छोटे बच्चों को दवा देना बड़ा मुश्किल होता है। अक्सर आधी दवाई तो यूं ही गिर जाती है। ऐसे में क्या उपाय अपनाएं कि आपका नन्हा दवाई भी ले और उसे तकलीफ भी ना हो, तो आजमाइए इन बातों को-
• बच्चे को तरल दवा देने के लिए निप्पल का इस्तेमाल करें। (ध्यान रहे कि निप्पल में दवा डालने के बाद थोड़े पानी की जगह भी बचे) आंख में दवाई डालने वाले ड्रॉपर से तरल दवा पिलाएं। यह कैमिस्ट की दुकान से मिल जाएगा। दवा सीधा गले में डालने की बजाय गालों के पास खाली जगह में डालें ताकि गला घुटने न लगे। वैसे 5 मिली. का मतलब है एक छोटा चम्मच।
• अगर दवा का स्वाद कड़वा है तो बच्चे की नाक बंद करके दवा दें, इसके फौरन बाद कोई खाने-पीने की चीज मुंह में डालें।
• आजकल कई अच्छे स्वाद वाली दवाएं फ्रिज में जमाकर भी दी जा सकती हैं, पर पहले डॉक्टर से पूछ लें।
• अपने डॉक्टर से कॉन्सन्ट्रेटिड दवा के बारे में पूछें। कई एंटीबायटिक दवाएं दो तरह से आती हैं- 125 एमजी प्रति 5 एमएल (एक चम्मच), 250 एमजी प्रति 5 एमएल। अगर आप कॉन्सन्ट्रेटिड दवा देंगी तो बच्चे को उसका आधा चम्मच ही पीना पड़ेगा।
• अगर दवा खूब ठंडी करके दी जाए तो स्वाद बेहतर हो जाता है।
Diese Geschichte stammt aus der January 2024-Ausgabe von Sadhana Path.
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तुलसी से दूर करें वास्तुदोष
हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा हर घर-आंगन की शोभा है। तुलसी सिर्फ हमारे घर की शोभा ही नहीं बल्कि शुभ फलदायी भी है। कैसे, जानें इस लेख से।
क्यों हुआ तुलसी का विवाह?
कार्तिक शुक्ल एकादशी को तुलसी पूजन का उत्सव वैसे तो पूरे भारत में मनाया जाता है, किंतु उत्तर भारत में इसका कुछ ज्यादा ही महत्त्व है। नवमी, दशमी व एकादशी को व्रत एवं पूजन कर अगले दिन तुलसी का पौधा किसी ब्राह्मण को देना बड़ा ही शुभ माना जाता है।
बड़ी अनोखी है कार्तिक स्नान की महिमा
हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। बारह पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व सर्वाधिक है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
सिर्फ एक ही ईश्वर है और उसका नाम हैं सत्यः नानक
सिरवों के प्रथम गुरु थे नानक | अंधविश्वास एवं आडंबरों के विरोधी गुरुनानक का प्रकाश उत्सव अर्थात् उनका जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। गुरु नानक का मानना था कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त है। संपूर्ण विश्व उन्हें सांप्रदायिक एकता, शांति एवं सद्भाव के लिए स्मरण करता है।
सूर्योपासना एवं श्रद्धा के चार दिन
भगवान सूर्य को समर्पित है आस्था का महापर्व छठ । ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को करने से सूर्य देवता मनोकामना पूर्ण करते हैं। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यह पर्व मनाया जाता है, जिस कारण इस पर्व का नाम छठ पड़ा। जानें इस लेख से छठ पर्व की महत्ता।
एक समाज, एक निष्ठा एवं श्रद्धा की छटा का पर्व 'छठ'
छठ की दिनोंदिन बढ़ती आस्था और लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि कुछ तो विशेष है इस पर्व में जो सबको अपनी ओर खींच लेता है। पूजा के दौरान अपने लोकगीतों को गाते हुए, जमीन से जुड़ी परम्पराओं को निभाते हुए हर वर्ग भेद मिट जाता है। सबका एक साथ आकर बिना किसी भेदभाव के ईश्वर का ध्यान करना... यही तो भारतीय संस्कृति है, और इसीलिए छठ है भारतीय संस्कृति का प्रतीक।
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सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जाल में सिर्फ बड़े ही नहीं बच्चे भी फंसते जा रहे हैं, जिसका परिणाम यह है कि बच्चे धीरे-धीरे वर्चुअल दुनिया में ज़्यादा व्यस्त रहने की वजह से वास्तविक दुनिया से दूर होते जा रहे हैं।
सेहत के साथ लें स्वाद का लुत्फ
अच्छे खाने का शौकीन भला कौन नहीं होता है। खाना अगर स्वाद के साथ सेहतमंद भी हो तो बात ही क्या है। सवाल ये उठता है कि अपनी पसंदीदा खाद्य सामग्रियों का सेवन करके फिट कैसे रहा जाए?
लंबी सीटिंग से सेहत को खतरा
लगातार बैठना आज वजह बन रहा कई स्वास्थ्य समस्याओं की। इन्हें नज़र अंदाज करना खतरनाक हो सकता है। जानिए कुछ ऐसे ही परिणामों के बारे में-
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