बांग्लादेश में सत्तारूढ़ दल अवामी लीग के सांसद अनवारुल अजीम अनार पिछले कई महीनों से परेशान चल रहे थे. मानसिक तनाव में रहते थे. सिरदर्द बना रहता था. एक कान से सुनने में काफी दिक्कत हो रही थी. शारीरिक कमजोरी भी महसूस कर रहे थे. उन की बेटी मुमतरीन फिरदौस डोरिन उन से कई बार कह चुकी थी कि वह अपना इलाज किसी अच्छे डाक्टर से करवाएं. हो सके तो भारत जा कर जांच करवाएं. दिल्ली में एम्स का काफी नाम है, वहां एक से बढ़ कर एक काबिल डाक्टर हैं. वहीं चले जाएं.
वह बांग्लादेश में झेनइदह-4 क्षेत्र से 3 बार के सांसद और अवामी लीग की कालीगंज उपजिला इकाई के प्रमुख थे. वह झेनाइदह से वर्ष 2014, 2018 और 2024 में सांसद चुने गए थे.
आखिरकार उन्होंने अपनी बेटी की बात मान ली और 9 मई, 2024 को ढाका में माणिक मिया एवेन्यू स्थित अपने आधिकारिक आवास से दक्षिणपश्चिमी | बांग्लादेश के जिला जेनाइदाह में स्थित अपने गांव गए. वहीं से उन्होंने कोलकाता में रहने ले अपने खास पारिवारिक दोस्त गोपाल विश्वास के यहां जाने की योजना बना ली. वह बेटी को भी साथ ले जाना चाहते थे, लेकिन उस का वीजा नहीं मिलने के कारण अकेले जाने का कार्यक्रम बना लिया. इस बारे में उन्होंने 11 मई को सुबह करीब पौने 5 बजे फोन पर बेटी से बात की थी.
उसके बाद वह इलाज के लिए 12 मई, 2024 को कोलकाता पहुंच गए. अनवारुल अजीम कोलकाता के उत्तर में स्थित बरानगर के उपनगरीय इलाके में अपने एक मित्र गोपाल विश्वास के घर ठहर गए थे. बेटी फिरदौस को उनका 13 मई, 2024 को वाट्सऐप मैसेज मिला, जिस में कहा गया था कि वह एक वीआईपी के साथ दिल्ली चले गए हैं. वहां से वह अमित साह नामक व्यक्ति द्वारा सौंपे गए काम के लिए दिल्ली से न्यू टाउन आएंगे. उन्हें आगे काल करने की कोई जरूरत नहीं है.
दूसरी तरफ फिरदौस अपने पिता के पीए से मिल कर भारत आने के लिए वीजा निकलवाने में जुट गई. इसी बीच उस ने 14 मई की शाम को कोलकाता में पापा के दोस्त गोपाल विश्वास को फोन किया.
"हैलो अंकल नमस्ते ! मैं फिरदौस बोल रही हूं. अनवारुल अजीम की बेटी ढाका से!"
"हांहां बेटी, बोलो, सब खैरियत है न! तुम्हारे अब्बाजान यहां पहुंच गए हैं. कल ही 12 मई शाम को 7 बजे के करीब आए थे." गोपाल विश्वास बोले.
Diese Geschichte stammt aus der June 2024-Ausgabe von Manohar Kahaniyan.
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