'पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा, बेटा हमारा ऐसा काम करेगा...।' यह गाना अब से सालों पहले बना था, मगर अब यह बात पिता से ज्यादा मां पर लागू होने लगी है। पहले के समय में बच्चे पिता से डरते थे और मां को अपनी हर बात बताते थे, मगर अब पापा बच्चों के दोस्त बन गए हैं। हालांकि इसमें कोई गलत बात नहीं है, घर में अनुशासन बनाने के लिए किसी एक का डर ठीक रहता है। परेशानी तो यह है कि मां अपने बच्चे को आज ऑलराउंडर देखना चाहती है। कोई मेहमान आता है और अगर घर में छोटा बच्चा है तो मां तुरंत बच्चे को अपना हुनर दिखाने को कहती है, "बेटा, अंकल को डांस करके दिखाओ या बेटा, आंटी को गाना सुनाओ।"
पहले के समय में केवल पढ़ाई को ही अधिक महत्व दिया जाता था और बच्चे में अगर कोई दूसरा हुनर है तो उसे दरकिनार कर पढ़ाई का दबाव बनाया जाता था। फिर 'थ्री इडियट्स' फिल्म आई और लोगों को कुछ-कुछ यह बात समझ आई कि हर बच्चा पढ़ाई में अच्छा नहीं हो सकता और अन्य क्षेत्रों में भी कॅरिअर बना सकता है। इससे बच्चे के ऊपर से पढ़ाई का दबाव तो कम हो गया, लेकिन उम्मीदों का दबाव वहीं का वहीं रहा, क्योंकि 'गुप्ता जी क्या कहेंगे' वाला फिल्म का डायलॉग आज भी समाज में बना हुआ है और बात भी वहीं की वहीं अटकी हुई है कि 'उनके बच्चे तो ये कर रहे हैं, तुम क्यों नहीं कर रहे।'
सोशल मीडिया के जमाने में जहां कुछ भी निजी नहीं बचा है, वहीं इसके कारण बच्चों पर दोहरा दबाव भी आने लगा है, क्योंकि अब हुनर दिखाने के लिए कई बड़े प्लेटफॉर्म मौजूद हैं। छोटे-छोटे बच्चे बहुत मशहूर हो रहे हैं, रियलिटी शो का हिस्सा बन रहे हैं। ऐसे स्कूलों की भी भरमार है, जहां पढ़ाई के साथ ही स्विमिंग, डांसिंग, सिंगिंग, स्केटिंग और हॉर्स राइडिंग जैसी एक्स्ट्रा एक्टिविटी कराई जाती हैं। माता-पिता भी अपने बच्चों को अपनी हैसियत से ऐसे महंगे स्कूलों में दाखिला दिलाना चाहते हैं, जिनमें वे सब कुछ सीख सकें। अब हर गली-नुक्कड़ पर डांस एकेडमी, सिंगिंग स्टूडियो हैं तो सोसाइटी में कराटे, ताइक्वांडो, स्केटिंग सिखाने के लिए टीचर आने लगे हैं, जो बच्चों को घर पर ही आकर सिखाते हैं। ऐसे में जिस बच्चे के स्कूल में ये सब एक्टिविटीज नहीं होतीं, वह यहां अलग से फीस देकर सीखता है।
गुम हो रहे दिखावे की दुनिया में
Diese Geschichte stammt aus der February 16, 2024-Ausgabe von Rupayan.
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