व्यावहारिक ज्ञान बताता है कि क़िस्मत को नियंत्रित नहीं व्या किया जा सकता। यह मौकों और संभावनाओं से जुड़ी है। न्यूयॉर्क टाइम्स के बेस्टसेलर 'हार्ट, स्मार्ट्स, गट्स एंड लक' के सहलेखक एंथनी जान के अनुसार क़िस्मत तीन प्रकार की होती है:
• परिस्थिति से जुड़ी क़िस्मत: मैं अपने दोस्त के साथ किसी दूसरे की डिनर पार्टी में गया, वहां मेरा परिचय किसी से कराया गया। हम एक-दूसरे को पसंद करने लगे, घूमे फिरे और फिर शादी कर ली। सही समय पर सही जगह उपस्थित होने के कारण ही ऐसा हो पाया। परिस्थितियों ने ही इसे संभव बनाया।
• जन्म के कारण: उम्र, जाति, विरासत, संस्कृति या पालनपोषण के कारण आपको एक निश्चित परिणाम देखना पड़ता है। उदाहरण के लिए, किसी कंपनी में आपकी उन्नति इस वजह से होना कि आप बॉस के शहर से आए हैं, यह प्राकृतिक क़िस्मत है।
• मूक क़िस्मतः उस प्रकार की क़िस्मत जहां कोई भी कारण और परिणाम का पता नहीं लगा सकता। कोई लॉटरी लगना या रास्ते में हज़ार रुपये का नोट पड़ा मिलना मूक क़िस्मत के उदाहरण हैं।
हेल्ज़बर्ग की क़िस्मत कैसे खुली?
यद्यपि जन्म से संबंधित और मूक क़िस्मत को नियंत्रित करना बहुत मुश्किल है, लेकिन परिस्थिति संबंधी क़िस्मत के सिलसिले में मौक़ों को बढ़ाया जा सकता है।
कैसे? बस ऐसे मौकों को बढ़ाकर, जहां कुछ संभावना मिल सकती हो, और फिर उनमें से बेहतरीन की तलाश कर आप अपना बेस्ट दे सकते हैं।
लेकिन कोई कैसे मौक़ों को बढ़ाकर (रेज़), बेहतर की पहचान (रिकॉग्नाइज़) करके, बेहतर प्रतिक्रिया (रिस्पॉन्ड) कर सकता है? इसे समझने के लिए एक वास्तविक घटना का उदाहरण लेते हैं:
Diese Geschichte stammt aus der November 2024-Ausgabe von Aha Zindagi.
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