सात वार, नौ त्योहार
Aha Zindagi|October 2024
सात वार, नौ त्योहार की कहावत हमारी उत्सवधर्मी संस्कृति का सार है। इसका अर्थ है आनंद मंगल होना। हमारे लिए तो हर दिन उत्सव है, पंचांग के लिहाज़ से भी और हमारी परंपरागत दिनचर्या और व्यवहार के हिसाब से भी। आधुनिक जीवन की आपाधापी और मूल्यों के बदलाव में हम भले ही कहीं और खुशियां खोजने लगे हैं, लेकिन असल आनंद तो पर्व-उत्सवों में ही है। ऐसा क्यों है, इसकी पड़ताल से वे सूत्र मिलेंगे जो आपके हर दिन को उत्सव बना देंगे।
ज्योत्स्ना पंत श्रीवास्तव
सात वार, नौ त्योहार

बचपन में गाई प्रार्थना 'हे प्रभु आनंददाता...' को याद कीजिए। ईश्वर को हम आनंद देने वाला मानते हैं। जीवन में हमारी सबसे बड़ी तलाश आनंद ही है। आनंद तब आता है जब पांचों इंद्रियां- आंख, कान, नाक, जीभ और त्वचा सक्रिय हो जाती हैं और यह मुख्यतः होता है त्योहारों के समय घर और परिवेश की सुंदर सजावट, रंग, रोशनी आदि आंखों को सुकून देते हैं। त्योहारों से जुड़े लोकगीत, भजन, गीत-संगीत कानों के रास्ते मन में रस घोल देते हैं। पकवानों की ख़ुशबू नथुनों के मार्ग से प्रवेश कर दिल-दिमाग़ को महका देती है। मिठाइयां और अन्य पकवान जीभ ही नहीं आत्मा को भी तृप्त करते हैं। और सबसे बढ़कर, अपनों का सान्निध्य, उनका स्नेहिल स्पर्श सच्चे सुख की अनुभूति कराता है। इस सबके सम्मिलन से जिस आनंद की अनुभूति होती है, उसकी मिसाल और कहां!

त्योहार लोगों को एक साथ आने और जश्न मनाने का एक अनूठा अवसर प्रदान करते हैं, चाहे वह सांस्कृतिक विरासत हो, धार्मिक अवसर हो या बस जीवन का आनंद हो। अपनेपन की यह भावना अकेलेपन और अलगाव के एहसासों को परे कर देती है। इस दौरान, हम अक्सर दोस्तों, परिवार और यहां तक कि अजनबियों के साथ भी ख़ुशियां साझा करते हैं, सामाजिक बाधाओं को तोड़ते हैं और नए संबंध बनाते हैं। एकता की यह भावना, चाहे वह एक ही लय पर थिरकना और नाचना हो, एक ही गीत को साथ-साथ गाना गुनगुनाना हो, या पकवान, खानपान साझा करना हो, पारस्परिक प्रेम, विश्वास और सहयोग की भावनाओं को बढ़ावा देती है। इसका सुफल आनंद, सुकून और संतुष्टि के रूप में मिलता है।

सारे उत्सव मन के हैं...

Diese Geschichte stammt aus der October 2024-Ausgabe von Aha Zindagi.

Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.

Diese Geschichte stammt aus der October 2024-Ausgabe von Aha Zindagi.

Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.

WEITERE ARTIKEL AUS AHA ZINDAGIAlle anzeigen
अन्न उपजाए अंग भी उगाए
Aha Zindagi

अन्न उपजाए अंग भी उगाए

बायो टेक्नोलॉजी चमत्कार कर रही है। सुनने में भारी-भरकम लगने वाली यह तकनीक उन्नत बीजों के विकास और उत्पादों का पोषण बढ़ाने के साथ हमारे आम जीवन में भी रच बस चुकी है। अब यह सटीक दवाओं और असली जैसे कृत्रिम अंगों के निर्माण से लेकर सुपर ह्यूमन विकसित करने सरीखी फंतासियों को साकार करने की दिशा में तेज़ी से बढ़ रही है।

time-read
7 Minuten  |
November 2024
इसे पढ़ने का फ़ैसला करें
Aha Zindagi

इसे पढ़ने का फ़ैसला करें

...और जीवन में ग़लत निर्णयों से बचने की प्रक्रिया सीखें। यह आपके हित में एक अच्छा निर्णय होगा, क्योंकि अच्छे फ़ैसले लेने की क्षमता ही सुखी, सफल और तनावरहित जीवन का आधार बनती है। इसके लिए जानिए कि दुविधा, अनिर्णय और ख़राब फ़ैसलों से कैसे बचा जाए...

time-read
5 Minuten  |
November 2024
जहां अकबर ने आराम फ़रमाया
Aha Zindagi

जहां अकबर ने आराम फ़रमाया

लाव-लश्कर के साथ शहंशाह अकबर ने जिस जगह कुछ दिन विश्राम किया, वहां बसी बस्ती कहलाई अकबरपुर। परंतु इस जगह का इतिहास कहीं पुराना है। महाभारत कालीन राजा मोरध्वज की धरती है यह और राममंदिर के लिए पीढ़ियों तक प्राण देने वाले राजा रणविजय सिंह के वंश की भी। इसी इलाक़े की अनूठी गाथा शहरनामा में....

