
आपको कभी किसी बात पर अपराध बोध यानी गिल्ट महसूस हुआ है ? यह पढ़ते ही आप भी सोच रही होंगी कि भला यह कैसा सवाल हुआ? अभी पांच मिनट पहले ही तो नौकरी की वजह से बच्चे के साथ पर्याप्त वक्त न बिताने के अपराध बोध से जूझ रही थी। अपराध बोध महिलाओं की जिंदगी का स्थायी भाव है। रिश्ते की अपेक्षाएं, अच्छी मां न बन पाना, ऑफिस में अति महत्वाकांक्षी न होना, कपड़े और मेकअप के मामले में अपनी सहेली से पीछे रह जाना, अकसर गुस्से में रहना, अपनी बात दमदार तरीके से न कह पाना, ठहाके लगाकर हंसना तो सामने वाले को दिल से माफ न करना... यह कभी न खत्म होने वाली वह लिस्ट है, जिनसे हम महिलाएं अपराध बोध की शिकार होती हैं। गिल्ट से हम महिलाओं का इतना गहरा नाता है कि युनाइटेड किंगडम में इस बारे में हुए एक सर्वे में 95 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि उन्हें हर दिन किसी-न-किसी बात पर गिल्ट महसूस होता है। यह तो तय है कि इस भाव से खुद को पूरी तरह से दूर रख पाना संभव नहीं है। पर, कुछ बातों को अपनाकर आप इसके असर को थोड़ा कम जरूर कर सकती हैं:
खुद को न ठहराएं जिम्मेदार
Diese Geschichte stammt aus der September 14, 2024-Ausgabe von Anokhi.
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