जानेमाने वाइल्डलाइफ फिल्ममेकर और फोटोग्राफर बने। बेदी खानदान की तीन पुरतें इसी फील्ड में हैं उनके पिता रमेश बेदी नामचीन वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर और लेखक थे, बेटे नरेश व राजेश बेदी अपने फिल्मों और फोटो के लिए मशहूर हैं और उनके बेटे भी इसी रास्ते पर चल रहे हैं। पिछले चार दशकों से देश के लुप्त हो रहे जानवटों, खासकर बड़े जानवरों पर बेदी ब्रदर्स ने अनेक फिल्में बनाई हैं। उनकी तमन्ना थी कि वे आसमान से जंगलों की फिल्मिंग करें। और 2013 में दोनों भाइयों ने दूरदर्शन प्रसार के साथ मिलकर एक ऐसी सीटीज़ निकाली जिसमें उन्होंने यही किया। इस सीटीज़ का नाम था वाइल्ड अडवेन्चर्स बलूनिंग विथ बेदी ब्रदसी जनवटी में भोपाल लिटरेचर फेस्टिवल में बेदी बन्धुओं ने भी भाग लिया था। इस मौके पर उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश यहाँ प्रस्तुत हैं:
अपना धर्म छोड़ना
मैं तब चालीस साल, पाँच महीने और सत्रह दिन का था। गर्मियों की एक शाम मैं पटना में था। पटना मेरे लिए बिलकुल नया शहर था। यहाँ मुझे कोई नहीं जानता था। इसलिए मैं जो करना चाह रहा था उसे करने के लिहाज़ से यह बिलकुल मुफीद जगह थी। दुकानों पर लगे बोर्ड पढ़ते हुए मैं आगे बढ़ता जा रहा था। और आखिरकार मुझे वो जगह मिल ही गई बाल कटाने का सैलून।
टिड्डियाँ और हम
अप्रैल-मई में तुमने भारत में टिड्डी दलों के हमले के बारे में सुना होगा। राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों से होते हुए पहले ये मध्यप्रदेश के कई जिलों में और अब आगरा-दिल्ली में दिख रहे हैं।
बदल गया फौक्सी
ग्रीनवुड फौरेस्ट की पहाड़ी पर फौक्सी लोमड़ रहता था. अन्य जानवरों से वह शरारत किया करता था और ऐसा करने में उसे मजा आता था.
जबीन की साइकिल
सोनवन का जंगल सब से बड़े जंगलों में से एक था. साल में एक बार सोनवन में वन महोत्सव का आयोजन किया जाता था. जहां विभिन्न प्रतियोगिताओं को आयोजित किया जाता था. सोनवन का वन महोत्सव आसपास के सभी वनों में प्रसिद्ध था. वन महोत्सव देखने दूरदूर से जानवर सोनवन पहुंचते थे.
कोरोना का डर
चंपकवन के निवासी कोरोना बीमारी के कारण काफी डरे हुए थे.
निसर्ग का कहर
निसर्ग तूफान ने रायगढ़ जिले में कहर ढाया था. जिले के कई घरों की दीवारों और छतों को नष्ट कर दिया था. विनीत और उस की फैमिली टीवी पर न्यूज देख रहे थे, क्योंकि विनीत का गांव भी रायगढ़ जिले का ही एक गांव श्रीवर्धन था.
राखी मैं बांधूंगा
श्रेयांश ने झट से थाली उठाई और बोला, “दीदी, आप को राखी मैं बांधूंगा.'' इस का समृद्धि ने विरोध किया और उस के हाथ से थाली छीन ली, "नहीं, राखी मैं बांधूंगी.
இரண்டு நண்பர்களின் கதை!
ரெக்ஸி என்னும் முயல் தனது பொன்னிற ரோமம் மீது மிகவும் பெருமை கொள்கிறது. தனது பெரிய மீசை மீதும் பிரமிப்படைகிறது. பெருமையுடனும் கர்வத்துடனும் இருந்த முயல் வேறு விலங்குகளுடனும் பேசவில்லை. அதுவே ரெக்ஸிக்கு நண்பர்கள் இல்லாததற்கான காரணம்,
ஃபாக்சியின் மாற்றம்!
ஃபாக்சி நரி க்ரீன்வுட் காட்டில் வசித்து வந்தது. அது மற்ற மிருகங்களிடம் பொய்யான காரணங்களை கூறி ஏமாற்றி விளையாடும்.
கொரோனா பயம்!
மிக்கி எலி பிளாக்கி கரடியின் கடைக்கு சென்று சாமான்களும், காய்கறிகளும் வாங்க மார்க்கெட் சென்றது.
நிசார்கின் கோபம்!
நிசார்கில் ஏற்பட்ட சூறாவளி மகாராஷ்ட்ராவின் ராய்கட் மாவட்டத்தில் உள்ள பல மரங்களையும், வீட்டின் சுவர்கள் மற்றும் மேற்கூரையையும் சேதமடைய செய்தது. வினித் மற்றும் அவனது பெற்றோர் இந்த செய்தியை தொலைக்காட்சியில் மும்பையில் இருந்து கண்டனர். வினித்தின் கிராமம், ஸ்ரீவர்தன் ராய்கட் மாவட்டத்தில் உள்ளது.
நாம் மற்றும் அவை
கிளிகள் சாதாரணமாக சொல்வதை திருப்பி சொல்லும். அது நாய் குரைப்பதையும் செக்யூரிட்டி அலர்ட் சப்தத்தை நகல் எடுக்கும்.
பேங்கி பேங்கோலின்!
லிப்பி சிங்கம் இரவு நேரத்தில் ஆத்திரமாக முணுமுணுத்தபடி ஓடி வந்தது. அதை பார்த்த ரிங்கி முயல் என்ன விஷயம் என்று கேட்டது.
