एसी युक्त बंद कमरों में दिन भर बैठना। दिन भर सूरज की रोशनी से खुद को दूर रखना। ये कुछ बड़ी वजहें हैं विटामिन-डी की कमी होने की। हड्डियों की मजबूती के लिये आवश्यक विटामिन-डी वसा में घुलनशील प्रो- हार्मोन्स का एक समूह होता है। यह एक स्टेरॉयड विटामिन है, जो आंतों से कैल्शियम को सोखकर हड्डियों में पहुंचाने का काम करता है। शरीर में इसका निर्माण हाइड्रॉक्सी कोलेस्ट्रॉल और अल्ट्रावॉयलेट किरणों की मदद से होता है। इस लेख में जानिए विटामिन-डी के बारे में-
विटामिन-डी
विटामिन-डी वसा-घुलनशील प्रो-हार्मोन का एक समूह होता है। इसके दो प्रमुख रूप हैं- विटामिन डी-2 (या अर्गोकेलसीफेरोल) और विटामिन डी-3 (या कोलेकेलसीफेरोल)। त्वचा जब धूप के संपर्क में आती है तो शरीर में विटामिन-डी के निर्माण की प्रक्रिया आरंभ होती है। यह मछलियों में भी पाया जाता है। विटामिन-डी की मदद से कैल्शियम को शरीर में बनाए रखने में मदद मिलती है, जो हड्डियों की मजबूती के लिए अत्यंत आवश्यक होता है। हालांकि जानकारों की माने तो इसकी कमी के लक्षण ज्यादा जल्दी नहीं सामने आते। एक अध्ययन के अनुसार 70 फीसदी से अधिक भारतीयों में विटामिन-डी की कमी पाई गई। इस अध्ययन में यह भी खुलासा हुआ है कि विटामिन-डी की कमी शहरी और ग्रामीण इलाकों के सभी सामाजिक वर्गों में पाई गई।
जागरूकता की कमी
जागरूकता की कमी की वजह से लोगों को विटामिन-डी की कमी से होने वाले खतरों के बारे में पता ही नहीं है। लोग अपनी हल्की-फुल्की थकान और शरीर में होने वाले दर्द को अनदेखा कर देते हैं। जबकि मामूली थकान और दर्द विटामिनडी की कमी की वजह से भी हो सकते हैं। यहां तक कि विटामिन-डी की कमी से सिर्फ हड्डियों की बीमारी ही नहीं बल्कि कई जानलेवा बीमारियां जैसे- कैंसर, दिल की बीमारियां और डायबिटीज के होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
Diese Geschichte stammt aus der December 2024-Ausgabe von Sadhana Path.
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