ग्राफ्टिंग विधि से आम की करें पौध तैयार
Farm and Food|October-I 2022
अच्छी किस्मों के आम के पौधों की उपलब्धता आज भी एक चैलेंज है. बागबानी के जरीए आमदनी बढ़ाने के लिए प्रयासरत लोगों को अकसर पौधों की रोपाई के सीजन में उन्नत किस्मों के आम के पौध नहीं मिल पाते हैं. ऐसे में अगर बेरोजगार नौजवान, किसान और महिलाएं खुद ही आम के उन्नत पौधों की नर्सरी का व्यवसाय शुरू करें, तो उन्हें अच्छी आमदनी होगी. साथ ही, अपने बागबानी का शौक भी आसानी से पूरा कर पाएंगे.
राघवेंद्र विक्रम सिंह
ग्राफ्टिंग विधि से आम की करें पौध तैयार

जो लोग नर्सरी का व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं, उन्हें उद्यान विभाग की ओर से अनुदान भी उपलब्ध कराया जाता है.

भारत में फलदार पेड़ों की बागबानी में सर्वाधिक आम की ही बागबानी की जाती रही है, लेकिन आम की बागबानी शुरू करने के लिए जरूरत होती है अधिक पैदावार देने वाली अच्छी प्रजाति के आम के पौधों की.

ये पौधे उद्यान विभाग की नर्सरी या प्राइवेट नर्सरियों से किसान खरीद कर लाते हैं, जिस के लिए आम की किस्मों के अनुसार 30 रुपए से ले कर 200 रुपए प्रति पौधों की दर से भुगतान कर के खरीदना पड़ता है.

अगर हमारे किसान स्वयं आम की प्रजातियों की नर्सरी तैयार कर बागबानी के लिए उपयोग में लाएं, तो उन्हें विश्वसनीय प्रजाति के साथ अच्छे उत्पादन देने वाले पौधे कम लागत में प्राप्त हो सकते हैं. इसी के साथ आम की नर्सरी को कारोबारी अपने स्तर पर तैयार कर अन्य किसानों में बेच कर अच्छी आमदनी प्राप्त की जा सकती है.

आम की नर्सरी तैयार करने की सब से उपयुक्त कलम विधि होती है, क्योंकि इस विधि में हम जिस प्रजाति के पौधों को तैयार करना चाहते हैं, वह कम समय और कम लागत में तैयार हो जाती है. साथ ही, पौधों में फल भी जल्दी आना शुरू हो जाता है.

इस के लिए जरूरत होती है कि जिस प्रजाति के पौधे तैयार करने हों, उस प्रजाति के 5-6 साल पुराने पौधे आप के पास लगे हों, इन्हीं पुराने पौधों के कल्ले को कलम कर बीज से तैयार पौधों में संवर्धित किया जाता है. कलम से आम की नर्सरी तैयार करने के लिए दिए गए तरीके अपनाने पड़ते हैं.

आम की गुठलियों से पौध तैयार करना

आम की कलम विधि से नर्सरी तैयार करने के लिए बीजू पौधों की जरूरत पड़ती है. इस के लिए आम की गुठलियों को जमीन में रोप कर तैयार किया जाता है. बीज से पौध तैयार करने के लिए भूमि के चयन पर ध्यान देना जरूरी होता है. इस के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है.

इस में गोबर की सड़ी खाद या उपलब्धता के अनुसार वर्मी कंपोस्ट मिला कर मिट्टी को भुरभुरी बना लेते हैं. इस में यह भी ध्यान देना होता है कि जिस स्थान पर हम आम की गुठलियों को नर्सरी में डाल रहे हैं, वहां की जमीन समतल व ऊंची हो, जहां बरसात का पानी न लगे.

Diese Geschichte stammt aus der October-I 2022-Ausgabe von Farm and Food.

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