उसे अरब के प्रख्यात फकीर अल्लामा इशा से इलाज कराने की सलाह दी गई सरदार ने उन्हें बुलवाने के लिए गुमाश्तों को भेजा गुमाश्तों ने देखा कि अल्लामा ऊंट चरा रहे थे उन्हें सरदार का संदेशा दिया। अल्लामा ने उत्तर दिया, ‘मैं किसी के घर नहीं जाता अपने सरदार को यहीं ले आओ और उससे कहना कि वह पैदल चल कर आए।' कोई रास्ता न देखकर सरदार पैदल चल कर अल्लामा के पास पहुंचा।
अल्लामा ने उसकी जांच कर 100 पुड़िया दवा दी और कहा कि दिन में तीन पुड़िया उपयोग में लानी है जब माथे पर पसीना आए, दवा मल लो साथ ही तुम्हें वापस भी पैदल ही जाना है, इसलिए सरदार को पैदल ही लौटना पड़ा। माथे पर पसीना लाने का एक ही उपाय था कि तेज चाल से चला जाए सरदार ने वही किया और तीन सप्ताह में वापस बगदाद पहुंचा रास्ते भर पसीना निकलने पर पुड़िया भी मलता रहा।
वापस बगदाद पहुंचने से पहले ही सिरदर्द दूर हो गया था पर दवा बच गई थी। फिर मुमाश्तों को भेजा कि पूछ आओ बची दवा का क्या किया जाए अल्लामा ने कहा, वह दवा तो मामूली मिट्टी थी उसे भले ही फेंक दो, असली इलाज तो पैदल आना और पैदल वापस लौटना था फिर कुछ रुक कर कहा, पैदल चलने की आदत छोड़ देने से ही लोग बीमार पड़ते व मरीज बनते हैं यदि अपने मन व शरीर को निरोग रखना है तो मेरी तरह चलने की आदत डालनी चाहिए मैं पैदल चल कर ईमान का प्रचार करता हूं और स्वथ्य रहता हूं।
डालिए पैदल चलने की आदत
विनोद को अचानक दोहरा दिखाई देने लगा था नेत्रचिकित्सक ने रक्तशर्करा की जांच करवाने को कहा विनोद को मधुमेह की बीमारी निकली डॉक्टर ने सलाह दी, बात अभी बिगड़ी नहीं है। आप भोजन पर नियंत्रण रखें और प्रातः चार किलोमीटर घूमना आरंभ कर दें दो माह में नेत्र सामान्य ढंग से देखने लगे नियमित रूप से चार किलोमीटर घूमने से अतिरिक्त कैलोरी भस्म होने लगी वजन कम हुआ और वह सामान्य हो गए विनोद ने फिर घूमना बंद नहीं किया।
टहलना एक बेहतरीन औषधि
Diese Geschichte stammt aus der March 2023-Ausgabe von Sadhana Path.
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