आपका पीरियड आने वाला है, यह बात आप खुद ही जोर-जोर से सबको बता देती हैं। कभी अचानक चिड़चिड़ाने लगना तो कभी बेमतलब का रोना-धोना, जरूरत से ज्यादा खाना या बिना काम के ही थकान। आपके लक्षण पीरियड शुरू होने की ओर साफ इशारा करते हैं। हालांकि, इसमें छुपाने जैसा कुछ भी नहीं। बात है समस्या की, उस तकलीफ की जिससे आपको हर महीने चार से छह दिन गुजरना ही पड़ता है। यह समस्या आपके काम से लेकर आपकी सेहत और मूड हर चीज को प्रभावित करती है। और यह आम बात है। यह बात इतनी आम है कि इसका हल तलाशने की जहमत भी कोई नहीं उठाना चाहता। दर्द हो रहा है, उसमें क्या है, वो तो सभी को होता है। ऐसी बातें हम सभी के लिए आम हैं।
पर, अगर सही राह पकड़ी जाए तो आप इन परेशानियों से बच पाएंगी। इसका बड़ा हल छुपा है, नियमित व्यायाम में। व्यायाम जो आपकी सेहत का भरपूर ध्यान रखता है। स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. रेनू सिंह गहलौत कहती हैं कि पीरियड में महिलाओं के अंदर हॉर्मोनल बदलाव तेजी से होते हैं, जिसके कारण उनमें मूड स्विंग की समस्या देखने को मिलती है। इसके अलावा हॉर्मोन के कारण ही पीरियड क्रैम्प यानी पेट दर्द की समस्या भी होती है। इन समस्याओं को कम करने के लिए आपको सही खानपान अपनाने के साथ ही नियमित व्यायाम को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाना होगा।
पीरियड पर व्यायाम का असर
आमतौर पर माना जाता है कि पीरियड के दौरान व्यायाम नहीं करना चाहिए। इस बात से इत्तेफाक रखते हुए फिटनेस ट्रेनर आशीष मिश्रा कहते हैं कि महिलाओं के लिए यह दौर मुश्किल होता है, इसलिए उन्हें इस वक्त शरीर पर किसी भी तरह का दबाव डालने से बचना चाहिए। पीरियड के दौरान टहलने और ब्रीदिंग एक्सरसाइज से पीएमएस में लाभ मिलता है। नियमित व्यायाम हर तरीके से फायदा ही देता है, फिर चाहे पीरियड से जुड़ी समस्या ही क्यों ना हो। जिन महिलाओं की आम दिनचर्या में व्यायाम शामिल होता है, उन्हें पीएमएस, पीसीओडी या हॉर्मोन से जुड़ी अन्य समस्याएं कम होती हैं।
क्या होता है पीएमएस?
Diese Geschichte stammt aus der June 03, 2023-Ausgabe von Anokhi.
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