बच्चों को कैसा तनाव? बच्चों की मानसिक सेहत पर चर्चा ही क्यों करनी? अकसर हम यह सोचते हैं। यह सोच सही नहीं है। बच्चे की मानसिक सेहत पर भी बट्टा लग सकता है। आंकड़े भी इसकी तसदीक करते हैं। भारत के आठ बड़े शहरों में किए गए एक सर्वे की मानें तो स्कूल जाने वाले 50 फीसदी बच्चे तनाव में हैं। जरूरत से ज्यादा पाठ्यक्रम, पढ़ाई के लंबे घंटे, अध्यापकों और माता-पिता का आवश्यकता से अधिक दबाव इसका प्रमुख कारण है। मोबाइल और इंटरनेट भी इस तनाव का एक बड़ा कारण है। 2022 के शुरुआत में हुए दूसरे सर्वे ने भी इस बात की पुष्टि की है। 3.79 लाख बच्चों पर किए गए सर्वे में कक्षा 6 से 12 तक के छात्रों को शामिल किया गया। सर्वे में पाया गया है कि बच्चों में चिंता, तनाव के ढेरों कारण हैं, जो व्यक्तिगत, सामाजिक, भावनात्मक, शैक्षिक, करियर विकल्प आदि से संबंधित हैं। जरा गौर कीजिए कि आपका लाडला भी तो इस समस्या से दो-चार नहीं हो रहा है? उसको समय दीजिए, साथ में अपना भरोसा, मार्गदर्शन भी ताकि तनाव उसे पथभ्रष्ट न करने पाए। इसके लिए जरूरी है बच्चे के साथ वक्त बिताना और समस्या को भांप कर उसके समाधान पर काम करना।
इन लक्षणों पर करें गौर
• आपका बच्चा लगातार परिवार और दोस्तों से दूरी बनाने की कोशिश कर रहा है, अपने पंसदीदा जगहों से परहेज कर रहा है, ज्यादातर समय अलग और अकेला रहता है, तो यह खतरे की घंटी हो सकती है।
• इन दिनों वह चिंतित दिखता है और तनावग्रस्त महसूस करता है। अकसर अपने खयालों में खोया रहता है, डरा सा नजर आता है तो हो सकता है कि उसके भीतर भावनात्मक उठा-पटक चल रही हो।
Diese Geschichte stammt aus der December 17, 2022-Ausgabe von Anokhi.
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