इधर इंदौर में खजराना थाने की पुलिस 30 अगस्त, 2022 को आधी लाश की शिनाख्त करने में उलझी हुई थी. उस पर बंधी चुन्नी, चटखदार मेकअप आदि से आधीअधूरी पहचान ही हो पाई थी. सिर नहीं था. पुलिस के सामने बड़ी मुश्किल यही थी.
उधर इंदौर के हाईटेक कंट्रोल रूम में सीसीटीवी कैमरे की फुटेज खंगाले जा रहे थे. एक कमरे में बैठे युवक को उस के एक दोस्त ने आवाज लगाई, "अरे यार घर चलना नहीं है क्या ? रात के 10 बज चुके हैं, ज्यादा काम करेगा तो तनख्वाह थोड़े न बढ़ जाएगी."
"अरे नहीं यार, अभी तक 70 के करीब फुटेज का मिलान कर चुका हूं. कुछ पता ही नहीं चल पा रहा है. सभी में काफी डार्क दिख रहा है."
"किस की फुटेज निकाल रहा है? स्क्रीन को थोड़ा ब्राइट कर देख न."
"वह सब कर के मैं ने देख लिया."
"ला मुझे दिखा, मैं देखता हूं. मैं ने एक से एक डार्क शौट्स की ट्रेसिंग की है, " बोलते हुए दोस्त उस के कमरे में आ गया था.
"हां यार, तू मेरी मदद कर दे. आज ही इस की रिपोर्ट पीएचक्यू भेजनी है.' मौनीटर के सामने बैठा युवक बोला.
"किस की फुटेज निकालनी है ? रात की है क्या ?" दोस्त ने पूछा.
"खजराना थाना एरिया में ग्रीन बेल्ट."
"वह तो घनी आबादी वाला एरिया है. पौश इलाका भी है, " दोस्त बोला.
उसी इलाके की रात की फुटेज निकालनी है. आज ही सुबह सफाईकर्मी को बंद बोरी में आधी लाश मिली है. सफाईकर्मी तो दिख रहा है. लेकिन रात के फुटेज में अभी तक कोई शख्स नजर नहीं आया है."
मौनीटर के सामने बैठे शख्स ने चिंता जताई.
"एक बार तू पीछे से मुझे रिवाइंड कर के दिखा."
Diese Geschichte stammt aus der November 2022-Ausgabe von Satyakatha.
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