राजस्थान के जिला जोधपुर में एक कस्बा पड़ता है लूणी. इस कस्बे में रमेश पटेल सपरिवार रहता है. परिवार में रमेश के मातापिता के अलावा 4 भाई रहते हैं. सभी भाई रमेश पटेल से बड़े हैं और खेतीबाड़ी कर के परिवार का पालनपोषण करते हैं. इस समय रमेश और उस का भाई अशोक साथसाथ एमए इतिहास विषय में कर रहे थे.
रमेश पटेल की मौसी की बेटी कविता पटेल भी रमेश के साथ एमए (हिस्ट्री) की पढ़ाई कर रही थी. कविता पटेल वैसे मूलरूप से गांव रोहिचा कलां की रहने वाली है. मगर उस के मातापिता वगैरह वर्षोवी चित्रदुर्ग, कर्नाटक जा कर बस गए थे.
वे लोग कर्नाटक में अपनी रोजीरोटी कमाने के बाद भी राजस्थान से कटे नहीं थे. वे लोग अकसर अपने गांव रोहिचा कलां आते रहते थे. कविता पढ़ाई में अच्छी थी. इस कारण वह अपनी मौसी के घर लूणी में रह कर पढ़ रही थी.
रमेश पटेल और कविता पटेल मौसेरे भाईबहन थे. रमेश पढ़ाई में बहुत होशियार था, इस कारण कविता को उस से पढ़ाई में हेल्प मिल जाती थी. दोनों भाईबहन में खूब जमती थी. रमेश पटेल से पढ़ने आसपास के बच्चे भी आते थे. दिनरात मेहनत कर के रमेश, कविता और अशोक सरकारी नौकरी में जाना चाहते थे.
वैसे अब से करीब डेढ़ साल पहले कविता पटेल की शादी जोधपुर के गांव सर निवासी राजूराम पटेल के साथ हो चुकी थी.
शादी होने के बाद कविता अपनी ससुराल सर आ गई. राजूराम पटेल की मिठाई की दुकान चित्रदुर्ग (कर्नाटक) में है. शादी के बाद राजू अपनी बीवी कविता एवं परिजनों के साथ कर्नाटक चला गया. कविता के मायके और ससुराल वाले चित्रदुर्ग, कर्नाटक में रहते थे.
शादी के कई दिन तक नवयुगल दंपति प्यार की रंगीन वादियों में खोए रहे. इस के बाद राजूराम पटेल से कविता ने एक रोज कहा, "अगर आप की इजाजत हो तो मैं पढ़ाई पर ध्यान दूं. मुझे सरकारी नौकरी हासिल करनी है?"
Diese Geschichte stammt aus der September 2022-Ausgabe von Satyakatha.
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