![अदायगी के रंग अनंत अदायगी के रंग अनंत](https://cdn.magzter.com/1718015421/1727772937/articles/12IG_A6cx1729007274733/1729007822439.jpg)
कुछ भी व्यर्थ नहीं जाता है
डॉक्टर बनने के इच्छुक विज्ञान के विद्यार्थी ने विज्ञापन एजेंसी के रास्ते फिल्मों की दुनिया में प्रवेश किया। हर जगह, हर अनुभव से सीखने की यह वृत्ति अनंत में हमेशा से है।
मेरा जन्म 28 अगस्त, 1950 को त्रिशूर में हुआ। त्रिशूर को केरल की सांस्कृतिक राजधानी कहा जाता है। यह शहर साहित्य, कला और संस्कृति के रंगों से ओतप्रोत है। केरल में मेरी ज़िंदगी के आरंभिक वर्ष गुजरे। यह बहुत छोटी उम्र थी, लेकिन उस छोटे शहर की हरियाली, साहित्य, संस्कृति और कला की ख़ूबसूरती और ख़ासियतें मानो दिमाग़ में छपसी गईं। फिर पिताजी वहां से मुंबई आ गए तब दूसरी संस्कृति से परिचय हुआ। केरल के बड़े-से घर-आंगन, खेत-खलिहान को छोड़कर मुंबई के वडाला स्थित वन-बेडरूम-हॉल के घर में आना, शुरुआत में ऐसा लग रहा था कि एक पिंजरे में पहुंच गए हैं। लेकिन दिमाग़ में सिर्फ़ यह चलता था कि जहां हमारे माता-पिता ले आए हैं, वहीं ज़िंदगी है। उन्हीं के साथ चलना है। और उनका कहना मानना है। बहरहाल, त्रिशूर का समय मेरे लिए बहुत मायने रखता है, क्योंकि मैं मानता हूं कि मुझमें जो अनुशासन है, दुर्व्यसनों से दूर हूं, शाकाहारी हूं, इस सबकी पक्की बुनियाद वहीं की परवरिश में पड़ी थी।
विज्ञान के साथ मिलीं भाषाएं और कला
मुंबई आने के बाद पिताजी चाहते थे कि मेरी पढ़ाई सबसे अच्छे स्कूल में हो, इसलिए माटुंगा के डॉन बॉस्को हाईस्कूल में दाख़िला करवाया। इसे एक इतालवी फादर चलाते थे। माटुंगा तब शैक्षिक केंद्र था और अब भी है। ऐसी जगह पर बड़ा होना मायने रखता है। हमारे शिक्षक बहुत अनुशासनप्रिय थे। उन्होंने पढ़ाई के महत्व से अवगत कराया। मैंने अपनी जो जगह हासिल की है, वह उन्हीं की बदौलत है। शिक्षकों का शुक्रगुजार इसलिए भी हूं, क्योंकि उन्होंने भाषा को बहुत तवज्जो दी। आज अंग्रेज़ी में कुछ अभिव्यक्त कर पाता हूं तो इसका श्रेय उन्हीं को है।
Diese Geschichte stammt aus der October 2024-Ausgabe von Aha Zindagi.
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![आलस्य आभूषण है आलस्य आभूषण है](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/zzbO7x8uO1738586780609/1738586965755.jpg)
आलस्य आभूषण है
जैसे फोन की सेटिंग में एनर्जी सेविंग मोड होता है, ऐसे ही आस-पास कुछ लोग भी अपनी ऊर्जा बचाकर रखते हैं। ऐसे लोगों को अमूमन आलसी क़रार कर दिया जाता है, मगर सच तो ये है कि समाज में ऐसे लोग ही सुविधाओं का आविष्कार करते हैं। आलस्य बुद्धिमानों का आभूषण है।
![अबूझ गह्वर जैसा कृष्ण विवर अबूझ गह्वर जैसा कृष्ण विवर](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/L7f6G0t_W1738588139109/1738588386951.jpg)
अबूझ गह्वर जैसा कृष्ण विवर
चांदनी रात में तारों को देखना कितना अलौकिक प्रतीत होता है ना, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये तारे, ये आकाशगंगाएं और यह विशाल ब्रह्मांड किस गहरे रहस्य से बंधे हुए हैं? एक ऐसा रहस्य, जिसे हम देख नहीं सकते, लेकिन जो अपनी अदृश्य शक्ति से ब्रह्मांड की धड़कन को नियंत्रित करता है। यह रहस्य है- ब्लैक होल यानी कृष्ण विवर।
![खरे सोने-सा निवेश खरे सोने-सा निवेश](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/CKfSefwE51738586989311/1738587546289.jpg)
खरे सोने-सा निवेश
क्या आपने कभी सोचा है कि क्यों सोना सदियों से एक विश्वसनीय निवेश विकल्प बना हुआ है?
