देश में आधे से अधिक खेती योग्य जमीनों पर धान की खेती की जाती है. धान उत्पादन को खेती में बीते कुछ सालों में बड़े शोध व तकनीकी का उपयोग होने से उत्पादन भी काफी तेजी से बढ़ा है, लेकिन धान की फसल तैयार होने के बाद किसानों को कटाई, मड़ाई, सुखाई व भंडारण की सही जानकारी न होने से कुल उत्पादन का तकरीबन 10 फीसदी तक नुकसान उठाना पड़ता है.
धान की कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने के लिए किसानों को उस की तकनीकी जानकारी होना बेहद जरूरी हो जाता है, जिस से कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम किया जा सके. अगर किसान खेती से ले कर भंडारण तक की उन्नत तकनीकी का इस्तेमाल करे, तो वे धान से न केवल अच्छा उत्पादन प्राप्त करेंगे, बल्कि उन्हें अच्छी आमदनी भी होगी.
फसल तैयार होने पर कैसे करें धान की कटाई
देश के अलगअलग राज्यों में धान की कटाई के लिए अलगअलग विधियों का इस्तेमाल किया जाता है. छोटे और मझोले किसान अकसर धान की कटाई हंसिए से करते है, जबकि बड़े किसानों द्वारा रीपर या कंबाइन हार्वेस्टर का उपयोग धान की कटाई के लिए किया जाता है. धान की कटाई के लिए उपयोग में लाए जाने वाले हंसिया विधि से न केवल धान की क्षति कम होती है, बल्कि पुआल की मात्रा भी अधिक मिलती है. इस पुआल का उपयोग पशुओं के लिए चारे, खुंब उत्पादन, कंपोस्ट खाद इत्यादि के लिए किया जा सकता है.
किसानों को फसल के साथसाथ अन्य कई तरह के लाभ हंसिया द्वारा धान की फसल कटाई से मिल जाता है, लेकिन बड़े भाग में हंसिया द्वारा धान कटाई में न केवल अधिक समय लगता है, बल्कि अधिक मजदूरों की जरूरत भी पड़ती है. इसलिए बड़े क्षेत्रफल में धान की फसल की कटाई के लिए ट्रैक्टर रीपर या कंबाइन का उपयोग किया जाना ज्यादा उचित होता है.
Diese Geschichte stammt aus der October 2024-Ausgabe von Farm and Food.
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