ஜபீனின் சைக்கிள் ரேஸ்!
சோனாவனம் மிகப் பெரிய காடு. அதன் ராஜா ஜிம்போ கொரில்லா ஒவ்வொரு வருடமும் 5 நாட்கள் வனத்தில் பல போட்டிகள் நடத்தி விழா கொண்டாடுவது வழக்கம்.
ரக்ஷா பந்தன்!
ஷியாம் தன் அக்கா ரம்யாவிடம், அக்கா இன்று ரக்ஷா பந்தன்.
मनु की अंतरिक्ष यात्रा
अंतरिक्ष! मनु को यह शब्द बार-बार अपनी ओर आकर्षित करता। उसने अपनी किताब में पढ़ा था कि कैसे अंतरिक्ष में चीजें बिना किसी रोक-टोक के चलती रहती हैं। ना तो वहां दिन-रात का पहरा है और ना ही किसी दूसरी तरह की रोक-टोक क्लास में टीचरके बनाए अंतरिक्ष के चित्र ने उसके कोमल मन को अपना बना लिया था। वह घर आते-आते अंतरिक्ष के बारे में सोच रहा था। मनु अंतरिक्ष के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानना चाहता था।
आजादी के स्मारक
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत 1857 में हुई और इसके 90 साल बाद भारत स्वतंत्र हुआ। इस बीच अनगिनत लोगों ने इस आंदोलन में भाग लिया। भगत सिंह जैसे देशभक्तों ने अपने प्राणों की बाजी लगाई, तो मोतीलाल नेहरू जैसों ने अपना घर इस आंदोलन के नाम कर दिया। कई स्मारक हैं, जो इस आंदोलन की याद आज भी ताजा करते हैं
देशभक्ति की फिल्में
पूरे विश्व में देशभक्ति की फिल्में बनती हैं और पसंद की जाती हैं। खासतौर पर उन देशों में जो कभी न कभी गुलाम रहे हों। देशभक्ति की फिल्में आज के समय में लोगों को याद दिलाती हैं कि इस देश को आजाद कराने के लिए देश के लोगों ने कैसे-कैसे बलिदान दिए हैं।
वर्फेन में है दुनिया की सबसे बड़ी बर्फानी गुफा
ऑस्ट्रिया के वर्फेन में एक ऐसी बर्फानी गुफा है, जहां शिवलिंग जैसी बहुत विशाल आकृति बनती है। गुफा में इसके अलावा कई और भी आकृतियां बनती हैं।
अनजाना खतरा
राज क्रिकेट बैट लहराते हुए, सिर पर टोपी लगाए अपने घर से बाहर निकला और अपने दोस्त विनीत के घर की ओर भागा. जैसे ही उस ने डोरबैल बजाई, विनीत ने तुरंत दरवाजा खोल दिया.
ध्रुव का गुब्बारा
ध्रुव बहुत गरीब घर से था. उस के पापा मजदूरी 'करते थे और मम्मी लोगों के घरों में चौकाबर्तन करती थीं. वह स्कूल जाना चाहता था, लेकिन उस के पापा के पास इतने रुपए नहीं थे कि वे उसे स्कूल में पढ़ा सकें. वे जितना कमाते सब खानेपीने में ही खर्च हो जाता.
किंजल का नया स्कूल
लौकडाउन के कारण देशभर के सभी स्कूल बंद कर दिए गए थे, लेकिन जुलाई और अगस्त में बड़ी क्लास के बच्चों के स्कूल कुछ शहरों में फिर से खुल रहे थे. सब बच्चे स्कूल की तैयारी में जुट गए थे.
जब अंदाजा नहीं लगा
चंपकवन पब्लिक स्कूल चंपकवन के प्रतिष्टित स्कूलों में से एक था. सभी पैरेंट्स चाहते थे कि उन के बच्चे वहां पढ़ें, क्योंकि इस में कई अच्छे शिक्षक और सुविधाएं थीं. टोटो कछुआ भी इसी स्कूल का छात्र था. हालांकि वह धीरेधीरे आगे बढ़ा, उस का दिमाग काफी तेज था और वह होनहार छात्र था. वह अपनी कक्षा में हमेशा प्रथम आता था.
भीलवाड़ा मौडल
राघव बहुत परेशान था. इम्तिहान सिर पर थे और पापा का ट्रांसफर दूसरे शहर में हो गया था. मां को अच्छा नहीं लग रहा था और उन की तबीयत ठीक नहीं थी उन से कोई काम नहीं हो पा रहा था. उन्हें अभी आराम की बहुत आवश्यकता थी. घर में कोई देखभाल करने वाला नहीं था और आज खबर मिली थी कि उन के कुछ रिश्तेदार उन से मिलने आ रहे हैं.
உண்மையே மேன்மை!
பிஞ்சுகளே... பிஞ்சுகளே...
கொரோனா எப்போது ஒழியும்? கடவுளுக்குத்தான் தெரியுமா?
கடவுள் நம்பிக்கை என்பது பகுத்தறிந்து பார் க்காமல் ஏன்? எப்படி? என்று வினா எழுப்பி விடை காணாமல், அப்படியே ஏற்றுக் கொள்வதால் வருவதாகும்.
ஜோ ஜோ ரேபிட்
இரண்டாம் உலகப் போருக்கு முக்கியக் காரணமாக இருந்த ஜெர்மனியில் நடைபெற்ற கொடுமையான நிகழ்வுகளை, கொஞ்சம் கிண்டலான நாடகம் போல, நகைச்சுவையாகப் புரிய வைத்திருக்கிறது இந்தத் திரைப்படம்.
தீப்பெட்டி தந்திரம்
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