रबी फसलों में खरपतवार प्रबंधन
Farm and Food|January First 2024
पूर्वी उत्तर प्रदेश में रबी के मौसम में मुख्य रूप से गेहूं, दलहन ( चना, मसूर, मटर) और तिलहन (सरसों/राई) की खेती की जाती है. इस के साथ ही कुछ क्षेत्रों में सब्जियों वाली फसलों की भी खेती की जाती है. इन सभी फसलों में खरपतवार का प्रबंधन एक मुख्य समस्या के रूप में सामने आ रहा है.
डा. अंगद प्रसाद, डा. विनय कुमार सिंह, डा. हिमांशु राय
रबी फसलों में खरपतवार प्रबंधन

फसल उत्पादन में खरपतवार द्वारा बहुत ज्यादा नुकसान (तकरीबन 37 फीसदी) होता है, जबकि बीमारियों से 26 फीसदी, कीड़ेमकोड़ों से 20 फीसदी, स्टारे पेस्ट से 7 फीसदी, चूहे आदि से 6 फीसदी और दूसरी वजहों से 8 फीसदी नुकसान होना किसानों के लिए चिंता की बात है.

सभी फसलों में खरपतवार प्रबंधन एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण कारक है. विभिन्न फसलों में खरपतवारों द्वारा उपज में 10 से 15 फीसदी से कभीकभी 100 फीसदी तक नुकसान हो जाता है. इस के साथसाथ खरपतवार द्वारा दूसरी तर की भी समस्याएं पैदा हो जाती हैं.

फसल की अवस्था

खेत में खरपतवारों का अंकुरण फसल के साथ ही शुरू हो जाता है और यह कभीकभी 2-3 बार में भी होता है. शुरू के 25 से 30 दिनों और बाद के 60-70 दिनों के बाद खरपतवार 120-150 दिन अवधि वाली फसलों में आमतौर पर ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाते पर 25-30 दिनों से ले कर 60-70 दिनों की फसल की अवस्था में खरपतवार का नियंत्रण बहुत जरूरी है, वरना फसलों की उपज में बहुत ज्यादा खराब होने का डर रहता है.

प्रबंधन की विधियां

सामान्य रूप से किसान खरपतवार को खुरपी द्वारा ही निकालते हैं. साथ ही, दूसरी मशीनों का इस्तेमाल कर के भी खरपतवारों का प्रबंधन किया जाता है. पर कुछ वजहों से वर्तमान में खुरपी द्वारा निराई किया जाना मुश्किल होता जा रहा है. इस से समय की बहुत ज्यादा बरबादी होती है.

रबी मौसम के प्रमुख खरपतवार

Diese Geschichte stammt aus der January First 2024-Ausgabe von Farm and Food.

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