जिन्होंने अपनी मातृभूमि छोड़ मुंबई को कर्मभूमि बनाकर संघर्षपथ पर पग उठाये तो अपनी मेहनत, कार्यकुशलता से सफलताओं के आकाश नापने वालों में एक बड़ा नाम कृपाशंकर सिंह का भी हैं। सूबे के सियासी जगत में जनप्रियता हासिल करने वाले कृपाशंकर सिंह एक ऐसी शख्सियत हैं कि चाहे वह सत्तापक्ष हो या विपक्ष सभी उनकी राजनीतिक अहमियत व उपयोगिता से वाकिफ है। वर्तमान में वह बीजेपी के उत्तर भारतीय नेताओं में आदमकद नाम है। महाराष्ट्र बीजेपी के उत्तर भारतीय मोर्चा के प्रदेश प्रभारी, मोदी@2024 के महाराष्ट्र जनसंपर्क सह प्रभारी के साथ बीजेपी ने सर्वाधिक महत्वपूर्ण दायित्व महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों के विस्तारक की जिम्मेदारी देकर कृपाशंकर सिंह की जन लोकप्रियता, राजनीतिक अहमियत व उपयोगिता दर्शायी है।
महाराष्ट्र के गृहराज्य मंत्री रहते अंडरवर्ल्ड व आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस नीति पर चलकर कमर तोड़ने का काम करने वाले कृपाशंकर सिंह उत्तर प्रदेश के जौनपुर जनपद के सहोदरपुर गांव निवासी हैं। उक्त गांव निवासी रामनिरंजन सिंह के सुपुत्र के रूप में 31 जुलाई वर्ष 1950 को जन्मने वाले कृपाशंकर सिंह का विवाह मालती देवी के साथ हुआ है और सुनीता सिंह व नरेन्द्र सिंह (संजय) के रूप में सुपुत्री और सुपुत्र हैं। वर्ष 1971 में 21 वर्ष की आयु में जौनपुर से तत्कालीन बम्बई नगरिया अपने ख्वाबों को पूरे करने के लिए आये। कुछ वर्ष नौकरी के पश्चात इनका रुझान राजनीतिक क्षेत्र में हुआ और वर्ष 1977 में कांग्रेस पार्टी से जुड़कर सियासी जगत के आसमां नापने निकल पड़े। जल्द ही अपनी प्रतिपद्ध कार्यशैली से जहां यह बड़े नेताओं की निगाहों में बसते चले गए तो हर आने वाले जरूरतमन्दों के लिए भी वक्त ज़रूरत उनकी अपेक्षाओं पर खरे उतरते रहे, जिसके चलते तेजी से उत्तर भारतीयों के नेता के रूप में आदमकद हो रहे कृपाशंकर सिंह को कांग्रेस ने वर्ष 1994 में विधान परिषद सदस्य के रूप में उच्च सदन में उत्तर भारतीयों की आवाज के रूप में भेजा। इसके बाद सांताक्रूज विधानसभा से लगातार तीन बार मतददाताओं ने कृपाशंकर सिंह पर भरपूर प्यार आशीर्वाद लुटाते हुए वर्ष 1999-2004-2009 में विधायक चुनकर विधानसभा में भेजा।
Diese Geschichte stammt aus der September 2023-Ausgabe von DASTAKTIMES.
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मूल परंपरा से संवाद जरूरी
संगति में काल में न कुछ प्राचीन है और न ही आधुनिक। हम मनुष्य ही काल प्राचीनता या नवीनता के विवेचन करते हैं। प्राचीनता ही अपने अद्यतन विस्तार में नवीनता और आधुनिकता है। हम आधुनिक मनुष्य अपने पूर्वजों का ही विस्तार हैं। वे भी अपनी विषम परिस्थितियों में अपने पूर्वजों से प्राप्त जीवन मूल्यों को झाड़पोछकर अपने समय की आधुनिकता गढ़ रहे थे। ऐसा कार्य सतत् प्रवाही रहता है।
भारत और रूस संबंधों को नई मजबूती
तीसरी बार पीएम पद संभालने के बाद मोदी ने अपने पहले विदेश दौरे के लिए रूस जाने का फैसला किया। गौरतलब है कि जिस वक्त मोदी रूस के दौरे पर थे उस वक्त पश्चिमी देशों के सैन्य गठबंधन, नेटो की बैठक की तैयारी हो रही थी । अमेरिका में होने वाली नेटो की इस बैठक में यूक्रेन के लिए सहयोग और नेटो की उसकी सदस्यता अहम मुद्दा था। जानकार मानते हैं कि मोदी का रूस दौरा पश्चिमी देशों को इशारा है कि वह अपनी रक्षा और अन्य जरूरतों के लिए पूरी तरह पश्चिमी देशों पर निर्भर नहीं कर सकता।
भाजपा का एसटी सीटों पर फोकस
भाजपा ने आगामी चुनाव को लेकर भी अपना एजेंडा तय कर लिया है। पार्टी का मानना है कि भ्रष्टाचार और बांग्लादेशी घुसपैठ दो अहम मुद्दे हैं जिन पर इंडिया गठबंधन को घेरा जा सकता है। ऐसा माना जा रहा है कि संथाल परगना सहित कई ऐसे इलाके हैं जहां एक समुदाय के वोटरों की संख्या में बड़ी वृद्धि हुई है। इसके साथ ही बैठक में प्रदेश भाजपा के सिर्फ नेताओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शीघ्र झारखंड दौरे के संकेत दिए गए हैं वहीं, इसकी भनक राज्य सरकार को भी मिली है।