![छत्रपति की कूटनीति छत्रपति की कूटनीति](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/qxtjQ6G7u1738585953921/1738586488566.jpg)
छत्रपति की कूटनीति
पन्हालगढ़ के क़िले में आषाढ़ का महीना आधा बीत चुका था। सिद्दी जौहर और मराठा सैनिकों के बीच घमासान युद्ध छिड़ा हुआ था। ऐसे में साम-दाम-दंड-भेद का प्रयोग करके भी बाहर निकलने का मार्ग नहीं सूझ रहा था। शिवाजी ने अपने सभी सलाहकारों को बुलाया और एक रणनीति रची, दुश्मनों को भेदकर निकल जाने की रणनीति ।
![एक अवसर है दुःख एक अवसर है दुःख](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/3mlDP1-4B1738584303808/1738584505229.jpg)
एक अवसर है दुःख
प्रकृति में कुछ भी अनुपयोगी नहीं है, फिर दु:ख कैसे हो सकता है जिसे महसूस करने के लिए शरीर में एक सुघड़ तंत्र है! अत: दु:ख से भागने के बजाय अगर इसके प्रति जागरूक रहा जाए तो भीतर कुछ अद्भुत भी घट सकता है!
![जोड़ता है जो जल जोड़ता है जो जल](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/fhuHDvDDO1738584527654/1738585280079.jpg)
जोड़ता है जो जल
सारे संसार के सनातनी कुंभ में एकत्रित होते हैं। जो जन्मना है वह भी, जो सनातन के सूत्रों में आस्था रखता है वह भी। दुनियादारी के जंजाल में फंसा गृहस्थ भी और कंदरा में रहने वाला संन्यासी भी।
![अदाकार की खाल पर खर्च नहीं अदाकार की खाल पर खर्च नहीं](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/Tnz5JrK8Q1738582558401/1738582772399.jpg)
अदाकार की खाल पर खर्च नहीं
डॉली को शिकायत है कि जो पोशाक अदाकार की खाल जैसी होती है, उसके किरदार को बिना एक शब्द कहे व्यक्त कर देती है, उसे समुचित महत्व नहीं दिया जाता।
![जब बीमारी पहेली बन जाए... जब बीमारी पहेली बन जाए...](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/Qc7xb4YAc1738588025693/1738588124342.jpg)
जब बीमारी पहेली बन जाए...
कई बार सुनने में आता है कि फलां को ऐसा रोग हो गया जिसका इलाज ढूंढे नहीं मिल रहा। जाने कैसी बीमारी है, कई क्लीनिक के चक्कर लगा लिए मगर रोग पकड़ में ही नहीं आया।' ऐसे में संभव है कि ये रोग दुर्लभ रोग' की श्रेणी में आता हो। इस दुर्लभ रोग दिवस 28 फरवरी) पर एक दृष्टि डालते हैं इन रोगों से जुड़े संघर्षों पर।
![AMBITION ET संकल्प के बाद AMBITION ET संकल्प के बाद](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/EpMe5uRUx1738582789094/1738583308689.jpg)
AMBITION ET संकल्प के बाद
नववर्ष पर छोटे-बड़े संकल्प लगभग सभी ने लिए होंगे।
![श्वास में शांति का वास श्वास में शांति का वास](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/9neGHffJn1738586618235/1738586767864.jpg)
श्वास में शांति का वास
आज जिससे भी पूछो वो कहेगा मुझे काम का, पढ़ाई का या पैसों का बहुत तनाव है। सही मायने में पूरी दुनिया ही तनाव से परेशान है। इस तनाव को रोका तो नहीं जा सकता मगर एक सहज उपाय है जिससे इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है। -