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जिनके घर पर छोटे बच्चे होते हैं यह बात भलीभांति समझते हैं कि उन्हें खेलते समय कितनी चोट लगती है। फिर महिलाओं का भी अक्सर किचन में काम करते वक्त चाकू या कद्दूकस इत्यादि से हाथ कट जाता है। कई बार यह घाव दो-चार दिन में ठीक हो जाता है लेकिन कुछ घाव ऐसे होते हैं जिनमें गांठ पड़ जाती है। इस स्थिति में आपको घाव की उचित देखभाल करनी चाहिए। छोटे-मोटे घाव को आप घरेलू नुस्खों से ठीक कर सकते हैं लेकिन बड़े घाव के लिए आपको चिकित्सक के परामर्श की आवश्यकता पड़ सकती है। चलिए जानते हैं कि घाव की प्राथमिक चिकित्सा क्यों जरूरी होती है।
प्राथमिक चिकित्सा क्यों जरूरी है
त्वचा में किसी भी प्रकार का जख्म होने पर चोट जब सीधा कीटाणुओं के संपर्क में आती है तो इससे घाव में पस या गांठ पड़ने की संभावना रहती है। घाव का संक्रमण कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे चोट कितनी गहरी लगी है और आपकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता कैसी है इत्यादि। कई बार चोट काफी गहरी लगती है, यदि उस जगह पर साफसफाई का ध्यान नहीं रखा जाता है तो संक्रमण गंभीर हो सकता है। इस तरह सामान्य एंटीबायोटिक दवाओं से उनका उपचार नहीं किया जा सकता है। घाव का समय पर इलाज नहीं किए जाने से उसके संक्रमित हो जाने पर कई तरह की जटिलतायें पैदा हो सकती हैं। इस स्थिति में संक्रमण दूर करने के लिए एंटीसेप्टिक्स के तौर में प्राथमिक चिकित्सा ही काम आती है।
प्राथमिक चिकित्सा कैसे करें
प्राथमिक चिकित्सा कैसे करनी चाहिए, यह बात हर व्यक्ति को मालूम होना आवश्यक है तो चलिए जानते हैं कि आप घर पर चोट या घाव की प्राथमिक चिकित्सा कैसे कर सकती हैं-
हाइड्रोजन पेरोक्साइड या अल्कोहल
Diese Geschichte stammt aus der February 2024-Ausgabe von Sadhana Path.
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प्रकृति में बसंत के आगमन की टोह मन में एक नए उल्लास, आशा एवं अचानक ही लगता है कि मन प्रसन्न एवं प्रफुल्लित हो उठा है। परिवर्तन में भावों की पावन धाराएं बहने लगी हैं और हमारे तन, मन और व्यवहार में सुंदर एवं सुमधुर अभिव्यक्तियां झलकने लगती हैं। कहते हैं, प्रकृति जब मुस्कुराने लगती है, तब उसके अंतर्गत आने वाले सभी जड़-जीव एवं मनुष्यों में मुस्कुराहट फैल जाती है।