जब भी हृदय चिकित्सा की बात होती है तो सलाह के रूप में दो-चार चीजें हमारे सामने आती हैं जैसे- बाईपास सर्जरी, एंजियोप्लास्टी, हृदय प्रत्यारोपण आदि । यह क्या हैं व एक दूसरे से कैसे भिन्न हैं आइए जानते हैं।
बाईपास सर्जरी क्या है?
बाईपास सर्जरी हृदय के लिए की जाती है। इसके जरिए रक्त रोधक नसों को हटा दिया जाता है। हृदय की तीन मुख्य धमनियों में से किसी भी एक या सभी में अवरोध पैदा हो सकता है। ऐसे में शल्य क्रिया द्वारा शरीर के किसी भाग से नस निकालकर उसे हृदय की धमनी के रुके हुए स्थान के समानांतर जोड़ दिया जाता है । यह नई जोड़ी हुई नस धमनी में रक्त प्रवाह पुन: चालू कर देती है। इस शल्यक्रिया तकनीक को बाईपास सर्जरी कहते है।
इसी से रक्त प्रवाह पुनः सुचारु होता है। धमनी रुकावट के मामले में बाईपास सर्जरी सर्वश्रेष्ठ विकल्प होता है।
बाईपास सर्जरी की आवश्यकता कब?
• जब एंजियोग्राफी से यह ज्ञात हो कि रोगी को कभी भी हृदयाघात हो सकता है।
• जब हृदयाघात से उबरने के बाद भी सीने में दर्द के बने रहने अथवा रोगी की हालत गंभीर रहने पर।
• एंजाइना के लक्षण नहीं होने पर भी जब ईसीजी स्ट्रेस टेस्ट और कोरोनरी एंजियोग्राफी से ज्ञात हो कि रोगी की कई धमनियों में रुकावट है।
• एंजियोप्लास्टी के असफल रहने पर।
सर्जरी से जुड़ी बातें
• तकनीकी तौर पर इसे सीएबीजी (कोरोनरी आर्टरी बाईपास ग्राफ्ट) के रूप में जाना जाता है। इस सर्जरी को करने में लगभग आठ घंटे का समय लगता है।
• सर्जरी के बाद मरीज को लगभग चार दिन आई.सी.यू और उसके बाद चार दिन वार्ड में रखा जाता है। इस दौरान रोगी को इंसेंटिव साइकोथेरेपी, ब्रीदिंग एक्सरसाइज और मोबिलाइजेशन से गुजरना पड़ता है।
• सर्जरी होने के 14वें दिन मरीज को टांके खुलवाने के लिए हॉस्पिटल जाना होता है। ये टांके छाती की ऐन्टिरीअर वाल पर लगे होते हैं। सर्जरी के दौरान छाती की हड्डी को काटा जाता है और सर्जरी के बाद इसे थामने के लिए इसमें स्टील वायर डाली जाती हैं।
Diese Geschichte stammt aus der December 2022-Ausgabe von Sadhana Path.
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