पूजा खेडकर फरजीवाड़े से बनी आईएएस
Manohar Kahaniyan|August 2024
32 वर्षीय पूजा खेडकर के आईएएस बन जाने के बाद ऐसा उस ने क्या कर दिया था कि पूरे देश में उसी की चर्चा होने लगी. इस के बाद तो पूजा ही नहीं, बल्कि उसके मम्मी पापा भी कानून के शिकंजे में ऐसे फंस गए कि.....
सुनील वर्मा
पूजा खेडकर फरजीवाड़े से बनी आईएएस

हाराष्ट्र की ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर का फरजीवाड़ा उजागर होने के बाद इन दिनों पूरे देश में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएसपी) में चयन को ले कर भी बहस छिड़ी हुई है. यूपीएसपी और डिपार्टमेंट औफ पर्सनल ऐंड ट्रेनिंग (डीओपीटी) से ले कर कई सरकारें अपने स्तर पर विकलांगता कोटे से आईएएस बने अधिकारियों की जांच करने में जुट गई हैं. गुजरात में 4 आईएएस के खिलाफ जांच शुरू हो गई है.

ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर के फरजीवाड़े का कभी पता ही नहीं चलता, अगर वह लाइमलाइट से दूर रहती और उस के चर्चे सोशल मीडिया पर वायरल नहीं होते.

दरअसल, पूजा खेडकर का मामला तब सुर्खियों में आया, जब सोशल मीडिया पर सब से पहले महाराष्ट्र के बीड जिले में रहने वाले वैभव कोकट ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक पोस्ट लिखी.

वैभव को सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर लिखना अच्छा लगता है. खुद को नास्तिक कहने वाले वैभव पूर्व में एक जनसंपर्क कंपनी में भी काम कर चुके हैं. एक्स पर उन के 31 हजार से ज्यादा फालोअर्स हैं.

वैभव ने 6 जुलाई को 'एक्स' पर एक फोटो के साथ पूजा खेडकर के बारे में जानकारी पोस्ट की थी.

वैभव कोकट ने अपनी पहली एक्स पोस्ट में लिखा था कि प्रोबेशनरी आईएएस औडी कारों का उपयोग कर रहे हैं. नियम कहता है कि निजी वाहन पर 'महाराष्ट्र सरकार' का साइनबोर्ड लगाना अनुचित है. लेकिन पुणे कलेक्टरेट में प्रोबेशन पर चल रही 2022 बैच की आईएएस डा. पूजा खेडकर ने महाराष्ट्र सरकार की वीआईपी नंबर वाली निजी औडी कार ली.

इस के अलावा इस प्राइवेट कार में नीली बत्ती भी लगी हुई थी. पुणे कलेक्टर औफिस में हमेशा इस बात की चर्चा होती रहती है कि आखिर ये बड़ा अधिकारी कौन है, जो औडी कंपनी की लोगो और लैंप वाली लग्जरी कार ले कर औफिस आता है.

खास बात यह है कि ये ऑफिसर मैडम दिन में भी अपनी कार की लाइटें जलाए रखती हैं. इन अधिकारी मैडम के कारनामे सिर्फ कार तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि जब वरिष्ठ अधिकारी सुहास दिवासे सरकारी काम के लिए मुंबई मंत्रालय गए तो इस अधिकारी महोदया ने उन के औफिस पर कब्जा कर लिया और वरिष्ठों के औफिस का सामान बाहर निकलवा दिया. वहां अपना औफिस बनाया और अपने नाम का एक बोर्ड भी लगाया.

मैडम को रुतबा दिखाना क्यों पड़ा भारी

Diese Geschichte stammt aus der August 2024-Ausgabe von Manohar Kahaniyan.

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