अकसर बड़े-बुजुर्ग कहते हैं कि बच्चों को जन्म देने से बड़ा काम है, उन्हें अच्छी परवरिश देना। बच्चे की परवरिश ही उसके जीवन की दशा और दिशा निर्धारित करती है। बदलते वक्त के साथ परवरिश के तरीके में भी बदलाव आ रहा है। इस सफर में नई-नई चीजें शामिल हो रही हैं, तो परवरिश के कुछ पुराने तरीके पीछे छूट रहे हैं। अभिभावक और बच्चे का रिश्ता प्रोफेशनल नहीं, बल्कि आत्मीय और गहरा होता है। तो स्वाभाविक है इस रिश्ते में प्यार बहुत ज्यादा होता है। पर, बच्चे की सही परवरिश के लिए अनुशासन होना भी बहुत जरूरी है। चाहे प्यार हो या अनुशासन, दोनों में एक सीमा निर्धारित करना महत्वपूर्ण है। कोई भी चीज जब आप सीमा से अधिक करेंगी तो उसका बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। बदलते वक्त के साथ परवरिश के अपने तरीके में किन चीजों को करें शामिल और किन्हें छोड़ें पीछे, आइए जानें:
अच्छी नहीं अतिव्यस्तता
बच्चे को बहुत ज्यादा व्यस्त न रखें। अगर आप उसे सारा दिन स्कूल, ट्यूशन, एक्टिविटी क्लॉस, होमवर्क आदि में व्यस्त रखेंगी तो उसकी इन चीजों में रुचि विकसित होने की बजाय कम हो जाएगी। हम चाहते हैं हमारा बच्चा हर काम में अपना सर्वश्रेष्ठ दे। लेकिन न तो यह व्यवहारिक है और न ही संभव। इससे बच्चा शारीरिक, भावनात्मक व मानसिक रूप से थक जाता है। कुछ समय उसके लिए छोड़ दें, ताकि वह अपना मनपसंद काम कर सके।
भेदभाव अब तो करें बंद
Diese Geschichte stammt aus der June 03, 2023-Ausgabe von Anokhi.
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