आजकल आप किसी भी दिन राजधानी में इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (आईजीआई) और नई दिल्ली या निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन को जाकर देख लें. हैरानी होती है कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर आईजीआई की तुलना में मुसाफिरों की भीड़ खासी कम होने लग गई है. आईजीआई में तो चौबीसों घंटे भीड़ भरी रहती है. रोज हजारों हिन्दुस्तानी देश या सात समंदर पार के सफर पर निकल रहे होते हैं. इतने ही दुनिया के अलग-अलग भागों से दिल्ली आ भी रहे होते हैं. अब तो आईजीआई में अव्यवस्था भी खासी रहने लगी है. कारण यह है कि अपनी क्षमता से कहीं अधिक मुसाफिर और विमान यहां आ-जा रहे हैं.
अब बहुत साफ है कि ग्रेटर नोएडा में स्थित जेवर एयरपोर्ट के बनने के बाद ही आईजीआई में लगातार रहने वाली अव्यवस्था से कुछ हद तक राहत मिलेगी. जेवर एयरपोर्ट में लगभग 30 हजार करोड़ रुपये की लागत से 5845 हेक्टेयर जमीन पर बन रहा है एशिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट होगा. जेवर एयरपोर्ट के पहले चरण का काम 2023-24 में ही पूरा हो जायेगा. यानी 12-15 महीनों के बाद हालात सुधरने लगेंगे. तब आईजीआई का दबाव घटेगा. तब देश - विदेश की बहुत सी उड़ानें यहां से आने-जाने लगेंगी. जेवर एयरपोर्ट के पहले चरण के बनने के बाद से ही सालाना 1.2 करोड़ यात्रियों की आवाजाही होने की संभावना है. शुरुआत में इधर से दो हवाई पट्टियां चालू की जायेंगी. यह एयरपोर्ट नॉएडा ग्रेटर नॉएडा, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ, मेरठ, मुजफ्फरपुर, गाजियाबाद, फरीदाबाद, पलवल आदि के लिए महत्वपूर्ण अवसर लेकर आ रहा है. जेवर एयरपोर्ट के संचालित होने के बाद
Diese Geschichte stammt aus der September 01, 2022-Ausgabe von Gambhir Samachar.
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आंकड़ों से पता चलता है कि देश में दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों पर राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक रोड एक्सीडेंट के मामले 2020 में 3,64,796 से बढ़कर 2021 में 4,03, 116 हो गए. मौतों में 16.8% बढ़ोतरी हुई है. 2020 में 1,33,201 और 2021 में 1,55,622 लोगों ने सड़क हादसे में अपनी जान गवाई है. साथ ही 2021 में प्रति हजार वाहनों की मौत दर 2020 में 0.45 से बढ़कर 2021 में 0.53 हो गई है. विश्लेषण से पता चलता है कि अधिकांश सड़क दुर्घटनाएं तेज गति के कारण हुई हैं.
पश्चिमी यूपी में तेज होगी जाट वोट बैंक पर कब्जे की जंग
उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव से पहले राष्ट्रीय लोकदल यानी आरएलडी की मान्यता खत्म होने से छोटे चौधरी जयंत सिंह की सियासत पर ग्रहण लग गया है. इसके साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री और दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहने सहित कई सरकारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले किसान नेता चौधरी चरण सिंह के पौत्र जयंत चौधरी की राजनैतिक पारी पर यदि विश्राम लग जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए.
अब 'वायनाड' का क्या होगा?
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अंतरिक्ष में इसरो के बढ़ते कदम
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जीपीटी-4 सरीखे एआई टूल उन पर इस कदर दबाव बनाये रखेंगे कि वे जो भी काम कर रहे हैं वह तेज गति से हो और अधिक उत्पादक हो. वे उत्कृष्टता के पैमाने को बढ़ा देंगे सीईओ के लिए और एक प्रकार से अत्यधिक दक्षता के युग का सूत्रपात होगा. बड़ी प्रसिद्ध हिंदी कहावत है गुरु गुड़ ही रहा, चेला शक्कर हो गया! पता ही नहीं चलेगा कब नॉन ह्यूमन दिमाग ने, जिसे ह्यूमन ने ही बनाया है, हमें रिप्लेस कर लिया है.
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