मूलरूप से हरियाणा के रोहतक के बालद गांव की रहने वाली मोनिका बेहद खूबसूरत थी. वह अपने मौसामौसी के साथ सोनीपत के गांव गुमड़ में रह कर पढ़ाई कर रही थी. वह दिल्ली विश्वविद्यालय में बीए की छात्रा थी. क्लास के लिए वह गुमड़ से बस द्वारा दिल्ली आतीजाती थी. छुट्टी के दिनों को छोड़ कर करीब 40 किलोमीटर का सफर वह अकेली तय करती थी. उस पर पढ़ाई का भूत सवार था. वह फाइनल ईयर में थी. आगे वह सीधे विदेश में जा कर पढ़ाई करने का मन बना चुकी थी. वहीं मैनेजमेंट का कोई अच्छा कोर्स करने की महत्त्वाकांक्षा थी. उस की तमन्ना पूरी करने के लिए उसे 2 परिवारों का साथ भी मिला हुआ था.
उन में एक उस के अपने मम्मीपापा थे और दूसरा परिवार उस के मौसामौसी का भी था. वह 2 मौसेरे भाइयों की दुलारी, प्यारी इकलौती बहन थी. उस की मौसी रोशनी ने उस की मां से मांग कर अपनी बेटी का नाम दे दिया था.
सब कुछ ठीकठाक चल रहा था. मोनिका बीए की पढ़ाई के साथसाथ आइलेट्स अर्थात इंटरनैशनल इग्लिश लैंग्वेज टेस्टिंग सिस्टम कंप्यूटर के लिए कोचिंग भी कर रही थी. इस तरह से उस पर पढ़ाई का काफी बोझ था. ऊपर से बस से थका देने वाला सफर भी तय करना होता था.
Diese Geschichte stammt aus der June 2023-Ausgabe von Manohar Kahaniyan.
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