विज्ञान ने हमारे जीवन को काफ़ी आसान बनाया है। विज्ञान की देन अनेक वस्तुओं के पीछे की तकनीक हमें अक्सर अचरज में डाल देती है। कमरे को रोशन करते बल्ब, हवा देने वाले पंखे, एयर कंडीशनर से लेकर मोबाइल और टीवी वैज्ञानिक चमत्कार ही हैं। विज्ञान के अनेक उपहार हम आंखों से देख सकते हैं। कुछ आविष्कार ऐसे भी हैं जो मनुष्य के जीवन को सुंदर बनाते हैं लेकिन हम उनके पीछे काम करने वाले सिद्धांत से अनजान होते हैं। जैव प्रौद्योगिकी अर्थात बायो टेक्नोलॉजी विज्ञान की ऐसी ही एक धारा है जो हमारे दैनिक जीवन में इस तरह घुलमिल गई है कि हमें कई बार पता भी नहीं चलता इसके पीछे विज्ञान और तकनीक के कई नवाचार हैं।
आज जैव प्रौद्योगिकी हमारी थाली को पोषक बनाने से लेकर लाइलाज बीमारियों को ठीक करने तक, कई क्षेत्रों में वरदान बन रही है। अब तो बढ़ते पर्यावरणीय संकट से बचाव के लिए जैव प्रौद्योगिकी में ही उपाय तलाशे जा रहे हैं। जीव-जंतुओं की सांसों से जुड़ा विज्ञान और उनके जैसा ही नया जीवन गढ़ने वाली इंजीनियरिंग के मेल से तैयार जैव प्रौद्योगिकी हमारे आज और कल को कैसे स्वस्थ और संपन्न बना रही है, आइए अपने आसपास हो रहे बदलाव में महसूस करें।
खेत से थाली तक पोषण की बहाली
जीवन को संचालित करने के लिए कोशिकाएं और एंजाइम जैसे कुछ अहम घटक ज़रूरी हैं। जीव-जंतुओं और समस्त वनस्पतियों के जीवन का आधार कोशिकाएं कुछ निश्चित जैविक विधियों से जीवन का संचालन करती हैं। जैव प्रौद्योगिकी में कोशिकाओं, एंजाइम और सूक्ष्म जीवों से आवश्यक जैविक सामग्री हासिल कर नई वस्तुएं तैयार होती हैं। सुबह नाश्ते में हम जिस ब्रेड का सेवन करते हैं उसे सूक्ष्म जीवों की मदद से तैयार किया जाता है। यह जैव प्रौद्योगिकी के सिद्धांत से संपन्न होता है।
Diese Geschichte stammt aus der November 2024-Ausgabe von Aha Zindagi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der November 2024-Ausgabe von Aha Zindagi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
अन्न उपजाए अंग भी उगाए
बायो टेक्नोलॉजी चमत्कार कर रही है। सुनने में भारी-भरकम लगने वाली यह तकनीक उन्नत बीजों के विकास और उत्पादों का पोषण बढ़ाने के साथ हमारे आम जीवन में भी रच बस चुकी है। अब यह सटीक दवाओं और असली जैसे कृत्रिम अंगों के निर्माण से लेकर सुपर ह्यूमन विकसित करने सरीखी फंतासियों को साकार करने की दिशा में तेज़ी से बढ़ रही है।
इसे पढ़ने का फ़ैसला करें
...और जीवन में ग़लत निर्णयों से बचने की प्रक्रिया सीखें। यह आपके हित में एक अच्छा निर्णय होगा, क्योंकि अच्छे फ़ैसले लेने की क्षमता ही सुखी, सफल और तनावरहित जीवन का आधार बनती है। इसके लिए जानिए कि दुविधा, अनिर्णय और ख़राब फ़ैसलों से कैसे बचा जाए...
जहां अकबर ने आराम फ़रमाया
लाव-लश्कर के साथ शहंशाह अकबर ने जिस जगह कुछ दिन विश्राम किया, वहां बसी बस्ती कहलाई अकबरपुर। परंतु इस जगह का इतिहास कहीं पुराना है। महाभारत कालीन राजा मोरध्वज की धरती है यह और राममंदिर के लिए पीढ़ियों तक प्राण देने वाले राजा रणविजय सिंह के वंश की भी। इसी इलाक़े की अनूठी गाथा शहरनामा में....
