पति-पत्नी को एक गाड़ी के दो पहिये कहा जाता है। यानी जब दोनों पहिये साथ-साथ चलते हैं तो ही गृहस्थी सुचारू रह पाती है। पर, जब एक साथी पर जरूरत से ज्यादा भार और जिम्मेदारियां आने लगती हैं, तो गृहस्थी की गाड़ी अपना संतुलन खोने लगती है। बात कभी-कभार झल्लाने से शुरू होती है, जो धीरे-धीरे इतनी गंभीर समस्या बन जाती है कि अक्सर ही दोनों में तनातनी रहने लगती है। किसी एक साथी पर जरूरत से ज्यादा पड़ने वाली जिम्मेदारियों के बोझ के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें लाइफ पार्टनर का अपने साथी की भावनाओं की कद्र न करना, आर्थिक रूप से कमजोर होना, किसी शारीरिक या मानसिक समस्या से लंबे समय तक जूझना या सामाजिक और पारिवारिक दबाव मुख्य हैं। हालांकि हमेशा कारण वाजिब या गैर वाजिब नहीं होते, पर जो जिम्मेदारियों के बोझ तले दबा हुआ है, उसकी स्थिति हर हालत में दयनीय ही रहती है।
आदेश और रिया की शादी को सिर्फ छह महीने हुए थे, लेकिन इन छह महीनों में ही दोनों में इतनी तकरार बढ़ गयी कि परिवार वालों को बीच में सुलह के लिए आना पड़ा। रिया का कहना था कि वह घर और बाहर की सारी जिम्मेदारियां अकेले नहीं उठा सकती, इसलिए आदेश को उसकी मदद करनी चाहिये। जबकि आदेश का तर्क था कि उसकी मां ने भी पिता के बिना सारे घर को संभाला, तो रिया को भी ऐसा करना चाहिए।
यह सिर्फ एक उदाहरण है। पर, हमारे आसपास इस तरह की समस्या से जूझने वाले अनेक जोड़े हैं जो अपने साथी की गैर-संजीदगी और गैर-जिम्मेदाराना रवैये की वजह से परेशान रहते हैं। पर क्या इस समस्या का कोई हल नहीं? जिंदगी की गाड़ी एक पहिये के बल पर खींचना नामुमकिन है, इसलिए बेहद जरूरी है कि आप धैर्य और शांति से काम लेते हुए अपने साथी से इस समस्या के बारे में बात करें और बीच का कोई रास्ता निकालें। वैसे कुछ छोटे-छोटे लेकिन महत्वपूर्ण नियमों का पालन करते हुए आप आसानी से अपनी समस्या का अहसास अपने पार्टनर को दिला सकते हैं और इस बात की पूरी-पूरी संभावना है कि उनका अपने वैवाहिक जीवन और गृहस्थी के प्रति नजरिया बदल जाए।
मदद मांगने में हिचक कैसी?
Diese Geschichte stammt aus der October 29, 2022-Ausgabe von Anokhi.
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