जैसा आहार वैसा व्यवहार
Sadhana Path|November 2023
अमूमन हम अपने व्यवहार, स्वभाव एवं व्यक्तित्व तथा बर्ताव आदि का जिम्मेदार अन्य लोगों, रिश्तों, किस्मत एवं परिस्थितियों आदि को ही समझते हैं। हमें लगता है इन्हीं सब के कारण हम चिंतित एवं दुखी हैं, परंतु क्या आप जानते हैं कि हमारे व्यवहार का कारण हमारा आहार भी हो सकता है? नहीं, तो जानिए किस तरह हमारा आहार हमारे व्यवहार को प्रभावित करता है।
शशिकांत 'सदैव'
जैसा आहार वैसा व्यवहार

भूख मिटाने का एकमात्र साधन है भोजन। यह भोजन जिसे हम आहार के रूप में दिन भर तथा उम्र भर लेते हैं वह न केवल हमारा पेट भरता है बल्कि हमें ऊर्जा भी प्रदान करता है। हमारे आहार में हम क्या, कैसा व कितना खाते हैं। वह हमें स्वस्थ रहने तथा रोगों से लड़ने में हमारी मदद भर करता है। यह मनुष्य जीवन का इतना अहम हिस्सा है कि इसके बिना मनुष्य की कल्पना भी नहीं की जा सकती। भोजन के ही माध्यम से हमारे शरीर में प्रोटीन-विटामिन, लवण-खनिज आदि जरूरी तत्त्व पहुंचते हैं जो हमारे शरीर का विकास करते हैं। सच तो यह है कि आदमी इसी भोजन के लिए कमाता व मेहनत करता है। भोजन का सही अनुपात यदि हमें बनाता है तो इसका असंतुलन हमें रुग्ण भी बना देता है। यह भोजन हमारे शरीर को ही नहीं हमारे मन को भी जिंदा रखता है। यह हमारे शारीरिक ढांचे को ही नहीं हमारे व्यवहारिक जीवन को भी प्रभावित करता है। इसकी तासीर, इसकी सुगंध, इसमें पड़ने वाले मसाले तथा बनाने वाले का मन सब कुछ हमारे व्यवहार पर अप्रत्यक्ष रूप से अपना असर दिखाता है। इसलिए जब भी खाने की मेज पर आप भोजन के लिए जाएं तो इस बात का भी अवश्य ध्यान रखें कि यह आपके शरीर की ही नहीं मन की भी खुराक है। जिस तरह पेट एवं स्वास्थ्य की गड़बड़ी हमारे भोजन से जुड़ी है। वैसे ही हम जो, जैसा तथा जितना खाते हैं उसका असर हमारे मन पर भी पड़ता है और मन का सीधा संबंध स्वास्थ्य से है जो कई रोगों के रूप में हमारे शरीर को प्रभावित करता है। कैसे? आइए, जानते हैं।

जैसा भोजन वैसा मन

भोजन से हमारा पेट ही नहीं भरता हमारा मन भी यानी मूड भी बनता है। आपने महसूस किया होगा कि आहार यदि हमारे मन का हो तो हमारी भूख दोगुनी हो जाती है, वहीं यदि आहार मन अनुसार न हो तो हमारी भूख उड़ जाती है, जिसका सीधा प्रभाव हमारे मन पर पड़ता है। भोजन स्वादिष्ट एवं मन अनुसार होगा तो मन खुश रहेगा। मन खुश रहेगा तो मन शांत रहेगा। मन शांत रहेगा तब हम क्रोध, चिड़चिड़े पन से दूर रहेंगे। इन सब से दूर रहेंगे तो संबंध ठीक रहेंगे और संबंध ठीक रहेंगे तो हमारा जीवन ठीक रहेगा। साथ ही यदि हम क्रोध से बचेंगे तो हमारा रक्तचाप ठीक रहेगा। रक्तचाप सही रहेगा तो न केवल रक्त से संबंधित बल्कि हृदय-मस्तिष्क संबंधी रोग भी नहीं रहेंगे।

ताजा भोजन

Diese Geschichte stammt aus der November 2023-Ausgabe von Sadhana Path.

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