नं. 1 जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
पिछले महीने जब गीतांजलि श्री ने 2022 का इंटरनेशनल बुकर प्राइज जीता और यह पुरस्कार जीतने वाली हिंदी की पहली लेखिका बनीं, उनकी मातृ संस्था जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में हरेक के लिए यह गौरव की बात थी. वास्तव में पिछले साल ही विश्वविद्यालय ने भारतीय भाषाओं के पाठ्यक्रमों को मजबूत करने पर विशेष ध्यान दिया और श्री के इनाम जीतने के बाद इस क्षेत्र में वैश्विक दिलचस्पी साफ तौर पर बढ़ती दिखाई देती है. जेएनयू की वीसी शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित कहती हैं, “भारतीय भाषाओं के लिए अपनी सुविधाओं पर हमें बहुत गर्व है. पिछले साल ही हमने स्कूल ऑफ इंडियन लैंग्वेजेज का उद्घाटन किया. हमने भारतीय भाषाओं के लिए अलग इमारत, संकाय और सीटें देना तय किया. " नया स्कूल शुरू होने के कुछ ही महीनों के भीतर तमिल, कन्नड़, ओडिया और उर्दू के चार पाठ्यक्रमों के लिए पीठ स्थापित की गईं. असमिया और गुजराती के पाठ्यक्रम भी जल्द ही तैयार हो जाएंगे.
शिक्षकों का भी कहना है कि इस वक्त जेएनयू में होना अद्भुत है. न केवल नए पाठ्यक्रम और विभाग बनाए जा रहे हैं बल्कि 53 साल पुराने कैंपस को भी नई साज-सज्जा दी जा रही है. पंडित कहती हैं, "जेएनयू समान अवसर के अपने लोकाचार के प्रति प्रतिबद्ध रहते हुए लगातार विकसित हो रहा है." जेएनयू को केंद्र सरकार से 60 करोड़ रुपए का अनुदान मिला है. इसमें से आधी रकम आ भी चुकी है और प्रशासन मौजूदा बुनियादी ढांचे में बड़े बदलाव लाने में जुटा है. विद्यार्थियों के लिए आज के जमाने के किचन और कमरों के साथ होस्टल उन्नत बनाए जा रहे हैं. 1,000 एकड़ में फैले कैंपस की सुरक्षा भी बढ़ाई जाएगी. इसके में अलावा तीन नए विभागों - इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट और राष्ट्रीय सुरक्षा अध्ययन के लिए तीन नई इमारतों का भी जल्द उद्घाटन होगा. पंडित कहती हैं, "लाइब्रेरी की बिल्डिंग का भी स्थापना के बाद पहली बार रंग-रोगन हो रहा है. रंग-रोगन पूरा करने के लिए हाल तक हमारे पास पैसा ही नहीं था."
Diese Geschichte stammt aus der August 17, 2022-Ausgabe von India Today Hindi.
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