![कूड़े का ढेर हो गया है सोशल मीडिया कूड़े का ढेर हो गया है सोशल मीडिया](https://cdn.magzter.com/1338807038/1730093530/articles/tRnLssCmR1730808295418/1730808616670.jpg)
हमारे समाज में मुफ्त की सलाह देने वालों की कमी नहीं रही है. घर, चौपालों में इस तरह की सलाह कई बार बेहद घातक होती है. जीवन ले लेती है. 48 साल की बबिता को पेट में दर्द था. उस की माहवारी बंद हो चुकी थी. उस ने अपनी सास से यह बात बताई. सास ने कहा जब माहवारी बंद होने वाली होती है तो ऐसे ही होता है. परेशान न हो, दर्द धीरेधीरे ठीक हो जाएगा.
बबिता ने किसी डाक्टर से न सलाह ली न कोइ जांच कराई. धीरेधीरे 2 साल बीत गए. बबिता की माहवारी बंद हो गई. पेट में भारीपन और हलका दर्द बना रहता था.
एक दिन अचानक उसे तेज माहवारी हुई. फिर लोगों ने समझाया कि कई बार बंद होने यानी मेनोपौज के पहले ऐसा एकदो बार हो जाता है. बबिता की रुकरुक कर माहवारी चल रही थी. 5वें दिन माहवारी इतनी बढ़ गई कि उस को संभालना कठिन हो गया.
इमरजेंसी में परिवार के लोग बबिता को अस्पताल ले गए. जांच हुई तो पता चला कि बबिता को गर्भाशय का कैंसर है. अब इस की चौथी स्टेज है. 2 माह से अधिक का समय उस के पास नहीं है. अगर 2 साल पहले जांच और इलाज हो जाता तो बबिता को बचाया जा सकता था.
हमारे समाज में इस तरह का ज्ञान अब चौपाल के अलावा सोशल मीडिया पर भी मिलने लगा है. किसी भी विषय पर हजारों लाखों लोग सोशल मीडिया पर अपना ज्ञान परोसते रहते हैं. इस बहाने ये लोग अपने फौलोअर और सब्सक्राइबर बढ़ाने का काम करते हैं. यह पूरी एक कड़ी है, जिस की कमान सोशल मीडिया साइट बनाने वालों के पास होती है. मुख्यतौर से कमाई वे करते हैं. कंटैंट क्रिएटर और इनफ्लुएंसर्स बन कर तमाम लोग पैसे मिलने की चाह में उन का काम कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर काम कर रहे 10 फीसदी लोग ही मेहनत के बराबर कमाई कर रहे हैं. बाकी लोग कमाई की अंधी दौड़ में भाग रहे हैं. उन को लगता है कि अब पैसा मिलने वाला है. लेकिन यह मिलता नहीं है.
एक से बढ़ कर एक सलाह
इंस्टाग्राम पर औनेस्ट आयुर्वेदा नाम के अकाउंट में स्टाफेनिया नामक एक पौधे को दिखाते हुए समझाया गया है कि यह पौधा हजारों साल रहता है. यह घर को हराभरा करने के लिए लगाया जाता है. इस का खास महत्त्व यह बताया गया है कि इस को घर में लगाने से लंबी आयु और बड़ी हुई कृपा मिलती है. इस का रखरखाव आसान है. अब लोग इस को लंबी आयु और बड़ी हुई कृपा के लिए ढूंढ़ रहे हैं.
Diese Geschichte stammt aus der October 2024-Ausgabe von Mukta.
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