श्रीवेंकटेश्वर के देवस्थानम पर भक्तों के मेले नित्य प्रति बढ़ते जा रहे हैं। तिरुमल तिरुपति देवस्थानम के दर्शन की यात्रा सारा साल चलती रहती है। माना जाता है कि कलियुग में प्रभु वेंकटेश्वर ही साक्षात् भगवान विष्णु हैं और तिरुपति ही भूलोक स्वर्ग। यह महातीर्थ आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले के चंदगिरी तालुका में स्थित है। यह समुद्र तल से 2800 फुट की ऊंचाई पर है। छोटे-बड़े सात पर्वतों को पार करके भक्त देवस्थानम पहुंचकर, नारायण के दर्शन करके धन्य हो जाते हैं। प्रतिदिन औसतन एक लाख भक्त और खास त्योहारों पर दो से पांच लाख भक्त प्रभु के साक्षात् दर्शन करते हैं। यहां प्रतिघंटा दस हजार भक्तों को दर्शन करवाने की व्यवस्था है। भक्तों की बढ़ती तादाद के मद्देनजर, देवस्थानम् का बाहरी प्रतीक्षा कक्ष अपने किस्म का देश में अकेला कक्ष है। लगभग 800 फुट क्षेत्र में फैला बाहरी प्रतीक्षा कक्ष घुमावदार है। यह दो बैठकों, बरामदों, जलपान गृह वगैरह मिलाकर 17 कक्षों में विभाजित है।
कैसे पहुंचे तिरुपति?
चैन्ने का सड़क, रेल और हवाई मार्ग से सीधा संपर्क है। आगे सड़क या रेल द्वारा 'तिरुपति पूर्व' पहुंच सकते हैं। तिरुपति से ही वास्तविक तीर्थ यात्रा शुरू होती है। सात पर्वतों को पार करके भगवान के सान्निध्य में पहुंचने के दो मार्ग हैं - पैदल पथ और सड़क मार्ग। पैदल सफर साढ़े चौदह किलोमीटर है, जबकि बस द्वारा उन्नीस किलोमीटर रास्ता तय करना पड़ता है। अगर शक्ति सामर्थ्य हो तो पैदल चढ़ाई चढ़ने में ही आनंद आता है। पथ के पास अत्यन्त मनोहरी प्राकृतिक छटाएं हैं। रास्ते में झरने, घाटियां और जंगल लुभावने लगते हैं। तिरुपति पूर्व रेलवे स्टेशन से देवस्थानम की विशेष बसें भी सरलता से मिलती हैं।
तिरुपति के दर्शनीय स्थल
Diese Geschichte stammt aus der June 2024-Ausgabe von Sadhana Path.
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नौ कन्याओं का पूजन क्यों?
नवरात्र में कन्या पूजन का विशेष महत्त्व है। नौ कन्याओं को नौ देवियों के रूप में पूजन कर अपने सामर्थ्यनुसार दक्षिणा देकर भक्त माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
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