पर्दे पर सबकुछ बेपर्दा
अब तो खुला खेल फ़र्रुखाबादी है। न तो अश्लील दृश्यों पर कोई लगाम है, न अभद्र भाषा पर। बीप की ध्वनि बीते ज़माने की बात हो गई है। बेलगाम-बेधड़क वेबसीरीज़ ने मूल्यों को इतना गिरा दिया है कि लिहाज़ का कोई मूल्य ही नहीं बचा है।
चंगा करेगा मर्म पर स्पर्श
मर्म चिकित्सा आयुर्वेद की एक बिना औषधि वाली उपचार पद्धति है। यह सिखाती है कि महान स्वास्थ्य और ख़ुशी कहीं बाहर नहीं, आपके भीतर ही है। इसे जगाने के लिए ही 107 मर्म बिंदुओं पर हल्का स्पर्श किया जाता है।
सदियों के शहर में आठ पहर
क्या कभी ख़याल आया कि 'न्यू यॉर्क' है तो कहीं ओल्ड यॉर्क भी होगा? 1664 में एक अमेरिकी शहर का नाम ड्यूक ऑफ़ यॉर्क के नाम पर न्यू यॉर्क रखा गया। ये ड्यूक यानी शासक थे इंग्लैंड की यॉर्कशायर काउंटी के, जहां एक क़स्बानुमा शहर है- यॉर्क। इसी सदियों पुराने शहर में रेलगाड़ी से उतरते ही लेखिका को लगभग एक दिन में जो कुछ मिला, वह सब उन्होंने बयां कर दिया है। यानी एक मुकम्मल यायावरी!
... श्रीनाथजी के पीछे-पीछे आई
भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं को जीवंत करती है पिछवाई कला। पिछवाई शब्द का अर्थ है, पीछे का वस्त्र । श्रीनाथजी की मूर्ति के पीछे टांगे जाने वाले भव्य चित्रपट को यह नाम मिला था। यह केवल कला नहीं, रंगों और कूचियों से ईश्वर की आराधना है। मुग्ध कर देने वाली यह कलाकारी लौकिक होते हुए भी कितनी अलौकिक है, इसकी अनुभूति के लिए चलते हैं गुरु-शिष्य परंपरा वाली कार्यशाला में....
एक वीगन का खानपान
अगर आप शाकाहारी हैं तो आप पहले ही 90 फ़ीसदी वीगन हैं। इन अर्थों में वीगन भोजन कोई अलग से अफ़लातूनी और अजूबी चीज़ नहीं। लेकिन एक शाकाहारी के नियमित खानपान का वह जो अमूमन 10 प्रतिशत हिस्सा है, उसे त्यागना इतना सहज नहीं । वह डेयरी पार्ट है। विशेषकर भारत के खानपान में उसका अतिशय महत्व है। वीगन होने की ऐसी ही चुनौतियों और बावजूद उनके वन होने की ज़रूरत पर यह अनुभवगत आलेख.... 1 नवंबर को विश्व वीगन दिवस के ख़ास मौके पर...
सदा दिवाली आपकी...
दीपोत्सव के केंद्र में है दीप। अपने बाहरी संसार को जगमग करने के साथ एक दीप अपने अंदर भी जलाना है, ताकि अंतस आलोकित हो। जब भीतर का अंधकार भागेगा तो सारे भ्रम टूट जाएंगे, जागृति का प्रकाश फैलेगा और हर दिन दिवाली हो जाएगी।
'मां' की गोद भी मिले
बच्चों को जन्मदात्री मां की गोद तो मिल रही है, लेकिन अब वे इतने भाग्यशाली नहीं कि उन्हें प्रकृति मां की गोद भी मिले- वह प्रकृति मां जिसके सान्निध्य में न केवल सुख है, बल्कि भावी जीवन की शांति और संतुष्टि का एक अहम आधार भी वही है। अतः बच्चों को कुदरत से प्रत्यक्ष रूप से जोड़ने के जतन अभिभावकों को करने होंगे। यह बच्चों के ही नहीं, संसार के भी हित में होगा।