कोरोना के बाद से भारत समेत पूरी दुनिया में लोगों के काम करने के तौरतरीके में बदलाव आया है. आज यह सुविधा है कि आप रिमोट वर्क कर सकते हैं यानी औफिस जाने की जरूरत नहीं, बस घर पर अपने सिस्टम को लौगइन करो और सारा काम घर बैठेबैठे.
नोएडा, गुरुग्राम, बेंगलुरु, हैदराबाद, दिल्ली, मुंबई, चैन्नई जैसे बड़े शहरों के कौर्पोरेट इसी तरह अपने कर्मचारियों से काम करवा रहे हैं. आजकल की युवा पीढ़ी इसे सहूलियत मान रही है क्योंकि इस में फौरमैलिटी है. आप चाहे अपने नोटिस एरिया में हैं, परिवार के साथ गपशप कर रहे हैं, जब चाहे उठ कर चाय पी रहे हैं पर साथ में काम भी कर रहे हैं.
वर्क फ़ौम होम में किसी तरह की फौरमैलिटी नहीं है कि आप को कैसे रहना है. आप बस काम कर रहे हैं, कंपनी को यह मैटर करता है.
लेकिन जहां यह सहूलियत देता है वहीं इसे ले कर कुछ समस्याएं भी हैं जैसे सोशल रिलेशन खत्म होना, पूरे दिन घर में बंधे रहना, काम के घंटे फिक्स न होना और सब से बड़ी बात वर्क एथिक का खत्म होना. ऐसे में युवाओं में असमंजस है कि उन के लिए घर में काम करना बेहतर है या औफिस में.
हम चाहे जितनी दुहाई दें कि यह कंप्यूटर और इंटरनैट का युग है, लेकिन समाज में हमारे दकियानूसी होने के चिह्न अब भी हर तरफ बिखरे हैं.
भले हम अपनी जीवनशैली में फायदे के लिए आधुनिक तकनीक का भी खूब इस्तेमाल करते हैं, लेकिन हम सोच और समझ के मामले में आधुनिकता को कहीं जगह नहीं देते. यही कारण है कि आज जबकि सेवा क्षेत्र का 90 फीसदी से ज्यादा काम औनलाइन हो चुका है और 80 फीसदी सेवा क्षेत्र के प्रोफैशनलों के लिए लैपटौप ही उन का दफ्तर बन चुका है, हिंदुस्तान में जो पुरुष सुबह घर से निकल कर एक तयशुदा जगह काम करने नहीं जाता, उसे इज्जत की निगाह से नहीं देखा जाता.
Diese Geschichte stammt aus der August 2023-Ausgabe von Mukta.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der August 2023-Ausgabe von Mukta.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
बौडी लैंग्वेज से बनाएं फ्रैंडली कनैक्शंस
बौडी लैंग्वेज यानी हावभाव एक तरह की शारीरिक भाषा है जिस में शब्द तो नहीं होते लेकिन अपनी बात कह दी जाती है. यह भाषा क्या है, कैसे पढ़ी जा सकती है, जानें आप भी.
औनलाइन सट्टेबाजी का बाजार गिरफ्त में युवा
दीवाली के मौके पर सट्टा खूब खेला जाता है, इसे धन के आने का संकेत माना औनलाइन माध्यमों का सहारा ले रहे हैं. मटकों और जुआखानों की युवा जाता है. जगह आज औनलाइन सट्टेबाजी ने ले ली है, जो युवा पीढ़ी को बरबाद कर रही है.
सोशल मीडिया डिटॉक्स जरूरी
युवाओं के जीवन में सोशल मीडिया हद से ज्यादा हावी होने लगा है. उन में इस का एक तरह से एडिक्शन सा हो गया है. ऐसे में जरूरी है समयसमय पर इस से डिटोक्स होने की.
दीवाली नोस्टेलजिया से बचें
कई लोग ऐसे होते हैं जो फैस्टिव नोस्टेलजिया में फंसे रहते हैं और अपना आज खराब कर रहे होते हैं जबकि समझने की जरूरत है कि समय जब बदलता है तो उस के साथ नजरिया और चीजें भी बदलती हैं.
सिर्फ ट्रैंडिग चेहरा बन कर रह गईं कुशा कपिला
इन्फ्लुएंसर कुशा कपिला ऐक्टिंग कैरियर के शुरुआती दौर में हैं. कुछ प्रोजैक्ट मिल चुके हैं लेकिन याद रखने लायक कोई भूमिका नजर नहीं आई. जरूरी है कि वे अपनी सोशल मीडिया की एकरूपता वाली आदत को छोड़ें.
कूड़े का ढेर हो गया है सोशल मीडिया
सोशल मीडिया कूड़े का ढेर जैसा है, जहां अपने मतलब की या सही जानकारी जुटाने के लिए काफी जद्दोजेहद करनी पड़ती है क्योंकि यहां बैठे इन्फ्लुएंसर्स और न्यूज फीडर बिना संपादन के कुछ भी झूठसच ठेलते रहते हैं.
इयरफोन का यूज सही या गलत
इयरफोन को हम ने अपने जीवन में कुछ इस तरह जगह दे दी है कि आसपास क्या चल रहा है, हमें खबर ही नहीं होती. मानो हर किसी की अपनी एक अलग दुनिया हो, जिस में वह और उस का यह गैजेट हो और कोई नहीं.
औनलाइन ट्रैप में फंसती लड़कियां
औनलाइन डेटिंग और सोशल मीडिया ने युवाओं को एकदूसरे से जुड़ने के नए तरीके दिए हैं, लेकिन इस के साथ ही उन के फ्रौड के शिकार होने के खतरे भी बढ़ गए हैं. पढ़ीलिखी लड़कियां भी मीठी बातों में फंस कर अपने सपनों और भावनाओं के साथसाथ आर्थिक नुकसान भी उठा रही हैं.
सैल्फमेड ऐक्ट्रैस अलाया एफ
बौलीवुड में अलाया का ताल्लुक भले फिल्मी परिवार से रहा लेकिन काम को ले कर चर्चा उन्होंने अपनी मेहनत के दम पर हासिल की. उन्हें भले स्टार वाली सफलता अभी हासिल न हुई पर उन के हिस्से में कुछ अच्छी फिल्में जरूर आई हैं.
इस दीवाली कुछ क्रिएटिव तरीके से करें विश
दीवाली पर वही पुराने व्हाट्सऐप फौरवर्ड मैसेजेस पढ़ कर या भेज कर यदि आप बोर हो चुके हैं तो थोड़ी सी क्रिएटिविटी कर आप इसे इंट्रेस्टिंग बना सकते हैं और वाहवाही लूट सकते हैं. कैसे, जानिए.