time-read
8 Minuten  |
November 2024
पर्दे पर सबकुछ बेपर्दा
Aha Zindagi

पर्दे पर सबकुछ बेपर्दा

अब तो खुला खेल फ़र्रुखाबादी है। न तो अश्लील दृश्यों पर कोई लगाम है, न अभद्र भाषा पर। बीप की ध्वनि बीते ज़माने की बात हो गई है। बेलगाम-बेधड़क वेबसीरीज़ ने मूल्यों को इतना गिरा दिया है कि लिहाज़ का कोई मूल्य ही नहीं बचा है।

time-read
3 Minuten  |
November 2024
चंगा करेगा मर्म पर स्पर्श
Aha Zindagi

चंगा करेगा मर्म पर स्पर्श

मर्म चिकित्सा आयुर्वेद की एक बिना औषधि वाली उपचार पद्धति है। यह सिखाती है कि महान स्वास्थ्य और ख़ुशी कहीं बाहर नहीं, आपके भीतर ही है। इसे जगाने के लिए ही 107 मर्म बिंदुओं पर हल्का स्पर्श किया जाता है।

time-read
3 Minuten  |
November 2024
सदियों के शहर में आठ पहर
Aha Zindagi

सदियों के शहर में आठ पहर

क्या कभी ख़याल आया कि 'न्यू यॉर्क' है तो कहीं ओल्ड यॉर्क भी होगा? 1664 में एक अमेरिकी शहर का नाम ड्यूक ऑफ़ यॉर्क के नाम पर न्यू यॉर्क रखा गया। ये ड्यूक यानी शासक थे इंग्लैंड की यॉर्कशायर काउंटी के, जहां एक क़स्बानुमा शहर है- यॉर्क। इसी सदियों पुराने शहर में रेलगाड़ी से उतरते ही लेखिका को लगभग एक दिन में जो कुछ मिला, वह सब उन्होंने बयां कर दिया है। यानी एक मुकम्मल यायावरी!

time-read
7 Minuten  |
November 2024
... श्रीनाथजी के पीछे-पीछे आई
Aha Zindagi

... श्रीनाथजी के पीछे-पीछे आई

भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं को जीवंत करती है पिछवाई कला। पिछवाई शब्द का अर्थ है, पीछे का वस्त्र । श्रीनाथजी की मूर्ति के पीछे टांगे जाने वाले भव्य चित्रपट को यह नाम मिला था। यह केवल कला नहीं, रंगों और कूचियों से ईश्वर की आराधना है। मुग्ध कर देने वाली यह कलाकारी लौकिक होते हुए भी कितनी अलौकिक है, इसकी अनुभूति के लिए चलते हैं गुरु-शिष्य परंपरा वाली कार्यशाला में....

time-read
7 Minuten  |
November 2024
एक वीगन का खानपान
Aha Zindagi

एक वीगन का खानपान

अगर आप शाकाहारी हैं तो आप पहले ही 90 फ़ीसदी वीगन हैं। इन अर्थों में वीगन भोजन कोई अलग से अफ़लातूनी और अजूबी चीज़ नहीं। लेकिन एक शाकाहारी के नियमित खानपान का वह जो अमूमन 10 प्रतिशत हिस्सा है, उसे त्यागना इतना सहज नहीं । वह डेयरी पार्ट है। विशेषकर भारत के खानपान में उसका अतिशय महत्व है। वीगन होने की ऐसी ही चुनौतियों और बावजूद उनके वन होने की ज़रूरत पर यह अनुभवगत आलेख.... 1 नवंबर को विश्व वीगन दिवस के ख़ास मौके पर...

time-read
6 Minuten  |
November 2024
सदा दिवाली आपकी...
Aha Zindagi

सदा दिवाली आपकी...

दीपोत्सव के केंद्र में है दीप। अपने बाहरी संसार को जगमग करने के साथ एक दीप अपने अंदर भी जलाना है, ताकि अंतस आलोकित हो। जब भीतर का अंधकार भागेगा तो सारे भ्रम टूट जाएंगे, जागृति का प्रकाश फैलेगा और हर दिन दिवाली हो जाएगी।

time-read
3 Minuten  |
November 2024
'मां' की गोद भी मिले
Aha Zindagi

'मां' की गोद भी मिले

बच्चों को जन्मदात्री मां की गोद तो मिल रही है, लेकिन अब वे इतने भाग्यशाली नहीं कि उन्हें प्रकृति मां की गोद भी मिले- वह प्रकृति मां जिसके सान्निध्य में न केवल सुख है, बल्कि भावी जीवन की शांति और संतुष्टि का एक अहम आधार भी वही है। अतः बच्चों को कुदरत से प्रत्यक्ष रूप से जोड़ने के जतन अभिभावकों को करने होंगे। यह बच्चों के ही नहीं, संसार के भी हित में होगा।

time-read
7 Minuten  |
November 2024