प्रशांत किशोर का पैंतरा
पीके राजनीतिक सलाहकार के रूप में जाने जाते हैं, हालांकि राजनेता के रूप में जदयू में रहे, लेकिन बहुत दिनों तक नीतीश कुमार के साथ नहीं चल सके। नीतीश ने पीके को जदयू का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया था। तब उनकी पार्टी में नंबर दो की हैसियत थी। बाद में जदयू से किनारे लगा दिए गए। अब वे पूरी तरह से एक राजनेता के रूप में लोगों के सामने आने को तैयार हैं।
खेलों के महाकुम्भ में भारत
भारत ने टोक्यो ओलंपिक में सात पदक जीते ये जो उसका ओलंपिक खेलों में अभी तक सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है और भारतीय खिलाड़ी इसमें सुधार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। केंद्र सरकार ने भी भारतीय खिलाड़ियों का खूब ध्यान रखा है। पेरिस ओलंपिक की तैयारी के लिए उसने करीब पौने पांच अरब रुपये खिलाड़ियों पर खर्च किए हैं। जिस-जिस खिलाड़ी ने देश-विदेश जहां भी ट्रेनिंग की मांग की, उसे वहां भेजा गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पेरिस जाने से पहले खिलाड़ियों से बात कर उनका हौसला बढ़ाया। किसी भी तरह से कोई कसर नहीं छोड़ी गई है।
सपा की चुनौती सामने खड़ी बीजेपी या पर्दे के पीछे छिपी कांग्रेस
2027 में सपा-कांग्रेस साथ-साथ रहेंगे यह तो अभी नही कहा जा सकता है, क्योंकि सपा यदि कांग्रेस के साथ चलती है तो इससे सिर्फ कांग्रेस को ही फायदा होता है। इस बात का अहसास अखिलेश यादव को भी होगा, भले ही वह इस संबंध में सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं बोल रहे हैं। बात यहीं तक सीमित नहीं है। दरअसल, राहुल गांधी यूपी में अपने गठबंधन सहयोगी अखिलेश यादव के सामने बड़ी सियासी लाईन खड़ी करना चाहते हैं। यही बात सपा के थिंक टैंक को परेशान कर रही है, लेकिन इस समय अखिलेश का सारा ध्यान भाजपा की ओर लगा है।
जीईपी लागू करने वाला पहला राज्य बना उत्तराखंड
उत्तराखंड सरकार ने सूबे में सबसे पहले समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लागू कर सामाजिक न्याय की दिशा में ऐतिहासिक निर्णय लिया और अब सकल पर्यावरणीय उत्पाद (जीईपी) को लागू कर पर्यावरण स्वास्थ्य की दिशा में क्रांतिकारी कदम उठाया है।
सीएम धामी के प्रदर्शन से केन्द्रीय नेतृत्व संतुष्ट
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी को लागू करने, सतत विकास सूचकांक में पहला स्थान प्राप्त करने, पर्यटन व तीर्थाटन को आर्थिक समृद्धि का आधार बनाने सहित सुशासन पर केन्द्रित मॉडल को प्रस्तुत किया। सीएम धामी ने बताया कि उनकी सरकार अर्थव्यवस्था को दोगुना करने के साथ ही पर्यावरणीय चिंताओं को दर करने में भी क्रांतिकारी कदम उठा रही है। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करना भी प्राथमिकता में है।
आपदा प्रभावित क्षेत्र में डटे सीएम धामी
पीएम मोदी का मिल रहा पूरा सहयोग
सीएम धामी के मुरीद हुए तीर्थपुरोहित
उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी तीर्थपुरोहितों के चहेते बन गए हैं। तीर्थपुरोहितों का मानना है कि सीएम के प्रयास से चारधाम यात्रा व्यवस्था इस बार अब तक ऐतिहासिक रही है। दूसरी ओर हाल ही में दिल्ली की एक संस्था द्वारा केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति बनाने की बात सामने आई तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने न केवल इसे लेकर हस्तक्षेप किया बल्कि उन्होंने कैबिनेट में ही नियम लाकर कि देश में कहीं भी चारधाम से मिलते-जुलते ट्रस्ट या मंदिर नहीं बनाए जाएंगे। इस फैसले के बाद तीर्थ पुरोहित सीएम धामी के मुरीद हो गए हैं।