मोनिका पूरी रात इसी उलझन में फंसी रही कि वह सुरेंद्र को क्या जवाब दे. सुरेंद्र को उस ने 2 साल में अच्छी तरह पहचान और समझ लिया था. उस की उम्र जरूर 42 साल की हो गई थी, लेकिन उस में बच्चों जैसी मासूमियत और भोलापन था. युवकों की तरह वह फुरतीला, जोशीला और जांबाज था तो उस में चंचल, शोख और मस्तानापन भी था.
सुरेंद्र राणा नरमगरम स्वभाव का व्यक्ति था. प्यार के लिए गिड़गिड़ाना भी उसे आता था. ऐसे व्यक्ति से शादी का इजहार करने में कोई बुराई नहीं हो सकती थी. शादी के बाद सुरेंद्र उसे रानी बना कर रखने वाला था और उस के द्वारा पुलिस की नौकरी करने में भी उसे कोई आपत्ति नहीं थी. मोनिका ने अच्छी तरह सोच कर फैसला ले लिया कि वह सुरेंद्र को शादी के लिए 'हां' बोल देगी.
लेकिन इस के लिए वह अपने घर वालों से बात करेगी. सुरेंद्र को भी परिवार के लोगों से मिलवाएगी. सब कुछ प्लान कर के रात के अंतिम पहर में इत्मीनान से सो गई. सुरेंद्र राणा दिल्ली पुलिस में हैडकांस्टेबल था. वह सन 2012 में भरती हुआ था. उस की तैनाती पुलिस कंट्रोल रूम (पीसीआर) यूनिट में थी. वह बाहरी दिल्ली के अलीपुर गांव में पत्नी सहित रहता था. वहां से मुखर्जी नगर अपनी बाइक द्वारा ड्यूटी पर आनाजाना करता था.
एक दिन उस का पत्नी से किसी बात पर झगड़ा हो गया था, इसलिए वह घर से बगैर खाना लिए ड्यूटी पर आ गया था. दोपहर तक वह पीसीआर वैन में रहा, फिर भूख लगने पर थाने की कैंटीन में खाना खाने आ गया.
थाने की कैंटीन में उस ने अपनी पसंद का खाना प्लेट में लगवाया और टेबल की ओर आ गया. प्लेट टेबल पर रख कर सुरेंद्र राणा ने कुरसी खींची और बैठ गया. तभी उसे खयाल आया कि जबरदस्ती उस ने हाथ नहीं धोए हैं. वह हाथ धोने के लिए वाश बेसिन की ओर चला आया.
वहां हाथ धोने के बाद रुमाल से हाथों को पोंछता हुआ टेबल की तरफ बढ़ा, जिस पर उस ने खाने की प्लेट छोड़ी थी. वह हैरान रह गया, उस टेबल पर एक युवती बैठी हुई उस की प्लेट का खाना खा रही थी.
वह लपक कर उस टेबल के पास आ गया और रौब से बोला, "यह क्या बदतमीजी है मैडम, यह खाने की प्लेट मेरी है, जिस पर आप आराम से हाथ साफ कर रही हैं."
Diese Geschichte stammt aus der November 2023-Ausgabe von Manohar Kahaniyan.
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